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ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार का युद्ध

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ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार युद्ध
तिथि 16 दिसंबर 1740 – 18 अक्टूबर 1748
स्थान यूरोप, उत्तरी अमेरिका, भारत, कैरेबियन
परिणाम ऐक्स-ला-शापेल संधि
शक्ति संतुलन बना रहा
प्रशिया को साइलिसिया प्राप्त हुआ
योद्धा
 ऑस्ट्रिया
 ग्रेट ब्रिटेन
 डच गणराज्य
सार्दिनिया
सैक्सनी
 प्रशिया
 फ्रांस
 स्पेन
बवेरिया
नेपल्स
सेनानायक
मारिया थेरेसा
जॉर्ज द्वितीय
प्रिंस यूजीन
फ्रेडरिक द्वितीय
लुई XV
मार्क्विस डी सैक्स
मृत्यु एवं हानि
अज्ञात अज्ञात

ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार युद्ध (1740–1748) यूरोप, उत्तरी अमेरिका और भारत में लड़ा गया एक प्रमुख संघर्ष था। यह युद्ध पवित्र रोमन सम्राट चार्ल्स VI की मृत्यु के बाद शुरू हुआ, जब उनकी बेटी मारिया थेरेसा ने ऑस्ट्रियाई सिंहासन पर अधिकार जताया। हालांकि, कई यूरोपीय शक्तियों ने इसे चुनौती दी, विशेष रूप से प्रशिया के फ्रेडरिक द्वितीय, फ्रांस और बवेरिया

युद्ध के कारण

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चार्ल्स VI की मृत्यु के बाद, उनकी बेटी मारिया थेरेसा ने ऑस्ट्रिया की गद्दी संभाली। हालांकि, यूरोपीय राजाओं ने 1713 की प्रैगमैटिक सेंक्शन को मान्यता देने से इनकार कर दिया, जिसने मारिया थेरेसा के उत्तराधिकार को वैध ठहराया था। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए प्रशिया के राजा फ्रेडरिक द्वितीय ने साइलिसिया पर आक्रमण कर दिया, जिससे यह युद्ध शुरू हुआ।[1]

युद्ध के प्रमुख मोर्चे

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मध्य यूरोप

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प्रशिया ने साइलिसिया पर कब्ज़ा कर लिया और ऑस्ट्रिया को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। 1742 में ब्रेसलाउ की संधि के बाद ऑस्ट्रिया ने साइलिसिया पर अपना दावा छोड़ दिया।[2]

पश्चिमी यूरोप

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फ्रांस ने बवेरिया और स्पेन के साथ गठबंधन कर नीदरलैंड्स और राइन क्षेत्र में युद्ध लड़ा। 1743 में डिटिंगेन की लड़ाई में ब्रिटेन-ऑस्ट्रिया की सेनाओं ने फ्रांस को हराया।[3]

इटली में ऑस्ट्रियाई और सार्दिनियाई सेनाओं ने स्पेन और फ्रांस की सेनाओं से लड़ाई लड़ी। यहाँ कोई निर्णायक जीत नहीं हुई, लेकिन ऑस्ट्रिया ने उत्तरी इटली में अपनी स्थिति मजबूत कर ली।[3]

उपनिवेशीय युद्ध

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उत्तरी अमेरिका में यह युद्ध किंग जॉर्ज का युद्ध के रूप में जाना गया। भारत में ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच झड़पें हुईं।[1]

संधि और परिणाम

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1748 में ऐक्स-ला-शापेल की संधि के तहत यह युद्ध समाप्त हुआ। इसके तहत:

  1. फ्रांस ने ऑस्ट्रिया के सभी कब्ज़े छोड़े।
  2. ऑस्ट्रिया ने प्रशिया को साइलिसिया सौंप दिया।
  3. ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने उपनिवेशीय क्षेत्र आपस में लौटा दिए।

इस युद्ध ने प्रशिया को एक बड़ी शक्ति के रूप में उभारा और यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखा।[1]

निष्कर्ष

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ऑस्ट्रियाई उत्तराधिकार युद्ध ने यूरोपीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए और आगे आने वाले सात वर्षों के युद्ध की नींव रखी।[2]

  1. Schweizer, Karl (2011), "Austrian Succession, War of the (1740–1748)", The Encyclopedia of War (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-3823-2, डीओआइ:10.1002/9781444338232.wbeow051, अभिगमन तिथि 2025-01-28
  2. "War of the Austrian Succession | Europe [1740–1748], Causes & Consequences | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). 2024-12-09. अभिगमन तिथि 2025-01-28.
  3. "War of the Austrian Succession | National Army Museum". www.nam.ac.uk (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-28.