कृत्रिम बारिश

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नाभिकीय मेघ-बीजन स्थलिक जनित्र, हवाई जहाज या रॉकेट द्वारा किया जा सकता है
Cloud Seeding
कृत्रिम बारिश की व्याख्या करने वाली यह तस्वीर दिखाती है कि कैसे बादलों पर छिड़के गए रसायन जैसे कि सिल्वर आयोडाइड या हिमीकृत कार्बन डाइऑक्साइड, बादल को बारिश की बौछार में बादल देते हैं। ऊपरी-दाएं में तस्वीर बादल पर छिड़के गए रसायनों के फलस्वरूप बादल में होने वाली संक्षेपण की प्रक्रिया को दर्शाती है।[1]

कृत्रिम बारिश, मेघ-बीजन या बादल की बुआई (अंग्रेजी; Cloud seeding क्लाउड सीडिंग) एक प्रकार का मौसम संशोधन है जिसका उद्देश्य हवा में मेघ संघनन या बर्फ के नाभिक के रूप में काम करने वाले पदार्थों को फैलाकर, बादलों के भीतर होने वाली सूक्ष्म प्रक्रियाओं को बदल कर, उनसे गिरने वाले वर्षण की मात्रा या प्रकार को बदलना है। आम तौर पर कृत्रिम बारिश से आशय वर्षा (बारिश या बर्फ) को बढ़ाना है, लेकिन हवाई अड्डों जैसी जगहों पर जहाँ मौसम की स्थिति परिचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, वहाँ ओलावृष्टि रोकने और धुंध हटाने में भी व्यापक रूप से कृत्रिम बारिश को अपनाया जाता है।

प्रकृति में कृत्रिम बारिश, बर्फ के नाभिकों के कारण भी होती है, जिनमें से अधिकांश का मूल जीवाणु होते हैं।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Sources for image: Fletcher Boland Archived 2016-03-03 at the वेबैक मशीन
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर