किशना राम नाई

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किशना राम नाई

पद बहाल
2013–2018
पूर्वा धिकारी मंगला राम गोदारा
उत्तरा धिकारी गिरधारीलाल महिया
चुनाव-क्षेत्र डूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान)

जन्म 1 जनवरी 1935 (1935-01-01) (आयु 89)
डूंगरगढ़, राजस्थान,
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगी मुकना देवी (मूमल)
बच्चे पुत्र मदन,जीवराज पुत्रियां सिता,शारदा,भँवरी,लिछ्मा
निवास के.आर.नाई फार्म हाउस नेशनल हाइवे 11 डूंगरगढ़
व्यवसाय समाज सेवक, किसान

किशना राम नाई (जन्म 1 जनवरी 1935) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो राजस्थान के डूंगरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित सदस्य हैं।

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

किशनाराम नाई का जन्म 1 जनवरी 1935 को श्रीडूंगरगढ़ में हुआ था। वह एक साधारण नाई परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता का नाम बस्तीराम नाई और माता का नाम चंदा देवी था, उनका विवाह श्रीडूंगरगढ़ के एक छोटे से गांव भोजास में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम मुकना देवी था। उनके दो बेटे मदन, जीवराज और चार बेटियां सीता, शारदा, भंवरी, लक्ष्मी है ।

राजनीतिक जीवन[संपादित करें]

किशनाराम नाई ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1956 में नगरपालिका पार्षद के रुप में की और लगातार पार्षद, नगरपालिका उपाध्यक्ष एवं अध्यक्ष बने ! उसके बाद यह तत्कालीन श्रीडूंगरगढ़ विधायक स्वर्गीय मोहन लाल जी शर्मा के साथ रहने लगे, उनके साथ जयपुर का आना जाना शुरू हो गया और उसी समय तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोंसिंह जी शेखावत के साथ मुलाकात हो गई और स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत के चहते बन गए, जब 1980 में जन संघ से भाजपा बनी तो किशनाराम नाई को पार्टी मजबूत करने के लिये भैरोसिंह शेखावत ने चूरू की कमान सौंपी ! भारतीय जनता पार्टी बनने के बाद पहली बार दिसम्बर 1980 में विधानसभा चुनाव आए और किशनाराम नाई को श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारा और हार का सामना करना पड़ा! तत्पश्चात 1985 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने किशनाराम नाई को टिकट नहीं दी तो निर्दलीय चुनाव लडा और इसी में भी हार का सामना करना पड़ा !

लेकिन किशनाराम नाई को 1990 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने वापिस अपना उम्मीदवार बनाया, राजस्थान के दिग्गज नेता कुंभाराम आर्य को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे ! लेकिन यह कार्यकाल राम मंदिर निर्माण के बवाल के मात्र दो वर्ष छः महीने चला और वापिस 1993 में विधानसभा चुनाव में किसनाराम नाई को ही उम्मीदवार बनाया और केंद्रीय कपड़ा मंत्री दिग्गज नेता दौलतराम सारण को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे ! 1998 के चुनाव में पार्टी ने वापस  अपना उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन एंटी इनकंबेंसी के कारण हार का सामना करना पड़ा ! 2003 में टिगट लेकर वापस चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के नेताओं के इशारे पर ताराचंद सारस्वत निर्दलीय चुनाव लड़ा और किशनाराम नाई को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन किशनाराम नाई हार से डर कर पीछे नहीं हटे ! क्षेत्र में डटे रहे और 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें टिकट नहीं दी तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहकर कांग्रेस के प्रत्याशी को चुनौती दी, फिर भारतीय जनता पार्टी ने वापिस 2013 में किशनाराम नाई को टिकट दी और तीन बार के विधायक मंगलाराम गोदारा को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे !

दिसंबर 2018 के चुनाव में उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर कॉमरेड गिरधारीलाल महिया को समर्थन देकर उन्हें विधानसभा भेजा !

किशनाराम नाई नगरपालिका अध्यक्ष, भाजपा के चुरु से दो बार जिला अध्यक्ष एवं बीकानेर देहात से दो बार जिला अध्यक्ष रहे ! भाजपा प्रदेश मंत्री रहे, बहुत बार लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के प्रभारी भी रहे ! नाई समाज के 14 साल प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे हैं !

आजीविका[संपादित करें]

किशनाराम नाई एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और वे श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा से तीन बार विधायक रहे हैं और बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे हैं और श्रीडूंगरगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष भी रहे हैं और चार बार बीजेपी जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. उन्हें 2018 में भारतीय जनता पार्टी से निलंबित कर दिया गया था [1] श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आज किशनाराम नाई और उनके पौत्र आशीष जाड़ीवाल सक्रिय राजनीति कर रहे हैं.

वर्तमान राजनीतिक सक्रियता[संपादित करें]

किशनाराम नाई ने फिलहाल अपने पोते आशीष जाड़ीवाल को राजनीति में सक्रिय रखा है और श्रीडूंगरगढ़ से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

आशीष जाड़ीवाल भी अपने दादा किशनाराम नाई के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं और अपने दादा और जनता के आशीर्वाद से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। आशीष जाड़ीवाल निर्दलीय पार्षद भी रह चुके हैं और 2013 के विधानसभा चुनाव में स्वराज यात्रा के प्रभारी भी रह चुके हैं. आशीष जाड़ीवाल अपने दादा की तरह गरीब शोषित पीड़ित की आवाज बनकर आगे आते रहते हैं।

शौक[संपादित करें]

• गाय, कुत्ते और मूक पशु-पक्षियों की सेवा करना

• दीन-दुखियों की सेवा करना

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "Rajasthan assembly polls 2018: Denied tickets, rebels look to derail plans of BJP, Congress". www.hindustantimes.com. अभिगमन तिथि 2023-03-08.
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