नेत्र शोथ

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नेत्र शोथ
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
विषाणु संक्रमित नेत्र शोथ वाली आँख
आईसीडी-१० H10.
आईसीडी- 372.0
डिज़ीज़-डीबी 3067
मेडलाइन प्लस 001010
ईमेडिसिन emerg/110 
एम.ईएसएच D003231

नेत्र शोथ (अंग्रेज़ी: Conjunctivitis या "[2] या "Madras eye"[1]) जिसे 'पिंक आई' या 'कंजंक्टिवाइटिस' भी कहा जाता है;[2] आँख की बाहरी पर्त कंजंक्टिवा और पलक के अंदरूनी सतह के संक्रमण को कहते हैं। साधारण भाषा में इसे "आँख आना" भी कहते हैं। यह प्रायः एलर्जी या संक्रमण (सामान्यतः विषाणु किंतु यदा-कदा जीवाणु[3] से) द्वारा होता है। यह संक्रमण अधिकांशतः मानवों में ही होता है, किंतु कहीं कहीं कुत्तों में भी पाया गया है। कंजंक्टिवाइटिस को बोलचाल की भाषा में आँख आना कहते हैं।[4] इसकी वजह से आँखें लाल, सूजन युक्त, चिपचिपी [कीचड़युक्त] होने के साथ-साथ उसमें बाल जैसी चुभने की समस्याएं हो सकती हैं।

प्रकार[4][संपादित करें]

कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर तीन प्रकार की होती है:[5]

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस[संपादित करें]

दोनों आँखों से बहुत अधिक कीचड़ आना।[2] आँखों से गाढ़ा पदार्थ निकलता रहता है। इसकी वजह से कई बार सोकर उठने पर पलकें एक साथ चिपक जाती हैं। इसमें डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ड्रॉप्स या ऑइंटमेंट का इस्तेमाल करें।[6]

वायरल कंजंक्टिवाइटिस[संपादित करें]

कीचड़युक्त पानी काम आना, एक आँख से पानी आना।[2] आमतौर पर यह इन्फेक्शन पहले एक आँख में होता है, मगर आसानी से दूसरी आँख में भी फैल सकता है। गुनगुने या फिर नमक मिले पानी अथवा बोरिक एसिड पाउडर से दिन में कई बार आँखों को धोएं। डॉक्टरी सलाह लें।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस[संपादित करें]

दोनों आँखों से पानी आना, खुजली होना और लाली आना।[2] यह आमतौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस में बताए उपायों पर अमल करें।

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस: इसमें बाकी लक्षणों के अलावा

लक्षण[संपादित करें]

  • आँखों का सफेद भाग लाल हो जाना
  • आँखों में खुजली होना
  • आँख से पानी जैसा तरल पदार्थ निकलना

सावधानी[संपादित करें]

बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है।[4] यह परिवार और डॉक्टर की क्लिनिक में आए लोगों में बहुत तेजी से फैल सकता है। यदि आप या आपका बच्चा "आई इंफेक्शन" का शिकार हो गया है, तो परिवार के सभी सदस्य साफ सफाई पर खास तवज्जों दें। अच्छी तरह हाथ धोएं, रोगी के टॉवेल, रूमाल का इस्तेमाल न करें और तकिए का कवर रोजाना बदलें। धैर्य रखें, डॉक्टर के बताएं निर्देशों का पालन करें, कुछ दिनों में कंजंक्टिवाइटिस ठीक हो जाती है।

वायरल कंजंक्टिवाइटिस का कोई इलाज नहीं किया जाता है[2][6] क्योंकि आमतौर पर एक हफ्ते में यह अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें बोरिक एसिड से आँखों को धोना ठीक रहता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस में नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री मेडिकेशन की जरूरत होती है और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में बैक्टीरियल आई ड्रॉप इस्तेमाल करने को कहा जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "बिवेयर, मद्रास आई इज़ हेयर!". द हिन्दू. १२ अक्टूबर, २००८. मूल से 2 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अक्टूबर 2008. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. "बरसात में होने वाली बीमारियां". मूल से 7 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2009.
  3. लैंग्ले जे.एम एडेनोवायरसेज़ पिडियाट्र संस्करभ २००५;२६:२३८-२४२
  4. आँख आने पर Archived 2012-02-03 at the वेबैक मशीन। पत्रिका.कॉम।(हिन्दी)
  5. तड़पाये तरसाये रे.....दिल्ली की गर्मी Archived 2010-01-18 at the वेबैक मशीन। नुक्कड़। १९ मई, २००९(हिन्दी)
  6. [1] Archived 2009-05-19 at the वेबैक मशीननवभारत टाइम्स१२ मई, २०९(हिन्दी)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

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