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ओतोमो याकामोचि

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ओतोमो याकामोचि Ōtomo no Yakamochi (大伴 家持?, c. ७१८ – अक्टूबर ५, ७८५) एक जापानी वाका कवि थे। वह एक मेधावी कवि और मान्योशू के अंतिम संग्रहकर्ता थे।[1] उनकी रचनाओं में अद्भुत ओज और कवि व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप है। यह मार्च, ७५० में लिखी गई दो कविताओं में से एक है। याकामोचि एक प्राचीन शक्तिशाली कुल के वंशज थे। इनके पिता ओतोमो ताबितो एक प्रख्यात कवी व दार्शनिक थे।[2]



आ गया है वसंत
सुंदर किरमिजी खुशबूदार-
अड़ूचे के फूलों से जगमग है बगीचा
सौरभ पराग से आलोकित वीथि में
चहल-कदमी करती एक सुंदरी...!

प्रफुल्लता एवं ऐन्द्रिय बिम्बों से दीप्प यह कविता याकामोचि की हैं, मान्योशू की सुप्रसिद्ध कविताओं में से एक है, जिसे रीतारानी पालीवाल ने हिंदी में अनुवाद किया हैं।


सन्दर्भ

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  1. "मान्योशु' जापानी कविता, अनुवाद और टिप्पणी‍-रीतारानी पालीवाल". Archived from the original on 25 जुलाई 2014. Retrieved 25 जुलाई 2014. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |accessyear= (help)
  2. "Collected works of Otomo Yakamochi; in Japanese". Archived from the original on 3 मार्च 2016. Retrieved 25 जुलाई 2014. {{cite web}}: Unknown parameter |accessyear= ignored (|access-date= suggested) (help)

बाहरी कड़ियाँ

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