कब्ज
कब्ज़ वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
छोटे बच्चे में कब्ज़, एक्स-रे द्वारा दिखाया गया | |
आईसीडी-१० | K59.0 |
आईसीडी-९ | 564.0 |
डिज़ीज़-डीबी | 3080 |
मेडलाइन प्लस | 003125 |
ईमेडिसिन | med/2833 |
एम.ईएसएच | D003248 |
कब्ज पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है।
10 कब्ज के कारण, लक्षण, घरेलू इलाज और परहेज (Home Remedies for Constipation)
सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। (एक सप्ताह में 7 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है। कब्ज होने से शौच करने में बाधा उत्पन्न होती है, पाचनतंत्र प्रभावित होता है,जिसके कारण शौच करने में बहुत पीड़ा होती होती है ,किसी को केवल गैस की समस्या होती है. किसी को खाने का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। और आजकल कब्ज की समस्याओ से बच्चे और युवा पीढ़ी दोनों परेशान हो चुके है। व्यक्ति दो या तीन दिन तक शौच नहीं हो पाता है।तो कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये। दो बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है। नित्य कम से कम सुबह मल त्याग न कर पाना अस्वस्थता की निशानी है।
मानव मल के प्रकार
[संपादित करें]मानव मल 7 प्रकार का होता है।[1]
प्रमुख कारण
[संपादित करें]- कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना ; भोजन में फायबर (Fibers) का अभाव।
- अल्पभोजन ग्रहण करना।
- शरीर में पानी का कम होना
- कम चलना या काम करना ; किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना; आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।
- कुछ खास दवाओं का सेवन करना
- बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण
- थायरॉयड हार्मोन का कम बनना
- कैल्सियम और पोटैशियम की कम मात्रा
- मधुमेह के रोगियों में पाचन संबंधी समस्या
- कंपवाद (पार्किंसन बीमारी)
- चाय, कॉफी बहुत ज्यादा पीना। धूम्रपान करना व शराब पीना।
- गरिष्ठ पदार्थों का अर्थात् देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना।
- आँत, लिवर और तिल्ली की बीमारी।
- दु:ख, चिन्ता, डर आदि का होना।
- सही समय पर भोजन न करना।
- बदहजमी और मंदाग्नि (पाचक अग्नि का धीमा पड़ना)।
- भोजन खूब चबा-चबाकर न करना अर्थात् जबरदस्ती भोजन ठूँसना। जल्दबाजी में भोजन करना।
- बगैर भूख के भोजन करना।
- ज्यादा उपवास करना।
- भोजन करते वक्त ध्यान भोजन को चबाने पर न होकर कहीं और होना।
- खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना: खाना खाने के बाद तुरंत पानी पीने से खाना अच्छी तरह से डाइजेस्ट नहीं हो पाता है क्योंकि खाना पचाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है और आप अगर तुरंत पानी पी लेंगे तो यह पतला हो जाता है, जिसकी वजह से यह अच्छे से खाने को पचा नहीं पाता है और आपको कब्ज की समस्या हो जाती है।
- कब्ज होने का सबसे बड़ा कारण आपके भोजन में फाइबर की कमी, खराब जीवनशैली और शारीरिक श्रम या तनाव से दूर रहना है।
- कुछ खास दवाओं का सेवन करना या थायराइड हार्मोन का कम बनना।
- भोजन में फाइबर का अभाव अल्प भोजन ग्रहण करना भी इसका का एक कारण हो सकता है।
- शरीर में पानी का कम होना कम चलना या काम करना भी इसका का कारण हो सकता है।
- शारीरिक की बजाय दिमागी काम ज्यादा करना भी इसका एक परमुख कारण है।
- कैल्शियम और पोटेशियम की कम मात्रा या मधुमेह के रोगियों को में पाचन संबंधी समस्या चाय कॉफी बहुत ज्यादा पीना धूम्रपान करना शराब पीना गरिष्ठ पदार्थों का अर्थात देर से पचने वाले पदार्थों का सेवन ज्यादा करना।
- सही समय पर भोजन ना करना बदहजमी और भोजन खूब चबा चबाकर ना करना अर्थात जबरदस्ती भोजन ठूसना जल्दबाजी में भोजन करना बगैर भूख के भोजन करना।[2]
लक्षण
[संपादित करें]- सासों की बदबू
- लेपित जीब
- बहती नाक
- भूख में कमी
- सरदर्द
- चक्कर आना
- जी मिचलाना
- चहरे पर दाने
- मुँह में अल्सर
- पेट में लगातार परिपूर्णता
कब्ज के लक्ष्ण क्या होते हैं
- कब्ज पाचन तंत्र की स्थिति को कहते हैं जिसमें किसी व्यक्ति का मल बहुत खड़ा हो जाता है. तथा मल त्याग में कठिनाई होती है कब्ज अमाशय की स्वभाविक परिवर्तन की व्यवस्था है जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है. मल खड़ा हो जाता है उसकी आवृत्ति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है।
- सामान्य और आवूति और आमाशय व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है. एक सप्ताह में 3 से 12 वार माल निष्कासन की प्र्किर्या को सामान्य माना जाता है।
- पेट में शुल्क मल का जमा होना ही कब्ज कहलाता है. यदि इसका शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाए तो शरीर में अनेकों विकार उत्पन्न हो जाते हैं. कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ ना होने से है एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को मल त्याग के लिए जाना ही चाहिए 2 बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है नित्य कम से कम सुबह मल त्याग ना कर पाना असवासथ्यता की निशानी है।
उपाय
[संपादित करें]- रेशायुक्त भोजन का अत्यधित सेवन करना, जैसे साबूत अनाज
- ताजा फल और सब्जियों का अत्यधिक सेवन करना
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
- ज्यादा व्यायाम करना चाहिए जिससे शरीर में गतिविधिया बढ़ती है। कब्ज के समस्या नहीं होती है।
- वसा युक्त भोजन का सेवेन कम करे
ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
- कब्ज का इलाज करने के लिए आप बाजरे की खिचड़ी खा सकते हैं।
कुछ विशिष्ट प्रयोग
[संपादित करें]खाने में ऐसी चीजें ले, जिनसे पेट स्वयं ही साफ हो जाय।
- नमक – छोटी हरड और काला नमक समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। नित्य रात को इसकी दो चाय की चम्मच गर्म पानी से लेने से दस्त साफ आता हैं।
- ईसबगोल – दो चाय चम्मच ईसबगोल 6 घण्टे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर जल से लेने से दस्त साफ आता हैं। केवल मिश्री और ईसबगोल मिला कर बिना भिगोये भी ले सकते हैं।
- चना – कब्ज वालों के लिए चना उपकारी है। इसे भिगो के खाना श्रेष्ठ है। यदि भीगा हुआ चना न पचे तो चने उबालकर नमक अदरक मिलाकर खाना चाहिए। चेने के आटे की रोटी खाने से कब्ज दूर होती है। यह पौष्िटक भी है। केवल चने के आटे की रोटी अच्छी नहीं लगे तो गेहूं और चने मिलाकर रोटी बनाकर खाना भी लाभदायक हैं। एक या दो मुटठी चने रात को भिगो दें। प्रात: जीरा और सौंठ पीसकर चनों पर डालकर खायें। घण्टे भर बाद चने भिगोये गये पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी।
- बेल – पका हुआ बेल का गूदा पानी में मसल कर मिलाकर शर्बत बनाकर पीना कब्ज के लिए बहुत लाभदायक हैं। यह आँतों का सारा मल बाहर निकाल देता है।
- नीबू – नीम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि में लेने से दस्त खुलकर आता हैं। नीम्बू का रस और शक्कर प्रत्येक 12 ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ ही दिनों में पुरानी से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।
- नारंगी – सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति बढ़ाती हैं।
- मेथी – के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
- गेहूँ के पौधों (गेहूँ के जवारे) का रस लेने से कब्ज नहीं रहती है।
- धनिया – सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होती है।
- दालचीनी – सोंठ, इलायची जरा सी मिला कर खाते रहने से लाभ होता है।
- टमाटर कब्जी दूर करने के लिए अचूक दवा का काम करता है। अमाश्य आँतों में जमा मल पदार्थ निकालने में और अंगों को चेतनता प्रदान करने में बडी मदद करता है। शरीर के अन्दरूनी अवयवों को स्फूर्ति देता है|
- गुड़ – दो चम्मच अजवाइन और दो चम्मच के लगभग गुण लेकर उसे पाउडर की तरह तैयार करले, आप इन दोनों को अच्छी तरह मिला लें और इनका गोली बना लें। जब भी आपको पेट में दर्द हो या आपको लगे कि पेट में भारीपन है तो आप एक गोली इसमें से खा ले यह आपका पेट तुरंत ठीक कर देगा। इसका सेवन करने से आप का कब्ज जड़ से खत्म हो जाएगा।
- तुलसी –रोज सुबह खाली पेट 10 से 12 पत्ते तुलसी के चबा चबाकर खाएं और एक गिलास पानी पी लें ऐसा करने से आप का लीवर भी मजबूत होगा पेट में गैस बनने की समस्या और कब्ज भी खत्म हो जाएगा।
- जीरा –एक बड़ा चम्मच जीरा और एक बड़ा चम्मच अजवायन ले इन दोनों को हल्का सा भून लें अब आप को सौंफ लेना है सौंफ को भूलना नहीं है इन तीनों को अच्छे से पीसकर इनका पाउडर तैयार कर लें और इसमें स्वाद अनुसार काला नमक मिला लें। खाना खाने के आधे घंटे बाद एक चम्मच इसका सेवन करें हल्के गर्म पानी के साथ आपको कब्ज में बहुत ज्यादा आराम मिलेगा।
- पुदीना – पुदीने की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से भी कब्ज ठीक हो जाता है।
- पपीता – रोज सुबह कच्चे पपीते का सेवन करने से भयंकर से भयंकर पुराना से पुराना कब्ज भी ठीक हो जाता है।
- सेब – रोज सुबह एक सेब का सेवन करते हैं तो इससे आप को बहुत ज्यादा फायदा मिलेगा पेट से जुड़ी हर समस्या ठीक हो जाएगी।
- कब्ज से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलु उपचार कर सकते हो जिनमे शामिल हे गरम पानीका इस्तामल एलोवेरा जूस का इस्तेमाल। हर्बल चा का सुबह इस्तेमाल। निम्बू पानी का इस्तामल कब्ज के लिए। हींग पाउडर गरम पानी के साथ। सुबह उठते ही पेट साफ होने का उपाय[मृत कड़ियाँ]
अन्य उपाय
[संपादित करें]१) इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ २-३ चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। दस्त खुलासा होने लगता है।यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।
२) नींबू कब्ज में गुण्कारी है। मामुली गरम जल में एक नींबू निचोडकर दिन में २-३बार पियें। जरूर लाभ होगा।
नीम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि में लेने से दस्त खुलकर आता हैं। नीम्बू का रस और शक्कर प्रत्येक 12 ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ ही दिनों में पुरानी से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।
३) एक गिलास दूध में १-२ चाम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी कब्ज रोग का समाधान होता है।
४) एक कप गरम जल में १ चम्म्च शहद मिलाकर पीने से कब्ज मिटती है। यह मिश्रण दिन में ३ बार पीना हितकर है।
५) जल्दी सुबह उठकर एक लिटर मामूली गरम पानी पीकर २-३ किलोमीटर घूमने जाएं। कब्ज का बेहतरीन उपचार है।
६) दो सेवफ़ल प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है।
७) अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन में किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं। मल आसानी से विसर्जीत होता है।
८) अंगूर में कब्ज निवारण के गुण हैं। सूखे अंगूर याने किश्मिश पानी में ३ घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। जब तक बाजार में अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।
९) अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी में २० ग्राम के करीब यह पावडर डालें और ३-४ घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है। अलसी में प्रचुर ओमेगा फ़ेटी एसिड्स होते हैं जो कब्ज निवारण में महती भूमिका निभाते हैं।
१०) पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी से पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।
११) अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।
१२) बड़ी मुनक्का पेट के लिए बहुत लाभप्रद होती है। मुनका में कब्ज नष्ट करने के तत्व हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है। एक तरीका ये हैं कि मुनक्का को दूध में उबालें कि दूध आधा रह जाए | गुन गुना दूध सोने के आधे घंटे पाहिले सेवन करें। मुनक्का में पर्याप्त लोह तत्व होता है और दूध में आयरन नहीं होता है इसलिए दूध में मुनक्का डालकर पीया जाय तो आयरन की भी पूर्ती हो जाती है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Constipation Guideline - the World Gastroenterology Organisation (WGO)
- ↑ "लैट्रिन सूखने का कारण" (in ब्रिटिश अंग्रेज़ी). 2023-08-31. Archived from the original on 31 अगस्त 2023. Retrieved 2023-08-31.
- ↑ rajput, Raghav (13/07/2023). "कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए ये घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Constipation 2023)". My Genius Brand. Archived from the original on 12 जुलाई 2023. Retrieved 13/07/2023.
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