कपार्ट

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

भारत के ग्रामीण विकास में स्‍वयंसेवी क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण भूमिका है जो समुदाय और व्‍यक्तियों के बीच बदलाव की पहल और विशिष्‍ट मुद्दों के प्रत्‍यक्ष कार्यान्‍वयन के जरिए कार्य करता है। कपार्ट (लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद) ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देशों के अंतर्गत कार्य करता है। आज यह संस्‍था भारत में ग्रामीण विकास को फैलाने में बड़ा योगदान करती है। समस्‍त देश में 12,000 स्‍वयंसेवी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विकास कार्यक्रमों को आरंभ किया गया है

कपार्ट की स्‍थापना दो ए‍‍जेंसियों को मिला कर हुई हैं – 'काउंसिल ऑफ एडवांसमेंट फॉर रूरल टेक्‍नोलॉजी' (सीएआरटी) तथा पीपल्‍स एक्‍शन फॉर डेवलपमेंट (पीएआईडी)। कपार्ट 1980 के संस्‍था पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक स्‍वायत्त संस्‍था मानी गई।

कपार्ट की सप्‍तम योजना के प्रस्‍तुतीकरण में स्‍वयंसेवी क्षेत्र की संस्‍थाओं को 1986 में औपचारिक पहचान मिली जब ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक सरकारी तथा स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों के बीच सहायक समितियों के वर्गीकरण तथा सामंजस्‍य के लिए सहयोग किया गया।

उद्देश्‍य[संपादित करें]

कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यप्रणाली के सुधार का उद्देश्‍य लेकर कार्यरत है, विशेषतया समाज के दलित तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए कार्यरत है। अत: गरीबी रेखा के स्‍तर से नीचे वाले लोगों, अनुसूचित जाति तथा जन‍जाति के लोगों, बंधुआ मज़दूरों, अपंगों, बच्‍चों तथा स्त्रियों को प्रमुखता देना कपार्ट का प्रमुख उद्देश्‍य है।

कपार्ट के प्रमुख उद्देश्य हैं :

  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्‍थायी विकास योजनाओं के कार्यान्‍वयन में स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को सहयोग देना।
  • उचित ग्रामीण तकनीकी के विकास की योजना को राष्‍ट्रीय नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना।
  • स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों की क्षमता निर्माण तथा ग्रामीण समुदायों द्वारा ग्रामीण विकास में भाग लेने वाले स्‍वयंसेवी संगठनों को सहयोग और पुरस्‍कार देना।
  • स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों की प्रौद्योगिकी तथा ग्रामीण विकास के लिए डेटा बैंक के रूप में कार्य करना तथा निपटारा कराने की प्रक्रिया।
  • विकास के लिए सामुदायिक कार्यविधियां उपलब्‍ध कराना।
  • महत्‍वपूर्ण विकास विषयों पर ज्ञान का निर्माण कराना ग्रामीण-स्‍तरीय जनसमूह तथा संगठनों का निर्माण तथा सशक्तिकरण।
  • समुचित प्रौद्योगिकी ग्रामीण तकनीक का प्रचार तथा प्रसार।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में उचित अवसर प्रदान करना तथा आर्थिक निर्भरता देना।
  • आधारभूत आवश्‍यकताओं की पूर्ति के साधनों को सामुदायिक रूप से उपलब्‍ध कराना।
  • प्राकृतिक संसाधनों और वातावरण को सुरक्षित रखना तथा पुनर्निर्मिति करना।
  • नि:शक्‍तों तथा लाभ से वंचित महिलाओं तथा अन्‍य जनसमूह को विकास कार्यक्रम में भाग लेने योग्‍य बनाना।

इन उद्देश्यों के साथ-साथ कपार्ट आर्थिक तथा प्राकृतिक सहयोग द्वारा विकास योजनाओं को पूर्ण रूप से फैलाने तथा बड़े पैमाने पर सुचारू रूप से चलाने वाले स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को सहयोग प्रदान करता है।

कपार्ट भारत सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर धनराशि प्राप्‍त करता है। इसे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को चलाने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय दाताओं का सहयोग भी मिलता है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]