कैरीना नीहारिका

कैरिना निहारिका,[1] जिसे एटा कैरिना निहारिका या महा कैरिना निहारिका के नाम से भी जाना जाता है, यह ब्रह्मांड के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित तारामंडल का एक विशाल और अत्यंत आकर्षक निहारिका क्षेत्र है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार की गैस, धूल, और नवगठित तारों के जटिल मिश्रण से बना है। कैरिना निहारिका आकाशगंगा की धनु भुजा में स्थित है और पृथ्वी से इसकी औसत दूरी लगभग 8,500 प्रकाश वर्ष है।
खोज
[संपादित करें]कैरिना निहारिका की खोज 25 जनवरी 1752 को प्रसिद्ध फ्रांसीसी खगोलशास्त्री निकोलस–लुई डे लैकेले ने की थी।[2]उनके अनुसार कैरिना निहारिका का आकार लगभग 120×120 आर्कमिनट में फैला हुआ है और यह दाएं उदगम से 10h 45m 08.5s तथा अवनति −59° 52′ 04″ के निर्देशांकों पर केंद्रित है। आधुनिक समय में इसकी गणना पृथ्वी से लगभग 8,500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर की जाती है।
वर्गीकरण
[संपादित करें]कैरिना निहारिका के भीतर ओबीएन (OB1) संघ स्थित है, जो अनेक ओ (O)-प्रकार के विशालकाय तारों का समूह है। इस क्षेत्र में कई चमकिले तारों के समूह पाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं—ट्रम्पलर 14 तारा समूह, ट्रम्पलर 15 तारा समूह, ट्रम्पलर 16 तारा समूह, कोलिंडर 228, कोलिंडर 232, एनजीसी 3324 और एनजीसी 3293। ट्रम्पलर 14 तारा समूह लगभग पाँच लाख वर्ष पुराना और सबसे युवा तारा समूहों में से एक है, जिसमें अत्यंत विशाल O2 श्रेणी का महादानव तारा एचडी 93129ए स्थित है। वहीं ट्रम्पलर 16 तारा समूह में कई उज्ज्वल तारे पाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं—डब्ल्यू॰ 25 तथा विश्वविख्यात एटा कैरिनाई तारा प्रणाली, जिसका निर्माण विस्फोटक खगोलिय घटनाओं से हुई। इसके अतिरिक्त, एनजीसी 3293 को सबसे पुराना और सबसे दूरी पर स्थित तारों का समूह माना जाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में लगातार तारा निर्माण की प्रक्रिया चलती रही है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "कैरिना निहारिका : तारे का जन्म।". हबलसाइट. नासा. 24 अप्रैल 2007. अभिगमन तिथि: 20 नवम्बर 2020.
- ↑ जोन, के॰ जी॰ (मार्च 1969). "निहारिकाओं की खोज - VI". "ब्रिटिश खगोलशास्त्रीय संघ की पत्रिका". 79: 213–222. बिबकोड:1969JBAA...79..213J.