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गिरफ़्तारी

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ब्राज़ील के रिओ दी जानेरियो नगर में गिरफ़्तार होते हुए आदमी

गिरफ़्तारी किसी व्यक्ति को उसकी अपनी स्वतंत्रता से वंचित करने की प्रक्रिया को बोलते हैं। साधारण तौर पर यह किसी अपराध की छानबीन के लिए, किसी अपराध को घटने से रोकने के लिए या किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की हानि होने से रोकने के लिए किया जाता है। मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 9 के अनुसार "किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ़्तार, नज़रबंद, या देश-निष्कसित नहीं किया जाएगा।"

गिरफ्तारी से सम्बन्धित महिलाओं के अधिकार

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गिरफ्तारी के समय

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अगर कोई महिला पुलिस की दृष्टि में 'अपराधी' है और पुलिस उसे गिरफ्तार करने आती है तो वह अपने इन अधिकारों का उपयोग कर सकती हैं-

  • उसे गिरफ्तारी का कारण बताया जाए।
  • गिरफ्तारी के समय उसे हथकड़ी न लगाई जाए। हथकड़ी सिर्फ मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही लगाई जा सकती है।
  • अपने वकील को बुलवा सकती है।
  • मुफ्त कानूनी सलाह की माँग कर सकती है, अगर वह वकील रखने में असमर्थ है।
  • गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर महिला को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य है।
  • गिरफ्तारी के समय स्त्री के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने जाने दिया जाए।

अगर पुलिस महिला को गिरफ्तार करके थाने में लाती है तो महिला को निम्न अधिकार प्राप्त हैं

  • गिरफ्तारी के बाद उसे महिलाओं के कमरे में ही रखा जाए।
  • उसे मानवीयता के साथ रखा जाए, जोर-जबरदस्ती करना गैरकानूनी है।
  • पुलिस द्वारा मारे-पीटे जाने या दुर्व्यवहार किए जाने पर मजिस्ट्रेट से डाक्टरी जाँच की मांग कर सकती है।
  • महिला की डाक्टरी जाँच केवल महिला डॉक्टर ही करे।

महिला अपराधियों के साथ पूछताछ के दौरान कभी-कभी छेड़छाड़ के मामले भी सामने आते हैं। इसके लिये महिला इन अधिकारों का प्रयोग कर सकती है-

  • पूछताछ के लिए थाने में या कहीं और बुलाए जाने पर महिला इंकार कर सकती है।
  • पूछताछ केवल महिला के घर पर तथा उसके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में ही की जाए।
  • उसके शरीर की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाए।
  • अपनी तलाशी से पहले वह स्त्री, महिला पुलिसकर्मी की तलाशी ले सकती है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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