कार्तिक शुक्ल सप्तमी

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सहस्त्रार्जुन जन्मोत्सव (कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी) भारतीय पंचांग [1] के अनुसार दीपावली के बाद सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, वर्षान्त में अभी १४३ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। जिनमे से एक प्रमुख रूप कार्तीवीर्य जन्मोत्सव मनाई जाती है।

इस दिन कार्तवीर्य अर्जुन के जन्म लेने के कारण इस माह को कार्तिक मास भी कहा जाता है ऐसी मान्यता भी प्रचलित है।

दिपावली के सांतवे भारतीय पंचांग के अनुसार से इस दिन महा शूरवीर न्यायप्रिय चक्रवर्ती सम्राट सहस्त्रार्जुन जी का जन्म हुआ था।

आवश्यक जानकारी; जायसवाल समाज भी हैहयवंशी क्षत्रिय कुल के अभिन्न अंश है, जो इस दिन को धूम धाम से मनाते है। महाराज सहस्त्रार्जुन कुल पूर्वज है।

सहस्रार्जुन जन्मोत्सव एक पर्व और उत्सव के तौर पर क्षत्रिय धर्म की रक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए मनाई जाती है।

पर्व एवं उत्सव[संपादित करें]

(सहस्त्रार्जुन जन्मतिथि/जन्मोत्सव)कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि को हैहयवंश के शूरवीर सम्राट सहस्त्रार्जुन महाराज जी का जन्मोत्सव धूम धाम से समस्त क्षत्रिय परिवार मनाते है।

इस दिन 101 द्वीप प्रज्ज्वलन से धन की वर्षा होती है,और घर के रोग विकार से मुक्ति मिलती है।

पारना (छठ महापर्व)

प्रमुख घटनाएँ[संपादित करें]

कार्तीवीर्य अर्जुन की प्रमुख घटना वह 21 दिन परशुराम जी से युध्द चलना है।

परशुराम जी की माता रेणुका व कार्तीवीर्य अर्जुन(सहस्त्त्रार्जुन की पत्नी) दोनो सगी बहने थी।

यह युध्द बस वर्चश्व की प्राप्ति के लिए हुआ था,जिसमे 21 दिन चारो ओर लहु लुहान धरती हुई। क्योकि कामधेनु जैसी चमत्कारिक गाय एक ब्राह्मण के किस काम पर हैहयवंशी राजकुमारो ने किसी भी मूल्य मे प्राप्त करना चाहा था,मुँह मांगा मुद्रा भी चुकानी चाही,लेकिन जमदग्नि के न मानने पर इसे राजद्रोह घोषित कर दिया हैहयवंशी राजकुमारो ने(कार्तीवीर्य अर्जुन के भाई)ने और जमदग्नि का वध कर दिया,और कामधेनु गाय को राजधानी ले गये,यह उद्देश्य से कि ऐसी चमत्कारिक गाय से प्रजा का पालन अत्यंत सहज हो जाएगा।

परशुराम अपने पिता जमदग्नि के वध की सूचना मिलने पर,अत्यंत व्याकुल हो गये और अपना आपा खो दिया


वही गाय युध्द का कारण बनी। युध्द मे अत्यंत क्षति को देखते हुए, अंतत: कार्तीवीर्य अर्जुन(सहस्त्राबाहु) को अपने गुरू दत्तात्रेय के आग्रहानुसार शिवलिंग मे समाहित होना पड़ा जिससे परशुराम जी का क्रोध शांत हो जाएं।

सहस्त्राबाहु माहिष्मती के शिवलिंग मे आज भी विराजमान है।

ससस्त्राबाहु स्वयं सुदर्शन चक्र के पूर्णावतार है। सुदर्शन चक्र ने 3 अवतार लिए। 1.भगवान विष्णु के पुत्र हैहय हैहयवंश के सहस्त्राबाहु 2.भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न 3.महाभारत के अर्जुन

जन्म[संपादित करें]

कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी पर हैहयवंश के शूरवीर सम्राट कार्तीवीर्य अर्जुन का जन्म हुआ था।

इस दिन द्वीप प्रज्जवलन से घर मे सुख शांति व समृद्धि की वृध्दि होती है।

निधन[संपादित करें]

कार्तीवीर्य अर्जुन का निधन नही हुआ, वह स्वत: अन्तर्ध्यान हो गये माहिष्मती के शिवलिंग में।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाह्य कड़ीयाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अक्तूबर 2016.