ओम जय जगदीश हरे
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इस देश के हिन्दू-सनातन धर्मावलंवी के घरों और मंदिरों में गूंजनेवाले भजनों में प्रमुख है, इसे विष्णु की आरती कहते हैं। हिन्दुओं का मानना है- हजारों साल पूर्व हुए हमारे ज्ञात-अज्ञात ऋषियों ने परमात्मा की प्रार्थना के लिए जो भी श्लोक और भक्ति गीत रचे, ओम जय जगदीश की आरती की भक्ति रस धारा ने उन सभी को अपने अंदर समाहित सा कर लिया है। यह एक आरती संस्कृत के हजारों श्लोकों, स्तोत्रों और मंत्रों का निचोड़ है। लेकिन इस अमर भक्ति-गीत और आरती[1] के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा के बारे में कोई नहीं जानता और न किसी ने उनके बारे में जानने की कोशिश की।
रचयिता
[संपादित करें]ओम जय जगदीश की आरती के रचयिता थे पं॰ श्रद्धाराम शर्मा।[2][3] उनका जन्म 1837 में पंजाब के लुधियाना के पास फिल्लौर में हुआ था। उनके पिता जयदयालु खुद एक ज्योतिषी थे। बताया जाता है कि उन्होंने अपने बेटे का भविष्य पढ़ लिया था और भविष्यवाणी की थी कि यह एक अद्भुत बालक होगा। बालक श्रद्धाराम को बचपन से ही धार्मिक संस्कार तो विरासत में ही मिले थे। उन्होंने बचपन में सात साल की उम्र तक गुरुमुखी में पढाई की। दस साल की उम्र में संस्कृत, हिन्दी, पर्शियन, ज्योतिष और संस्कृत की पढाई शुरु की और कुछ ही वर्षो में वे इन सभी विषयों के निष्णात हो गए।
आरती इस प्रकार है:
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- यू ट्यूब पर ॐ जय जगदीश हरे आरती Om Jai Jagdish Hare Aarti देखें।
- यू ट्यूब पर Om Jai Jagdish Hare Aarti Ft. Divya Khosla Kumar | Gulshan Kumar | Manan B, Rajeev K | Bhushan Kumar देखें।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Om Jai Jagdish Hare Lyrics In Hindi: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन करें ओम जय जगदीश हरे आरती, यहां देखें". Times Now Navbharat. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2024.
- ↑ "'ओम जय जगदीश हरे' आरती के रचयिता थे पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी, विरासत को भूली पंजाब सरकार". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2024.
- ↑ "पुण्यतिथि: वो शख्स जिसने ओम जय जगदीश हरे जैसी अमर आरती की रचना की". News 18. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2024.