गज सिंह (मारवाड़)
महाराजा वीरमदेव राठौड़ | |
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जोधपुर के महाराजा | |
चित्र:Viram Dev ji of Marwar.jpg | |
शासनावधि | 7 सितंबर 1619 – 6 मई 1638 |
राज्याभिषेक | 1620, श्रींगार चौकी, मेहरानगढ़, जोधपुर |
महाराजा गजसिंह राठौड़ (30 अक्टूबर 1595 - 6 मई 1638), मारवाड़ साम्राज्य के राजा थे। उन्होंने 7 सितंबर 1619 से 6 मई 1638 तक शासन किया।[1]
वह 7 सितंबर 1619 को अपने पिता सूर सिंह की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के रूप में गद्दी पर बैठे । 6 मई 1638 को उनका आगरा में निधन हो गया। एक बावङी का निर्माण कराया था। श्री गजसिह की एक उप पत्नी अनारा बेगम थी। ऐसी विजातीय पत्नी को पासवान पङदायत दासी खवास कहा जाता था। इनकी संतानो को चेला/ गोटा बरदार/ वाभा/लालजी कहा जाता था। महाराजा श्री तख्त सिंह जी के शासनकाल में इनको राव राजा कहा जाता था। इनको बङे बङे ठिकाने इनायत किये जाते थे ताकि उनका जीवन स्तर राजपरिवार के स्तर पर बना रहे। ।[3]
गजसिंह री ख्यात
[संपादित करें]यह ख्यात शासक के संवत 1676 (1619 ईस्वी) में उनके राज्याभिषेक से लेकर 1638 ईस्वी में उनकी मृत्यु तक की जीवन की घटनाओं का वर्णन करता है। इसमें महाराजा गजसिंह द्वारा चारणों को लाख पसाव, सांसण गांव आदि सहित विभिन्न धर्मार्थ अनुदान प्रदान करने का उल्लेख है।[2]
[3]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Richards, John F. (1995). The Mughal Empire (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-56603-2. अभिगमन तिथि 27 दिसम्बर 2020.
- ↑ Sharma, Vasumati; Sankhala, Kamal Kishore (2010). "Thikana Vyavasthantargata Lipibaddha Sampada ke katipaya Sandarbha" (PDF). Rajasthan History Congress. 26: 191–198 – वाया rajhisco.
- ↑ Bhati, Dr vikram singh (2014). Muraridan ki khyat. Jodhpur: Royal publishers. पृ॰ 268. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82311-43-0.
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