कंचन चौधरी भट्टाचार्या

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'कंचन चौधरी भट्टाचार्य'
जन्म हिमाचल प्रदेश
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा की जगह दिल्ली विश्वविद्यालय
पेशा आईपीएस अधिकारी(1973–2007)
धर्म हिन्दू
जीवनसाथी देव भट्टाचार्य
बच्चे दो पुत्रियाँ
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
वेबसाइट
kanchan4aap.in

कंचन चौधरी भट्टाचार्य (हिन्दी: कंचन चौधरी भट्टाचार्य) उत्तराखंड पुलिस की पूर्व महानिदेशक हैं।थोड़े समय पूर्व इन्होंने राजनीति में कदम रखा और आम आदमी पार्टी]] के उम्मीदवार के रूप में हरिद्वार, उत्तराखंड से 2014]] के [[भारतीय आम चुनाव में भाग लिया। वह एक राज्य की पुलिस महानिदेशक  बनने  वाली पहली महिला है और ३१ अक्टूबर २००७ को  सेवा से सेवानिवृत्त हुई। [1] वह किरण बेदी के बाद इस देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी हैं। [2]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा[संपादित करें]

चौधरी ने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से पढाई की है।[3] बाद में, इन्होंने अपनी पोस्ट-स्नातक स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य में, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के [[इंद्रप्रस्थ कॉलेज]] से पूर्ण की,[4] और[[व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर|व्यवसाय प्रशासन में मास्टर डिग्री वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय ,न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया से १९९३ में ली। [5]

कैरियर[संपादित करें]

उनके पास ३३ वर्ष के कार्य का एक शानदार अनुभव है। वे किसी राज्य की डीजीपी बनने वाली पहली महिला हैं और उन्होंने उत्तराखंड राज्य के डीजीपी के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान की। वह १९७३ में आईपीएस में शामिल होने वाली दूसरी अधिकारी और उत्तर प्रदेश कैडर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं।

उन्हें भारत की ओर से इंटरपोल की बैठक में प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया जोकि कैनकन, मेक्सिको में २००४ में आयोजित की गयी थी। उन्होंने १९८० के बाद से कई विशेष प्रशिक्षणों और पाठ्यक्रमों में भाग लिया, जैसे, छह हफ्ते मानव संसाधन प्रबंधन (NITIE), बॉम्बे में, एक सप्ताह आर्थिक अपराध जांच प्रबंधन सिंगापुर में ब्रिटेन के कॉमनवेल्थ सचिवालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में, और तीन सप्ताह हैदराबादकी राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के उन्नत प्रबंधनक कार्यक्रम में। उत्तराखंड पुलिस की ओर से सर्व भारतीय महिला पुलिस के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने दूसरे महिला पुलिस सम्मेलन की मेजबानी की जिसकी भारत के राष्ट्रपति  द्वारा एक उत्कृष्ट प्रदर्शन के रूप में प्रशंसा की गयी थी। उन्हें अपनी  ईमानदारी और आम आदमी की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता के लिए काफी अधिकारियों के बीच में से डीजीपी चयनित किया गया था। उन्होंने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो की ओर से महिलाओं की पुलिस में भर्ती और प्रशिक्षण जारी रखने जेसे मुद्दों को भारत में पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में उठाया। 

उनके  विभिन्न शौक हैं। वह कविता लिखती हैं और नाटकों में भाग लेती हैं। उन्होंने उड़ान (टीवी श्रृंखला) में अतिथि भूमिका निभायी जोकि उनके जीवन पर आधारित था एवम इसे उनकी बहन कविता चौधरी द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया था।  

पुरस्कार[संपादित करें]

  • राष्ट्रपति पदक लम्बी और मेधावी सेवाओं के लिए १९८९ में.
  •  राष्ट्रपति पदक प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए १९९७ में.
  • राजीव गांधी पुरस्कार हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन और उत्कृष्ट महिला प्राप्तकर्ता २००४

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Chaudhary, first woman DGP, retires". Indianexpress Portal. 31 October 2007. मूल से 7 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मार्च 2017.
  2. "Officer who changed the face of the police". The Hindu. 2012-07-26. मूल से 14 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मार्च 2017. |work= और |newspaper= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  3. "A trip down memory lane". The Tribune (Chandigarh). 12 October 2007. मूल से 29 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मार्च 2017. |work= और |newspaper= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  4. "DU has a lot on its ladies special platter". India Today. 3 June 2009. मूल से 22 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मार्च 2017. |work= और |newspaper= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  5. "About Kanchan Chaudhary Bhattacharya". streeshakti.com. मूल से 12 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मार्च 2017.