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कैलाशनाथ मंदिर, कांचीपुरम

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कैलाशनाथ मंदिर, कांचीपुरम में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह शहर के पश्चिम दिशा में स्थित यह मंदिर कांचीपुरम का सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे शानदार मंदिरों में एक है। इस मंदिर को आठवीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजसिंह) ने अपनी पत्नी की प्रार्थना पर बनवाया था। मंदिर के अग्रभाग का निर्माण राजा के पुत्र महेन्द्र वर्मन तृतीय के करवाया था। मंदिर में देवी पार्वती और शिव की नृत्य प्रतियोगिता को दर्शाया गया है। यह द्रविडशैली का मंदिर है

कैलाशनाथ मंदिर, जो कांचीपुरम में स्थित है, दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर कांचीपुरम शहर के पश्चिम दिशा में स्थित है और इसे पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजसिंह) द्वारा आठवीं शताब्दी में बनवाया गया था। राजा ने यह मंदिर अपनी पत्नी की प्रार्थना पर बनवाया था। मंदिर का निर्माण कार्य उनके पुत्र महेन्द्र वर्मन तृतीय के शासनकाल में पूरा हुआ। कैलाशनाथ मंदिर पल्लव वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है, जो द्रविड़ शैली में निर्मित है। यह शैली दक्षिण भारतीय मंदिरों में प्रमुख रूप से पाई जाती है, जिसमें विशाल पत्थर के शिल्प, गहरी नक्काशी और ऊंचे गुंबदों का समावेश होता है।[1]

कैलाशनाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण उसकी नृत्य प्रतियोगिता का दृश्य है, जिसमें देवी पार्वती और भगवान शिव के बीच एक नृत्य प्रतियोगिता को दर्शाया गया है। इस दृश्य को मंदिर की दीवारों पर खूबसूरती से उकेरा गया है, जो भगवान शिव के शास्त्रीय नृत्य और पार्वती के प्रति प्रेम को दर्शाता है। इस दृश्य का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, क्योंकि यह शिव-पार्वती के आदर्श रूप को प्रस्तुत करता है और उनके बीच के रिश्ते को धार्मिक दृष्टि से सुंदरता से चित्रित करता है।

कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लव शैली में किया गया है, जिसमें मंदिर के बाहरी और भीतरी हिस्सों में अद्वितीय शिल्प कला का प्रदर्शन किया गया है। मंदिर की संरचना में स्तंभों, शिलालेखों, और विभिन्न देवी-देवताओं की नक्काशी है, जो उस समय की उत्कृष्ट कारीगरी को दर्शाते हैं। मंदिर के केंद्रीय गुंबद के ऊपर शिवलिंग स्थापित है, जो इस मंदिर का प्रमुख पूजास्थल है।

यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थापत्य कला और पल्लव साम्राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। कांचीपुरम में स्थित होने के कारण यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांचीपुरम को प्राचीन काल में एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता था। इस मंदिर की यात्रा करने वाले श्रद्धालु केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि कला और इतिहास के अद्भुत उदाहरणों का भी अनुभव करते हैं।

निर्माण

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कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लव शैली में किया गया है, जिसमें मंदिर के बाहरी और भीतरी हिस्सों में अद्वितीय शिल्प कला का प्रदर्शन किया गया है। मंदिर की संरचना में स्तंभों, शिलालेखों, और विभिन्न देवी-देवताओं की नक्काशी है, जो उस समय की उत्कृष्ट कारीगरी को दर्शाते हैं। मंदिर के केंद्रीय गुंबद के ऊपर शिवलिंग स्थापित है, जो इस मंदिर का प्रमुख पूजास्थल है।

  1. "Bundelkhand News | Bundelkhand 24x7". अभिगमन तिथि: 2025-03-24.

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