क्षार धातु
आवर्त सारणी के तत्त्व लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K), रुबिडियम (Rb), सीज़ियम (Cs) और फ्रांसियम (Fr) के समूह को क्षार धातुएँ (Alkali metals) कहते हैं। यह समूह आवर्त सारणी के एस-ब्लॉक में स्थित है।[1] क्षार धातुएँ समान गुण वाली हैं। वे सभी मुलायम, चमकदार तथा मानक ताप तथा दाब पर उच्च अभिक्रियाशील होती हैं तथा कोमलता के कारण एक चाकू से आसानी से काटी जा सकती हैं।[2] चूंकि ये शीघ्र अभिक्रिया करने वाले हैं, अत: वायु तथा इनके बीच की रासायनिक अभिक्रिया को रोकने हेतु इन्हें तेल आदि में संग्रहित रखना चाहिये।[3] यह गैर मुक्त तत्व के रूप में प्राकृतिक रूप से लवण में पाए जाते हैं। सभी खोजे गये क्षार धातुएँ अपनी मात्रा के क्रम में प्रकृति में पाए जाते हैं जिनमें क्रमवार सोडियम जो सबसे आम हैं, तथा इसके बाद पोटैशियम, लिथियम, रुबिडियम, सिज़ियम तथा अंतिम फ्रांसियम, फ्रांसियम अपने उच्च रेडियोधर्मिता के कारण सबसे दुर्लभ है।[4]
व्युत्पत्ति
[संपादित करें]क्षार धातुओं के हाइड्रोक्साइड को जब पानी में भंग किया जाता है तब वे भी अत्यंत ताकतवर क्षार होते हैं।[5]
खोज
[संपादित करें]लिथियम
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पेटालाइट (LiAlSi४O१०) की खोज १८०० में एक ब्राज़ील के रसायनशास्त्री जोस बोनिफेसियो दे एण्ड्राडा ने उटो, स्विडन के द्वीप की खुदाई के दौरान की थी।[6][7] १८१७ में जोहान अगस्त आफवेडसन नामक रसायनज्ञ जॉस जेकब बेर्जेलियस नामक रसायनज्ञ के प्रयोगशाला में पेटालाइट अयस्क का विश्लेषण कर रहे थे तभी उन्हें एक नए तत्व की उपस्थिति का पता चला।[8][9] यह नया यौगिक सोडियम तथा पोटैशियम के समान था तथा इसके कार्बोनेट तथा हाइड्रॉक्साइड जल में कम घुलनशील तथा अन्य क्षार धातुओं से अधिक क्षारीय थे।[10] लिथियम ग्रीक शब्द λιθoς (लिथिओस = पत्थर) से बना है।
सोडियम
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सोडियम यौगिक प्राचीन काल से ज्ञात है तथा नमक (सोडियम क्लोराइड) मानवीय गतिविधियों के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। इसका उपयोग पुराने समय में नमक के वेफर्स जर्मन सैनिकों को उनके वेतन के साथ देने में भी करते थे। मध्यकालीन युरोप में भी सोडियम के मिश्रण को 'सोडिनम' नाम से सिरदर्द की दवा के रूप में प्रसारित किया गया था। हम्फ्री डेवी ने सन् १९०७ में इलेक्ट्रोलाइसिस पद्धति से शुद्ध सोडियम (सोडियम हाईड्रोक्साइड) को पृथक् किया।[11]
पोटैशियम
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पोटैशियम अथवा दहातु एक क्षार धातु है। इसका प्रतीक अक्षर 'K' है। इसके दो स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ३९ और ४१) ज्ञात हैं। एक अस्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ४०) प्रकृति में न्यून मात्रा में पाया जाता है। इनके अतिरिक्त तीन अन्य समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ३८, ४२ और ४३) कृत्रिम रूप से निर्मित हुए हैं। पोटैशियम के यौगिक पुरातन काल से काम में लाए जा रहे हैं, चरकसंहिता में भस्म से क्षार बनाने की विधि का वर्णन आया है। चीनी तुर्किस्तान मे स्थित बुद्धमंदिर में एक पुरातन चिकित्सकीय ग्रंथ की १८९० ई. में प्राप्ति हुई। इस ग्रंथ में यवक्षार (पोटैशियम कार्बोनेट) का वर्णन आया है। इन सब बातों से पता चलता है कि पौटैशियम क्षारों का उपयोग पुरातन काल में भी औषधि तथा रासायनिक क्रियाओं में होता था। पोटैशियम का पृथक्करण १८०७ ई. इंग्लैंड में सर हम्फ्री डेवी ने पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के विद्युद्विश्लैषण द्वारा किया। पोटाश शब्द के आधार पर डेवी ने इस तत्व का नाम पोटैशियम रखा। पोटैशियम के पृथक्करण में ही सर्वप्रथम इलेक्ट्रोलाइसिस का उपयोग किया गया था।[12]
रुबिडियम
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रुबिडियम की खोज १८६० में हीडलबर्ग में रॉबर्ट बन्सेन तथा गुस्ताव किर्चाफ़ ने की थी जो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने तत्वों की खोज के लिये स्पेक्ट्रम एनालिसिस को उपयुक्त माना। यह एक रासायनिक तत्त्व है। यह आवर्त सारणी के प्रथम मुख्य समूह का चौथा तत्व है। इसमें धातुगुण वर्तमान हैं। इसके तीन स्थिर समस्थानिक प्राप्त हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ क्रमश: ८५, ८६, ८७ हैं। स्पेक्ट्रमदर्शी द्वारा प्रयोगों में दो नई लाल रेखाएँ मिलीं, जिनके कारण इसका नाम रूबिडियम रखा गया। लेपिडोलाइट अयस्क में रूबिडियम की मात्रा लगभग १% रहती है। इसके अतिरिक्त अभ्रक तथा कार्टेलाइड में भी यह कम मात्रा में मिलता है। पोटैशियम तथा रूबिडियम के प्लैटिनिक क्लोराइडों की विलेयता भिन्न भिन्न है, जिसके कारण इन दोनों को अलग कर सकते हैं।[13][14]
सिज़ियम
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सिज़ियम की खोज मिनरल वाटर में गुस्ताव किर्चोफ तथा रॉबर्ट बन्सेन ने १८६० में जर्मनी में की थी। इसकी वजह से उत्सर्जित स्पेक्ट्रम में चमकदार नीली रेखाएँ दिखी। उन्होंने लैटिन शब्द सिज़ियस से नाम बनाया जिसका अर्थ आसमानी नीला होता है। सिजियम स्पेक्ट्रोस्कोप से खोजा गया पहला तत्व है जिसकी खोज स्पेक्ट्रोस्कोप के आविष्कार के सिर्फ एक वर्ष बाद हुई।[15]
फ्रांसियम
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इसकी खोज में लगभग चार गलतियाँ थीं[16] बाद में क्यूरी इंस्टिट्यूट के मार्गरेट पैरी ने सन् १९३९ में एक्टीनियम-२२७ के नमूने से इसकी खोज की जिसमें इलेक्ट्रॉनवाल्ट से उर्जा क्षय दिखाई दिया, पेरी ने ८० इलेक्ट्रॉनवाल्ट के साथ क्षय कणो को देखा। उन्होंने सोंचा यह गतिविधियाँ पूर्व अज्ञात क्षय के कारण हो सकता है। कई प्रकार के गतिविधियों से उन्हें इसमें थोरियम, रेडियम, सीसा, विस्मुट, या थैलियम के होने की संभावना दिखी। उन्हें नया तत्व मिला, जिसमें क्षार धातुओं जैसे गुण थे। एक्टीनियम-२२७ के अल्फा क्षय के कारण पेरी को विश्वास हो गया कि यह तत्व ८७ है। उन्होंने बीटा क्षय से अल्फा क्षय के अनुपात का निर्धारण किया। उनके प्रथम परीक्षण में ०.६% से कम शाखाओं में अल्फा था।[17] संश्लेषण की तुलना में यह अंतिम तत्व था जो प्रकृति में ढूंढा गया।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "पीरयोडिक टेबल डाटाबेस।". Archived from the original on 10 अगस्त 2014. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ "ग्रुप १ - क्षार धातु।". Archived from the original on 5 अगस्त 2012. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ "क्षार धातु।". Archived from the original on 29 नवंबर 2014. Retrieved 11 जुलाई 2014.
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(help) - ↑ "लिस्ट अॉफ पीरियोडिक प्रॉपर्टीस।". Archived from the original on 3 मार्च 2016. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ रॉयल सोसाइटी अॉफ केमिस्ट्री
- ↑ "पेटालाइट मिनरल इन्फॉर्मेशन।". Archived from the original on 23 दिसंबर 2017. Retrieved 11 जुलाई 2014.
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(help) - ↑ लिथियम Archived 2009-10-16 at the वेबैक मशीन, इतिहास।
- ↑ "जोहान आर्फवेडसन". Archived from the original on 5 जून 2008. Retrieved 5 जून 2008.
- ↑ "लिथियम Li". Archived from the original on 16 जून 2011. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ "ग्रुप १ के यौगिक।". Archived from the original on 11 मार्च 2009. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ "द कलेक्टेड वर्क्स अॉफ सर हम्फ्री डेवी।". Archived from the original on 14 जुलाई 2014. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ हम्फ्री डेवी
- ↑ किर्चोफ़
- ↑ बन्सेन
- ↑ "सिजियम". Archived from the original on 18 जून 2015. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ "फ्रांसियम". Archived from the original on 23 जनवरी 2010. Retrieved 11 जुलाई 2014.
- ↑ एक्सटेंडेड पीरियोडिक टेबल
इन्हें भी देखें
[संपादित करें] आवर्त सारणी
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Group | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | ||||||||||||||
Alkali metals | Alkaline earth metals | Pnictogens | Chalcogens | Halogens | Noble gases | |||||||||||||||||||||||||||
Period |
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2 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
4 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
5 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
6 | * | |||||||||||||||||||||||||||||||
7 | ** | |||||||||||||||||||||||||||||||
* Lanthanides | ||||||||||||||||||||||||||||||||
** Actinides | ||||||||||||||||||||||||||||||||
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