एल नीनो—दक्षिणी दोलन
"एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ई॰एन॰एस॰ओ॰)' एक वैश्विक जलवायु परिघटना है, ज प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में हवाओं और समुद्री सतह के तापमान में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। इसमें दो प्रमुख चरण होते हैं—एल नीनो, जिसमें समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है, और ला नीना, में तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है। इन तापीय परिवर्तनों के साथ वायुमंडल में उतार-चढ़ाव की स्थिति उत्पन्न हो जाता है, जिसे दक्षिणी दोलन कहा जाता है। एल नीनो-दक्षिणी दोलन चक्र अनियमित होता है, इसलिए इसका सटीक पूर्वानुमान लगाना कठिन है। यह परिघटना विश्वभर की जलवायु को प्रभावित करती है इसके कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा, तो कुछ में अतिवृष्टि की स्थिति बनी रहती है।
वैश्विक जलवायु पर एल नीनो-दक्षिणी दोलन के प्रभाव
[संपादित करें]एल नीनो के दौरान इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और हिंद महासागर के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वायु दबाव बना रहता है, जिससे प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में समुद्र का तापमान बढ़ जाता है जिसके कारण वहाँ अधिक वर्षा और तूफान आने की संभावना बनी रहती है। इसके विपरीत, ला नीना के दौरान मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में उच्च दबाव और अन्य उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कम दबाव होता है, जिससे वहां का मौसम शुष्क बना रहता है।[2][3] ये घटनाएँ लगभग एक वर्ष तक चलती हैं और हर दो से सात वर्षों में अलग-अलग तीव्रता के साथ आती हैं, कभी-कभी इनकी अवधि लम्बे भी वर्षो की भी होती है। इन घटनाओं से कृषि और समुद्री जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
इन्हें भी देखे
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ वाल्ड, लुसिएन (2021). "समय की परिभाषाएँ: वर्ष से सेकंड तक". सौर विकिरण के मूल सिद्धांत. बाॅका रैटन: सीआरसी प्रेस. ISBN 978-0-367-72588-4.
- ↑ राष्ट्रीय पर्यावरण पूर्वानुमान केंद्र (2005-12-19). "एल नीनो और ला नीना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न!". राष्ट्रीय पर्यावरण पूर्वानुमान केंद्र. मूल से से 2009-08-27 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 2009-07-17.
- ↑ ट्रेनबर्थ, के॰ ई॰; पी॰ डी॰ जोन्स; पी॰ अम्बेंजे; आर॰ बोजारिउ; डी॰ ईस्टरलिंग; ए॰ क्लेन टैंक; डी॰ पार्कर; एफ॰ रहीमज़ादेह; जे॰ ए॰ रेनविक; एम॰ रुस्तिकुची; बी॰ सोडेन; पी॰ झाई. "अवलोकन : सतही और वायुमंडलीय जलवायु परिवर्तन". In सोलोमन, एस॰; डी॰ किन; एम॰ मैनिंग; et al. (eds.). जलवायु परिवर्तन 2007 : भौतिक विज्ञान के अध्ययन के दृष्टिकोण से अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल की चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट में कार्य समूह का योगदान।. कैम्ब्रिज, संयुक्त राष्ट्र: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. p. 235–336. मूल से से 2017-09-24 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 2014-06-30.