कबूतरी देवी
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कबूतरी देवी | |
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![]() कबूतरी देवी का एक चित्र | |
जन्म |
कबूतरी 1945 काली-कुमाऊँ, चम्पावत जिला, उत्तराखंड |
मौत |
7 जुलाई 2018 जिला अस्पताल पिथौरागढ़, उत्तराखंड |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | लोक गायिका |
जीवनसाथी | स्व. दीवानी राम |
बच्चे | एक पुत्री |
संबंधी | स्व. देवी राम (पिता) |
पुरस्कार | छोलिया महोत्सव सम्मान (नवोदय पर्वतीय कला केन्द्र, पिथौरागढ़, 2002) एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित। |
कबूतरी देवी (1945 - 7 जुलाई 2018), एक भारतीय उत्तराखंडी लोकगायिका थीं। उन्होंने उत्तराखंड के लोक गीतों को आकाशवाणी और प्रतिष्ठित मंचों के माध्यम से प्रसारित किया था। सत्तर के दशक में उन्होंने रेडियो जगत में अपने लोकगीतों को नई पहचान दिलाई। उन्होंने आकाशवाणी के लिए लगभग 100 से अधिक गीत गाए। कुमाऊं कोकिला के नाम से प्रसिद्ध कबूतरी देवी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित थीं।[1]
प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]कबूतरी का जन्म 1945 में काली-कुमाऊं (चम्पावत जिले) के एक मिरासी (लोक गायक) परिवार् में हुआ था। संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा इन्होंने अपने गांव के देब राम और देवकी देवी और अपने पिता श्री रामकाली जी से ली, जो उस समय के एक प्रख्यात लोक गायक थे। लोक गायन की प्रारम्भिक शिक्षा इन्होंने अपने पिता से ही ली। वे मूल रुप से सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लाक के क्वीतड़ गांव की निवासी थीं, जहां तक पहुंचने के लिये आज भी अड़किनी से 6 कि०मी० पैदल चलना पड़ता है।[2]
करियर
[संपादित करें]कबूतरी देवी ने लोक गायन की प्रारम्भिक शिक्षा इन्होंने अपने पिता से ही ली। पहाड़ी गीतों में प्रयुक्त होने वाले रागों का निरन्तर अभ्यास करने के कारण इनकी शैली अन्य गायिकाओं से अलग है। विवाह के बाद इनके पति श्री दीवानी राम जी ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और इन्हें आकाशवाणी और स्थानीय मेलों में गाने के लिये प्रेरित किया। उस समय तक कोई भी महिला संस्कृतिकर्मी आकाशवाणी के लिये नहीं गाती थीं। उन्होंने पहली बार उत्तराखंड के लोकगीतों को आकाशवाणी और प्रतिष्ठित मंचों के माध्यम से प्रचारित किया था। 70-80 के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से प्रसारित कुमांऊनी गीतों के कार्यक्रम से उनकी ख्याति बढ़ी। उन्होने पर्वतीय लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया था। उन्होने आकाशवाणी के लिए करीब 100 से अधिक गीत गाए। उन्हें उत्तराखण्ड की तीजन बाई कहा जाता है। जीवन के 20 साल गरीबी में बिताने के बाद 2002 से उनकी प्रतिभा को सम्मान मिलना शुरू हुआ। [3] पहाड़ी संगीत की लगभग सभी प्रमुख विधाओं में पारंगत कबूतरी देवी मंगल गीत, ऋतु रैण, पहाड़ के प्रवासी के दर्द, कृषि गीत, पर्वतीय पर्यावरण, पर्वतीय सौंदर्य की अभिव्यक्ति, भगनौल न्यौली जागर, घनेली झोड़ा और चांचरी प्रमुख रूप से गाती थी।[4]
मृत्यु
[संपादित करें]पांच जुलाई 2018 को अस्थमा व हार्ट की दिक्कत के बाद रात्रि एक बजे कबूतरी देवी को पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल में दाखिल करवाया गया था।[5] उनकी बिगड़ती हालत को देखकर 6 जुलाई को डॉक्टरों ने देहरादून हायर सेंटर रेफर किया था। लेकिन धारचूला से हवाई पट्टी पर हेलीकॉप्टर के न पहुंच पाने के कारण वह इलाज के लिए हायर सेंटर नहीं जा पाई।[6] इस दौरान उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें वापस जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके बाद अगले दिन सुबह 10:24 बजे उनका निधन हो गया। 8 जुलाई 2018 को रामेश्वर घाट में सरयू नदी के किनारे उनकी अंत्येष्टि की गई।[7]
सम्मान
[संपादित करें]उन्होंने अपने 20 साल अभावों में गुजारें, वर्ष 2002 में उन्हें नवोदय पर्वतीय कला केन्द्र, पिथौरागढ़ ने छोलिया महोत्सव में बुलाकर सम्मानित किया तथा लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति ने उन्हें अल्मोड़ा में सम्मानित किया।[8] इसके अलावा इन्हें पहाड संस्था ने भी सम्मानित किया। उत्तराखण्ड का संस्कृति विभाग भी उन्हें प्रतिमाह पेंशन देता था।[3] 2016 में 17वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड सरकार ने उन्हें लोकगायन के क्षेत्र में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया था।[9]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "नहीं रही उत्तराखंड की पहली महिला लोक गायिका कबूतरी". Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ "राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कबूतरी देवी नहीं रहीं, आइए जानते हैं संघर्षों से भरा उनका जीवन". 7 जुलाई 2018. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ अ आ "कबूतरी देवी : उत्तराखण्ड की पहली लोक गायिका". 11 मार्च 2010. Archived from the original on 16 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ "गीतों के गायन में वाद्य यंत्रों की मोहताज नहीं थी कुमाऊं कोकिला". हल्द्वानी ब्यूरो. बागेश्वर: अमर उजाला. 7 जुलाई 2018. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ "अस्थमा व हार्ट की दिक्कत से जूझती रही कबूतरी देवी". पिथौरागढ: हिंदुस्तान. 7 जुलाई 2018. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ "उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका कबूतरी देवी ने दुनिया को कहा अलविदा". पिथौरागढ: हिंदुस्तान. 7 जुलाई 2018. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ "बेटी ने दी मां कबूतरी देवी की चिता को मुखाग्नि". पिथौरागढ़: हिंदुस्तान. 8 जुलाई 2018. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ महेश, पाण्डे (7 जुलाई 2018). "कबूतरी देवी: पहाड़ के गांव से रेडियो स्टूडियो तक का सफर". पिथौरागढ़: नवभारत टाइम्स. Archived from the original on 18 जुलाई 2018. Retrieved 18 जुलाई 2018.
- ↑ GOVT FELICITATES EIGHT PERSONS WITH UTTARAKHAND RATNA Archived 2018-07-18 at the वेबैक मशीन द पायनियर