कर्मवीर (पत्रिका)

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कर्मवीर एक हिन्दी पत्रिका थी। पत्रकारिता के पितृ पुरूष माधवराव सप्रे की प्रेरणा से इसका प्रथम प्रकाशन १७ जनवरी १९२० को जबलपुर से हुआ। इसके प्रथम सम्पादक माखनलाल चतुर्वेदी थे। नवम्बर १९२२ तक यह जबलपुर से निकलती थी किन्तु बाद में खण्डवा से प्रकाशित हुई।

१७ जनवरी १९२० के पहले ही अंक में चतुर्वेदीजी ने लिखा-

हमारी ऑखों में भारतीय जीवन गुलामी की जंजीरों से जकड़ा दीखता है। हृदय की पवित्रता पूर्वक हर प्रयत्न करेंगे कि वे जंजीरें फिसल जायें या टुकड़े-टुकड़े होकर गिरने की कृपा करें। हम जिस तरह भीरूता नष्ट कर देने के लिये तैयार हेंगे उसी तरह अत्याचारों को भी। किन्तु भीरू और अत्याचारी दोनों ही हमारे होंगे और उनको दुनिया से हटा देने के लिए नहीं, उनकी प्रवृत्तियों को हटा देने के लिये हम उनसे लड़ते रहेंगे। हम स्वतंत्रता के हामी है। मुक्ति के उपासक हैं। राजनीति में या समाज में साहित्य में या धर्म में जहॉ भी स्वतंत्रता का पथ रोका जाएगा, ठोकर मारने वाले का पहला प्रहार और घातक शस्त्र पहला वार आदर से लेकर मुक्त होने के लिये प्रस्तुत रहेंगे।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "कर्मवीर के अग्रलेख : राष्ट्रीय पत्रकारिता की गरिमा और नैतिक शक्ति के जीवंत दस्तावेज". मूल से 2 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मई 2018.