प्रकाश उत्सर्जक डायोड
![]() ५ मिमी प्रकार की लाल, हरी और नीली एल ई डी | |
प्रकार | निष्क्रिय, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक |
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कार्य सिद्धान्त | विद्युतसंदीप्ति |
अविष्कर्ता | निक होलोनिएक जू. (1962) |
पिन विन्यास | धनाग्र एवं ऋणाग्र |
विद्युतीय प्रतीक | |
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प्रकाश उत्सर्जन डायोड (अंग्रेज़ी:लाइट एमिटिंग डायोड) एक अर्ध चालक-डायोड होता है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह प्रकाश उत्सर्जित करता है।[1] यह प्रकाश इसकी बनावट के अनुसार किसी भी रंग का हो सकता है। एल.ई.डी. कई प्रकार की होती हैं। इनमें मिनिएचर, फ्लैशिंग, हाई पावर, अल्फा-न्यूमेरिक, बहुवर्णी और ओ.एल.ई.डी प्रमुख हैं। मिनिएचर एल.ई.डी. का प्रयोग इंडिकेटर्स में किया जाता है। लैपटॉप, नोटबुक, मोबाइल फोन, डीवीडी प्लेयर, वीडियो गेम और पी.डी.ए. आदि में प्रयोग होने वाली ऑर्गैनिक एल.ई.डी. (ओ.एल.ई.डी.) को एल.सी.डी. और सी.आर.टी. टेक्नोलॉजी से कहीं बेहतर माना जाता है।[1] यह एक इलेक्ट्रॉनिक चिप है जिसमें से बिजली गुज़रते ही उसके इलेक्ट्रॉन पहले तो आवेशित हो जाते हैं और उसके बाद ही, अपने आवेश वाली ऊर्जा को प्रकाश के रूप में उत्सर्जित कर देते हैं।[2] इसका मुख्य प्रकाशोत्पादन घटक गैलियम आर्सेनाइड होता है। यही विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में बदलता है।[3] इनकी क्षमता ५०% से भी अधिक होती है। इस तरह वे विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलते हैं। इसकी विशेषता ये है, कि इसे किसी प्लास्टिक फिल्म में भी लगाया जा सकता है। एल.ई.डी. पारंपरिक प्रकाश स्रोतों की तुलना मे बहुत उन्नत है जिसका कारण है, ऊर्जा की कम खपत, लंबा जीवनकाल, उन्नत दृढ़ता, छोटा आकार और तेज स्विचन आदि,[4] हालांकि, यह अपेक्षाकृत महंगी होती हैं और परंपरागत स्रोतों की तुलना में इनके लिए अधिक सटीक विद्युत धारा और गर्मी के प्रबंधन की जरूरत होती है। एक विद्युत बल्ब लगभग १००० घंटे ही प्रकाश दे पाता है, जबकि एल.ई.डी. एक लाख घंटे भी प्रकाश दे सकते हैं।[4]
इतिहास
एल.ई.डी के बारे में पहली रिपोर्ट १९०७ में ब्रिटिश वैज्ञानिक एच जे राउंड की मारकोनी प्रयोगशाला में एक प्रयोग के दौरान संज्ञान में आयी थी। इसका आविष्कार १९२० के दशक में रूस में हुआ था और १९६२ में इसे अमेरिका में एक व्यावहारिक इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में प्रस्तुत किया गया। जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में काम करने के दौरान इसका पहला प्रायोगिक प्रत्यक्ष वर्णक्रम १९६२ में निक होलोनिक जूनियर ने बनाया था। निक होलोनिक को एलईडी के पितामह के रूप में जाना जाता है। ओलेग व्लादिमिरोविच लोसेव नामक एक रेडियो तकनीशियन ने पहले पहल पाया कि रेडियो ग्राहकों (रिसीवर) मे प्रयुक्त डायोड से जब विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो वे प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। १९२७ में उन्होंने एक रूसी जर्नल में एल.ई.डी. का प्रथम विवरण प्रकाशित किया। सभी आरंभिक युक्तियाँ निम्न-तीव्रता के लाल प्रकाश का उत्सर्जन करती थीं। बाद में एम जॉर्ज क्रॉफर्ड ने पीली और लाल-नारंगी एल.ई.डी. की खोज की। इनका प्रयोग घड़ियों, कैल्कुलेटर, टेलीफोन, टी.वी और रेडियो इत्यादि में किया जाता है। आधुनिक एल.ई.डी. उच्च चमक की, दृश्य, अवरक्त और पराबैंगनी तरंगदैर्ध्यों में उपलब्ध हैं। इनके अलावा आजकल श्वेत और नीला एल.ई.डी. भी उपलब्ध है। इनके लाभ बहुत हैं:-
- ऊर्जा की बचत में एल.ई.डी. उपयोगी होता हैं।[1]
- इनके छोटे आकार के कारण इन्हें प्रिंटेड सर्किट बोर्ड में लगाना सरल होता है।
- अन्य प्रकाश स्रोतो की अपेक्षा एल.ई.डी. बहुत कम विकिरण करते हैं।
- एल.ई.डी. का जीवनकाल काफ़ी होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार इनका जीवनकाल ३५,००० से ५०,००० घंटे तक होता है।
- दूसरे फ्लोरोसेंट लैम्प की तरह एल.ई.डी. में मर्करी नहीं होता है। इस कारण इसके विषैले होने की संभावना कम होती है।
उपयोग
एलईडी के विविध उपयोग हैं। प्रायः इनका प्रयोग निम्न-ऊर्जा संकेतकों के रूप में किया जाता है, पर अब इनका प्रयोग सामान्य और ऑटोमोटिव प्रकाश में पारंपरिक प्रकाश स्रोतों की जगह पर किया जा रहा है। इनके छोटे आकार के चलते इन्हें नये पाठ और वीडियो प्रदर्शों और संवेदकों मे प्रयोग किया जा रहा है जबकि इनकी उच्च स्विचन दर संचार प्रौद्योगिकी में उपयोगी है। अभी इनका प्रयोग निम्न स्थानों पर हो रहा है: -
- छोटे पैनेलों में उपकरण या यंत्र की दशा (स्टेट) बताने के लिये
- विज्ञापन आदि के लिये डिस्प्ले-बोर्ड बनाने में।[5]
- अंधेरे में देखने के लिये (जैसे गाड़ियों की लाइट[2], घरों में बल्ब और टॉर्च[6] के रूप में)
- सजावटी प्रकाश के लिए
- सड़क पर लाल बत्ती संकेतकों के रूप में भी।
- ऑर्गैनिक लाइट एमिटिंग डायोड:अगली पीढ़ी की एक वीडियो प्रदर्शन युक्ति
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ "एलईडी लाइट्स कैसे काम करते हैं?". टेक फ़ैक्स. अभिगमन तिथि २५ अगस्त २००९.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ अ आ राम यादव (२००९). 3924475,00.html "बल्ब हटाओ, बिजली बचाओ" जाँचें
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मान (मदद). dw-world.de. नामालूम प्राचल|accessdaymonth=
की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ पैन्डेपीडिया Archived 2016-03-05 at the Wayback Machine पर गैलियम आर्सेनाइड
- ↑ अ आ सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
का गलत प्रयोग;सूचना
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ सोनी का नया ई-बुक रीडर Archived 2011-10-02 at the Wayback Machine वेब दुनिया पर
- ↑ "एल्यूमीनियम 9 या 12 * एल ई डी टॉर्च". येस बी २ बी. मूल से 2 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित.
बाहरी कड़ियाँ
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प्रकाश उत्सर्जक डायोड से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- तकनीकी ज्ञान हिंदी में
- एलईडी लाइट्स कैसे काम करते हैं?[मृत कड़ियाँ] (हिन्दी) टेक-फ़ैक पर
- नए रंग में टाइम्स स्क्वेयर की बॉल (हिन्दी) बीबीसी हिन्दी पर, ३१ दिसंबर, २००७
- फिलिप्स का प्रथम फ्लैट पैनल एलसीडी टीवी(अंग्रेज़ी)
- बल्ब हटाओ, बिजली बचाओ[मृत कड़ियाँ]