कृष्णागथा

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कृष्णगाथा मलयालम भाषा में लिखी गई 15वीं शताब्दी की एक कविता है;[1]यह काव्य रूप गाथा से संबंधित है। माना जाता है कि कविता के लेखक चेरुश्शेरि नंपूतिरि थे, जो भारत के केरल में वटकरा के पास चेरुसेरी में रहते थे, यह कृष्ण की कहानी से संबंधित है।

विशेषताएँ [संपादित करें]

यह मलयालम भाषा में लिखा गया था, उस समय जब साहित्यिक रचनाएँ आमतौर पर संस्कृत या तमिल में लिखी जाती थीं।

कविता दूसरे अक्षर और तीसरे अक्षर में तुकबंदी को महत्व देती है। इसमें कुछ शब्द और वाक्यांश हैं जो अब मलयालम भाषा में उपयोग नहीं किए जाते हैं। इसमें कुछ कहावतों के प्राचीन रूप भी हैं।

यह उपमा, उत्प्रेक्षा और रूपकम जैसे संस्कृत भाषा के अधिकांश भाषणों का उपयोग करता है। छंद मंजरी में कविता लिखी गई है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Judy Wakabayashi; Rita Kothari (2009). Decentering Translation Studies: India and Beyond. John Benjamins Publishing. पपृ॰ 43–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-90-272-2430-9.