कांगो द्रोणी
कांगो द्रोणी (Congo Basin) मध्य अफ़्रीका में बहने वाली कांगो नदी की अवसादी द्रोणी व जलसम्भर क्षेत्र है। इस द्रोणी के इलाक़े को कभी-कभी सरल-रूप से कांगो क्षेत्र भी कहा जाता है।
भूगोल व वातावरण
[संपादित करें]कांगो जलसम्भर पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट की ऊँचाईयों में आरम्भ होता है, जहाँ चाम्बेशी नदी (Chambeshi River), उएले नदी (Uele River) और उबांगी नदी (Ubangi River) बहती हैं। जलसम्भर के मध्य क्षेत्रों में लुआलाबा नदी (Lualaba River) बहती है। भूवैज्ञानिक रूप से पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट में अभी भी ऊँचाई बढ़ रही है जिस से जल में तलछट (सेडिमेन्ट) का प्रवाह बहुत अधिक है हालांकि ऐसा आमतौर पर बहुत ऊँचाईयों से आनी वाली नदियों में अधिक पाया जाता है और कांगो जलसम्भर अधिकतर एक कम ऊँचाई वाला क्षेत्र है।[1] कुल मिलाकर कांगो द्रोणी ३७ लाख वर्ग किमी पर विस्तृत है और इसमें विश्व के सबसे बड़े अबाधित वर्षावनों के समूहों में से कुछ और फैले हुए आर्द्रभूमि क्षेत्र पाये जाते हैं। द्रोणी का अंत कांगो नदी द्वारा गिनी की खाड़ी में अटलांटिक महासागर के विलयस्थल पर होता है। पूरे जलसम्भर क्षेत्र में सालभर मौसम भूमध्यरेखीय-ऊष्णकटिबन्धीय (इक्वॉटोरियल-ट्रॉपिकल) होता है, जिसमें दो वर्षा के मौसम और हर समय गरमी रहती है। यह द्रोणी पश्चिमी निम्नभूमि गोरिल्ला (Western Lowland Gorilla) का निवासक्षेत्र है, जो एक विलुप्तप्राय जाति है।
लोग व इतिहास
[संपादित करें]कांगो द्रोणी कई पिग्मी जातियों की मातृभूमि रही है जिसमें बांटू लोग समय के साथ आ बसे और उन्होंने कांगो राज्य की स्थापना करी। १९वीं शताब्दी के अंत में बेल्जियम, फ़्रांस और पुर्तगाल ने यहाँ अपने उपनिवेश बना लिये। १९६०-१९८० काल में यह सभी उपनिवेश स्वतंत्र देशों के रूप में उभरे।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Mineral deposits & Earth evolution. Geological Society. 2005. ISBN 978-1-86239-182-6.