ओड़िया लोग

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ओश़िया संस्कृति तथा सौन्दर्य

ओड़िशा राज्य और ओड़िआ लोगों का सर्वप्रथम परिचय भगवान श्रीजगन्नाथ से ही आरंभ होता है। यहाँ के मुख्यजनों की मातृभाषा ओड़िआ भाषा है। [1]

ओड़िशा[संपादित करें]

ओड़िशा के लोग 'अरीयन' समूह से आए थे। यहाँ के 'पूर्वी तटीय' राज्य में बहुमत पाए जाते है। विशाल बहुमत लोग हिन्दु धर्म के है, जिसकी तुलना में ईसाइयों और मुसलमानों की जनसंख्या इधर बहुत कम है।। यहाँ पर अनेक लोग सूर्यदेव के उपासक हैं। यह ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भक्तिमय से भरा भूमि जगन्नाथ मन्दिर (पुरी), लिंगराज मंदिर, राजधानी भुवनेश्वर के निकट धौलिगिरि का बौद्ध स्तूप और सूर्यमंदिर, कोणार्क के लिए जाना जाता है।

लोग[संपादित करें]

आरंभिक दिनों में ओड़िशा को कलिंग के नाम से जाना जाता था। महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथ में भी यह बात दशाया गया है। पाली साहित्य में यहाँ के निवासियों को ओडाकास बुलाया जाता था।

संस्कृति[संपादित करें]

ओड़िआ समाज मे औरतों को बहुत सम्मान दिया जाता है। यहाँ राज्य के मुख्यतः पश्चिमी भाग में आदिवासी अधिकतर मात्रा में पाये जाते हैं।[2]

मूल[संपादित करें]

यह राज्य अपने हेल-मेल और भाईचारे के लिए जाने जाते हैं। यहाँ पर लोग मकर संक्राति, धनु संक्राति, सरस्वती पूजा, माघ सप्तमी, महाशिवरात्रि, फाल्गुन पूर्णिमा, होली, राम नवमी, उत्कल दिवस, पणा संक्रान्ति (ओड़िआ नववर्ष), बौद्ध पूर्णिमा, रजपर्व, पुरी में श्रीजगन्नाथ मंदिर का प्रसिद्ध पर्व देवस्नान पूर्णिमा, विश्वप्रसिद्ध रथ यात्रा, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दूर्गापूजा, दशहरा, गुरु नानक जयंती आदि मनाते हैं। पखाल यहाँ की प्रसिद्ध पकवान मे एक माना जाता है। [3]। यह पकवान चावल और पानी से बनाया जाता है। घी का भात भी यहाँ प्रसिद्ध हैं। यहाँ कनिकान्न नामक मीठा भात बनाया जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]