कुंद बल चोट
वह चोट जो कुंद बल के लगने से होती है कुंद बल चोट कहलाती है। जैसे कि नील पड़ना, खरोंच लगना इत्यादि कुंद बल चोट के उदहारण हैं।
कुंद बल चोट के प्रकार
[संपादित करें]कुंद बल चोट के प्रकार इस तरह से हैं:
खरोंच
[संपादित करें]इस प्रकार कि चोट में त्वचा कि बहारी परत खुरच जाती है। उदहारण के तौर पर ऐसे कि किसी दीवार कों घसीटने कि वजह से बहारी त्वचा का खिंच जाना या खरोंच लग जाना।
नील पड़ना
[संपादित करें]जब त्वचा या आन्तरिक अंगों में खून कि वाहिकाएं बहने लगती है तो त्वचा कि वह सतह नीली नज़र आने लगती है। ऐसा खून कि वाहिकाओं के बहने कि वजह से होता है जब किसी आन्तरिक अंग कों चोट लगती है तथा बहारी त्वचा में कोई खरोंच इत्यादि नहीं दिखाई देती। ऐसा कुंद बल चोट के कारण होता है।
नील का रंग समय के साथ बदलता रहता है। तथा समय के साथ यह खुद ही ठीक भी होने लगता है।
पंगु बनना
[संपादित करें]कुंद बल कि वजह से जब त्वचा कट या फट जाती है तो उसे लेसरेजन या पंगु बनना कहा जाता है। यह चोट देखने में ऐसी लगती है जैसे किसी नुकीले हथियार से बनाई गयी हो, पर असल में ऐसा नहीं होता। पंगु बन्ने की दिशा से हमे आसानी से ये अनुमान लग सकता है कि बल किस दिशा में लगाया गया था।