कृपा शंकर शुक्ल
कृपा शंकर शुक्ल (10 जुलाई 1918-22 सितंबर 2007) भारतीय गणित के इतिहासकार थे। "सातवीं शताब्दी में भारत में खगोल विज्ञान : भास्कर और उनके ग्रन्थ" पर उनके शोधपत्र के लिए उन्हें 1955 में लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट. की डिग्री से सम्मानित किया गया था। यह शोधकार्य उन्होंने ए. एन. सिंह के मार्गदर्शन में पूरी की थी। वे 1979 में सेवानिवृत्त हुए।[1][2]
कृपाशंकर शुक्ल ने भारतीय गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुवाद, टीकाओं, स्पष्टीकरणों के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण स्रोत कृतियों का प्रकाशन किया। उन्होंने भारत में गणित के ऐतिहासिक विकास के बारे में पहले से अज्ञात अनेक तथ्यों को सामने लाते हुए बड़ी संख्या में शोधपत्र भी लिखे। लखनऊ विश्वविद्यालय में अपने आधिकारिक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने अपना सक्रिय शोध जारी रखा। शुक्ल ने जापान के युकियो ओहशी (1955-2019) सहित कई शोध विद्वानों के शोध कार्य की देखरेख की, जिनके शोध प्रबंध का शीर्षक "भारत में खगोलीय उपकरणों का इतिहास" था।[3][4]
प्रकाशन
[संपादित करें]कृपाशंकर शुक्ल द्वारा सामने लाये गए स्रोत ग्रन्थ
[संपादित करें]शुक्ल द्वारा निकाले गए महत्वपूर्ण स्रोत ग्रन्थों में मुख्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैंः
- सूर्य-सिद्धान्त , परमेश्वर की टीका के साथ (1957) [1]
- श्रीधराचार्य की पाटीगणित (1959) [2]
- भास्कर प्रथम का महाभास्करीय (1960) [3]
- भास्कर प्रथम का लघुभास्करीय (1963) [4]
- श्रीपति का धीकोटिदकरण (1969)
- नारायण पंडित का बीजगणितावतंस (1970)
- आर्यभट की आर्यभटीय (1976) [5]
- भास्कर प्रथम और सोमेश्वर की टीका के साथ आर्यभट का आर्यभटीय (1976)
- देवाचार्य का करणरत्न (1979) [6]
- वटेश्वर कृत वटेश्वरसिद्धान्त और गोल (2 भागों में) [7]
- मंजुल का लघुमानस (1990) [8]
- गणितपञ्चविंशी (मरणोपरान्त प्रकाशित) (2017)
शोध पत्र
[संपादित करें]आदित्य कोलाचन, के. महेश और के. रामसुब्रमण्यन ने 2019 में "स्टडीज इन इंडियन मैथमैटिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी" शीर्षक से कृपाशंकर शुक्ल के चुने हुए लेखों का संग्रह निकाला है जिसमें 754 पृष्ठ हैं।।[5]
पुरस्कार और सम्मान
[संपादित करें]कृपाशंकर शुक्ल प्रदान किये गये प्रमुख पुरस्कार निम्नलिखित हैं-
- लखनऊ विश्वविद्यालय के बनर्जी अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित।
- 1984 में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फेलो निर्वाचित
- 1988 में पेरिस की अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान इतिहास अकादमी के एक संगत सदस्य के रूप में चुने गये।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Radha Charan Gupta (1998). "Dr. Kripa Shankar Shukla, veteran historian of Hindu astronomy and mathematics". Ganita Bharati. 20 (1–4).
- ↑ Yukio Ohashi (2008). "Obituary: Kripa Shankar Shukla (1918–2007)". Indian Journal of History of Science. 43 (3): 475–485.
- ↑ Michio Yano (March 2020). "Obituary to Dr Yukio Ôhashi" (PDF). Indian Journal of History of Science. 55 (1). अभिगमन तिथि: 2 August 2023.
- ↑ Yukio Ohashi (1995). "Prof. K. S. Shukla's contribution to the study of the history of Hindu astronomy". Ganita Bharati. 17 (1–4): 29–44.
- ↑ Aditya Kolachana, K. Mahesh, K. Ramasubramanian (2019). Studies in Indian Mathematics and Astronomy: Selected Articles of Kripa Shankar Shukla. New Delhi: Hindustan Book Agency/Springer. अभिगमन तिथि: 2 August 2023.
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