क्लिक व्यंजन

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एक वर्त्स्य (एल्विओलर) क्लिक की ध्वनि सुनिए - इसे अ॰ध॰व॰ में ǁ (दो-नली) के चिन्ह से दर्शाया जाता है
एक तालव्य (पलैटल) क्लिक की ध्वनि सुनिए - इसे अ॰ध॰व॰ में ǂ के चिन्ह से दर्शाया जाता है

क्लिक व्यंजन कुछ भाषाओँ में प्रयोग होने वाले वर्ण होते हैं जिनकी आवाज़ स्वर्ग्रंथी से नहीं बल्कि जीभ या होंठों द्वारा मुंह में हवा के दबाव में अचानक परिवर्तन करने से आती है। हिन्दी बोलने वालों में इसकी मिसाल "च-च" की आवाज़ है जो किसी चीज़ के बारे में नापसन्दगी प्रकट करने के काम आती है। देहाती हिन्दी इलाक़ों में भेड़-बकरियों और गाय जैसे जानवरों को भी ऐसी क्लिक की आवाजों से निर्देश दिया जाता है। बच्चों और जानवरों को पुचकारने के लिए होठों से वायु के ज़रिये जो ध्वनी बनाई जाती है वह भी इसकी एक मिसाल है।

लिखाई[संपादित करें]

इन ध्वनियों के लिए देवनागरी में कोई चिन्ह नहीं हैं और हिन्दी में ऐसी ध्वनियों का इस्तेमाल शब्दों बीच में नहीं होता। लेकिन कई दक्षिणी अफ़्रीका की भाषाओँ में क्लिक व्यंजन बाक़ाएदा भाषा के शब्दों में प्रयोग होते हैं। खोइसान भाषाओँ में तो यह आम है। अ॰ध॰व॰ में सारी भिन्न क्लिक ध्वनियों के लिए चिन्हों का प्रबंध किया गया है, जैसे की वर्त्स्य (एल्विओलर) क्लिक के लिए ǁ (दो-नली) के चिन्ह का प्रयोग होता है। आम लिखाई में कभी-कभी क्लिक की आवाजों को ! लिखा जाता है। उदहारण के लिए अफ़्रीका की एक भाषा का नाम !ख़ोसा है, यानि इस भाषा के नाम में ही क्लिक (!) आ जाता है। इसी तरह एक !नामा भाषा भी है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बहरी कड़ियाँ[संपादित करें]