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कोल विद्रोह

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कोल विद्रोह

कोल विद्रोह झारखंड के कोल जनजाति द्वारा अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के खिलाफ 1831 ईसवी में किया गया एक विद्रोह है, जो 1833 तक चला। यह भारत में अंग्रेजों के खिलाफ किया गया एक महत्वपूर्ण विद्रोह है। यह विद्रोह अंग्रेजों और बाहरी लोगों (दिकु) के शोषण का बदला लेने के लिए किया गया था।[1] मुंडा, उरांव, भूमिज और हो आदिवासियों को अंग्रेजों द्वारा कोल कहा जाता था।[2] इस जाति के लोग छोटा नागपुर के पठार इलाकों में सदियों से शांतिपूर्वक रहते आए थे। उनकी जीविका का मुख्य आधार खेती और जंगल थे। ये जंगलों की सफाई कर बंजर जमीन को खेती लायक बनाकर उस पर खेती करते थे। इसलिए वे जमीन पर अपना नैसर्गिक अधिकार मानते थे। कोलों की जीवन शैली में मध्यकाल में परिवर्तन आने लगा।[3]

पृष्ठभूमि

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मुगल काल में बहुत से व्यापारी और अन्य लोग आकर आदिवासी इलाकों में बसने लगे। मुसलमान और सिक्ख व्यापारीयों का आगमन बड़ी संख्या में हुआ। इन लोगों ने धीरे-धीरे जमीन पर अपना अधिकार जमाना आरंभ किया परंतु मुगल काल तक कोल जाति के सामाजिक, आर्थिक जीवन पर इन परिवर्तन का कोई व्यापक असर नहीं पड़ा। बंगाल में अंग्रेजी शासन की स्थापना के साथ ही कोल जाति के लोगों के आर्थिक जीवन में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आ गया।[4] स्थाई बंदोबस्त के कारण इस क्षेत्र में नए जमींदार एवं महाजन का एक सबल वर्ग सामने आया। इसके साथ इनके कर्मचारी भी आए। इन सभी ने मिलकर कोल जाति के लोगों का शारीरिक एवं आर्थिक शोषण आरंभ कर दिया। लगान की रकम अदा न करने पर उनकी जमीन नीलाम करवा दी जाती थी। इन बाहरी लोगों ने कोल की बहू बेटियों की इज्जत भी लूटनी आरंभ कर दी। कोल के बेगारी भी करना पड़ता था एवं उनकी स्त्रियों को जमींदारों महाजनों के घर काम करने के लिए बाध्य किया जाता था।[5]

विद्रोह

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इन अत्याचारों से इनकी सुरक्षा करने वाला कोई नहीं था। थाना और न्यायालय भी जमींदारों एवं महाजनों का ही साथ देते थे। इस जाति का मुखिया नि:सहाय था। इनका जीवन एक अभिशाप बन गया था। उनका आक्रोश जमींदार, महाजन, पुलिस के विरुद्ध बढ़त गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनकी भूमि को गैर आदिवासी लोगों को दे दिया। अतः उन पर जमींदारों, महाजनों और सूदखोरों का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा। अतः 1831 ईसवी में बाहरी गैर आदिवासी (हिन्दू, मुसलमान और सिख) लोगों के विरुद्ध मुंडा, मानकी, सरदार और भगत के नेतृत्व में उन्होंने विद्रोह किया। इस विद्रोह में छोटानागपुर के मुंडा, उरांव और अन्य आदिवासी समुदायों के साथ पातकुम के भूमिज, सिंहभूम के हो और पलामू के चेरो और खरवार समुदाय ने हिस्सा लिया था। इस विद्रोह का नेतृत्व बिंदराय मानकी, सिंगराय भूमिज, लखी दास, दसाई मानकी, काटे सरदार, खांडू पातर, मोहन मानकी, सागर मानकी, सुर्गा मुंडा, नागु पाहान, बुधू भगत, जोआ भगत, भूतनाथ साही, दाखिन साही, मदारा महतो[6], बुली महतो[7][8] ने किया। कोल जाति के लोगों ने गैर आदिवासी जमींदारों, महाजनों और सूदखोरों की संपत्ति को नष्ट कर दिया। सरकारी खजाने को लूट लिया और कचहरियों और थानों पर आक्रमण किया। अंत में कंपनी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना की एक विशाल टुकड़ी भेजी और बड़ी निर्दयता से इस विद्रोह को दबा दिया। बड़ी संख्या में कोल मारे गए। कोल अपने पारंपरिक हथियारों से अंग्रेजों की सेना का सामना करने में असमर्थ रहे।

पूर्वी भारत में शोषण के विरुद्ध कोलों ने पहली बार संगठित रूप से सरकार और उसके समर्थकों के विरुद्ध सशस्त्र आंदोलन आरंभ किया। इसी दौरान 1832-34 में भूमिजों का संगठित विद्रोह भी हुआ। शीघ्र ही इस क्षेत्रों में संथालों का व्यापक आंदोलन भी आरंभ हुआ। कोल विद्रोह असफल हुआ, लेकिन असमानता और शोषण के विरूद्ध संघर्ष इस विद्रोह के बाद भी जारी रहा।[9]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. www.gyanimaster.com
  2. Jha, Jagdish Chandra (1958). "THE KOL RISING OF CHOTANAGPUR (1831-33)—ITS CAUSES". Proceedings of the Indian History Congress. 21: 440–446. ISSN 2249-1937.
  3. Jha, Jagdish Chandra (1958). "The Kol rising of Chotanagpur (1831-33)-its causes". Proceedings of the Indian History Congress. 21: 440–446. JSTOR 44145239.
  4. "www.timesdarpan.com". Archived from the original on 10 जुलाई 2020. Retrieved 7 जुलाई 2020.
  5. Griffiths, Walter G. (1946). The Kol Tribe of Central India. Calcutta: Royal Asiatic Society of Bengal.
  6. Claus, Martina (2021-01-01). Soziale Protestbewegung gegen das ArcelorMittal Großprojekt im Kontext der Adivasi-Widerstandshistorie in Süd-Jharkhand / Indien (in जर्मन). BoD – Books on Demand. ISBN 978-3-7376-0949-4.
  7. Mahto, Shailendra (2021-01-01). Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas. Prabhat Prakashan. ISBN 978-93-90366-63-7.
  8. "कोल विद्रोह के नायक बुली महतो के पैतृक गांव में होगा स्मृति निर्माण समारोह, सुदेश महतो होंगे शामिल". The Follow Up (in अंग्रेज़ी). 2022-03-15. Retrieved 2022-09-02.
  9. Jha, J.C. (1964). The Kol Insurrection of badz-Nagpur. Thacker, Spink & Co.

बाहरी कड़ियाँ

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