उत्तर-शास्त्रीय इतिहास
उत्तर-शास्त्रीय इतिहास मानव इतिहास का वह समयावधि है जो लगभग 500 ईस्वी से 1500 ईस्वी तक फैली हुई थी। यह काल प्राचीन और आधुनिक इतिहास के बीच का समय था और इसे मध्यकालीन युग (मध्यकाल) के नाम से भी जाना जाता है। इस युग में सभ्यताओं का भौगोलिक विस्तार हुआ और विभिन्न सभ्यताओं के बीच व्यापार नेटवर्क का विकास हुआ। यह समयकाल विशेष रूप से यूरोपीय मध्यकाल के साथ मेल खाता है, और इसका प्रभाव दुनिया भर की संस्कृतियों और सभ्यताओं पर पड़ा।[1]
कालखंड और विशेषताएँ
[संपादित करें]उत्तर-शास्त्रीय इतिहास के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सभ्यताओं के विकास और विस्तार में महत्वपूर्ण बदलाव आए। एशिया में इस्लाम का प्रसार हुआ, जिसने कई खलीफतों की नींव रखी और इस्लामिक स्वर्ण युग की शुरुआत की, जिसमें विज्ञान और व्यापार में उन्नति हुई। इसी दौरान चीन में साम्राज्य की शक्ति का पूरी तरह से प्रतिष्ठापन हुआ और कई महत्वपूर्ण साम्राज्य स्थापित हुए, जिनका प्रभाव जापान, कोरिया और वियतनाम पर पड़ा।
चीन में गनपाउडर का आविष्कार हुआ, और मंगोल साम्राज्य ने यूरोप और एशिया के बीच व्यापार और सुरक्षा की स्थिति को मजबूत किया। इस युग में विश्व जनसंख्या में भी वृद्धि हुई, जो 500 ईस्वी में लगभग 210 मिलियन थी और 1500 ईस्वी तक 461 मिलियन तक पहुँच गई।[2]
प्रमुख घटनाएँ और परिवर्तन
[संपादित करें]- इस्लाम का प्रसार: इस्लाम ने 7वीं सदी में अपनी जड़ें मं फैलानी शुरू की, जिससे अरबों ने बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण पाया और एक विस्तृत व्यापार नेटवर्क की स्थापना हुई।
- चीन का सम्राज्य: चीन में विभिन्न साम्राज्यों का उदय हुआ, जो पूरे एशिया में अपने सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव छोड़ गए।
- मंगोल आक्रमण: मंगोल साम्राज्य ने एशिया और यूरोप के बीच के व्यापार मार्गों को सुरक्षित किया और विभिन्न सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।
- यूरोपीय मध्यकाल: यूरोप में चर्च की शक्ति बढ़ी और यह काल फेडलिज़्म और शाही साम्राज्य के उत्कर्ष का समय था।
इतिहास लेखन
[संपादित करें]उत्तर-शास्त्रीय इतिहास को समझने और अध्ययन करने के लिए इतिहासकारों ने विभिन्न कालखंडों का निर्धारण किया है। यह अवधि विशेष रूप से उस समय को संदर्भित करती है जब यूरोपीय इतिहास में मध्यकालीन युग की शुरुआत हुई थी। हालांकि, इस शब्द का प्रयोग विश्व इतिहास के संदर्भ में किया गया है, लेकिन यह कुछ हद तक यूरोकेन्द्रित (Eurocentric) भी हो सकता है।
इस काल का वर्णन करने में इतिहासकारों ने "मध्यकाल", "पोस्ट-एंटीक काल" और "पूर्व-आधुनिक युग" जैसे विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया है, जिनका उद्देश्य इस समयावधि को बेहतर तरीके से समझना है।[3]
निष्कर्ष
[संपादित करें]उत्तर-शास्त्रीय इतिहास मानव सभ्यता के विकास का महत्वपूर्ण चरण था, जिसमें विविध संस्कृतियों, धर्मों, और साम्राज्यों का एक दूसरे से संपर्क हुआ और उनका विकास हुआ। इस काल ने आधुनिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी इसके प्रभाव विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में देखा जा सकता है।
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "उत्तर शास्त्रीय इतिहास". study.com. अभिगमन तिथि: 2025-01-21.
- ↑ Ashley. "5 Key Events of the Post Classical Era". Military and Veteran (अमेरिकी अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-21.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Post Classical Age". HISTORY APPRECIATION (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-21.