कनेम-बोर्नु साम्राज्य
कनेम साम्राज्य | |||||||||||||||
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ल. 700–1380 | |||||||||||||||
![]() 1200 ई. के आसपास कनेम साम्राज्य का प्रभाव | |||||||||||||||
राजधानी | मनन (12वीं शताब्दी तक)
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प्रचलित भाषा(एँ) | कनूरी, टेडा | ||||||||||||||
धर्म | जीववाद, बाद में सुन्नी इस्लाम | ||||||||||||||
सरकार | राजशाही | ||||||||||||||
सैफवा राजवंश | |||||||||||||||
• ल. 700 | सेफ़ | ||||||||||||||
• 1085-1097 | हुम्मय | ||||||||||||||
• 1097-1150 | दुनामा प्रथम | ||||||||||||||
• 1382–1387 | ओमर प्रथम | ||||||||||||||
ऐतिहासिक युग | मध्य युग | ||||||||||||||
• 700 | ल. 700 | ||||||||||||||
• आक्रमण किया गया और स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया गया जिससे नया बोर्नु साम्राज्य स्थापित हुआ। | 1380 | ||||||||||||||
क्षेत्रफल | |||||||||||||||
777,000 कि॰मी2 (300,000 वर्ग मील) | |||||||||||||||
मुद्रा | कपड़ा, कौड़ी सीप, तांबा | ||||||||||||||
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कनेम-बोर्नु साम्राज्य जिस क्षेत्र में था वह वर्तमान समय में नाइजीरिया, नाइजर, कैमरून, लीबिया और चाड का हिस्सा है। 8वीं शताब्दी के अरबी भूगोलवेत्ता इसे कनेम साम्राज्य के नाम से जानते थे और 1900 तक यह बोर्नु (बोर्नु साम्राज्य) के स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में रहा।
व्युत्पत्ति
[संपादित करें]कनेम त्रिपोली और चाड झील क्षेत्र के बीच ट्रांस-सहारा व्यापार मार्ग के दक्षिणी छोर पर स्थित था। इसमें शहरी अभिजात वर्ग के अलावा टेडा-दाज़ा समूह, तौबौ लोगों या बर्बर लोगों की भाषा बोलने वाले खानाबदोश लोगों का एक संघ भी शामिल था। 8वीं शताब्दी में, वहब इब्न मुनब्बीह ने टेडा-टूबू समूह का वर्णन करने के लिए 'ज़ागहवा' शब्द का प्रयोग किया। यह जातीय नाम का सबसे पहला प्रयोग था। 9वीं शताब्दी में अल-ख़्वारिज़्मी ने भी 'ज़गहवा' का उल्लेख किया है। 10वीं शताब्दी में इब्न अल-नादिम ने अपने अल-फ़िह्रिस्त इस शब्द का उल्लेख किया था।
कनेम एक भौगोलिक पारिभाषिक शब्द है जो 'एनेम' से व्युत्पन्न हुआ है जिसका टेडा और कनूरी भाषाओं में अर्थ है - "दक्षिण"। प्रथम सहस्राब्दी में सहारा में भयंकर सूखा पड़ा। इसके परिणामस्वरूप कानेम्बू बोलने वाले लोग दक्षिण में कनेम में चले गए। इनसे ही कनूरी समुदाय बना। कनूरी परम्पराओं के अनुसार ज़घवा राजवंश ने मगुमी नामक खानाबदोशों के एक समूह का नेतृत्व किया था।[1] सहारा के सूखने के कारण दो बस्तियाँ बनीं। एक झील चाड के उत्तर-पूर्व में टेडा-डाज़ा बोलने वाली बस्तियाँ और दूसरी झील के पश्चिम में बोर्नु और हौसालैंड में चाडिक भाषा बोलने वाली बस्तियाँ।[2]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ फेज़, जॉन डॉनेल्ली John Donnelly; ओलिवर, रोलैंड (1978). द हिस्ट्री ऑफ़ अफ़्रीका. कैंब्रिज, लंदन: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रैस. p. 667. ISBN 0-521-21592-7.
- ↑ अजायी, जे. एफ़. ऐदे; क्राउडर, मिशेल (1972). हिस्ट्री ऑफ़ वैस्ट अफ़्रीका. न्यूय़ॉर्क: कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रैस. p. 168. ISBN 0-231-03628-0.