इलेक्ट्रॉन बन्धुता

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किसी परमाणु या अणु की इलेक्ट्रॉन बन्धुता (E ea) को तब जारी ऊर्जा की मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है जब एक इलेक्ट्रॉन गैसीय अवस्था में एक तटस्थ परमाणु या अणु से जुड़कर ऋणायन बनाता है।

X(g) + e- → X-(↑)+ ऊर्जा

किसी विलग,उदाशीन , गैसीय परमाणु के बाह्य कक्ष में इलेक्ट्रॉन प्रवेश कराने के लिए आवश्यक उर्जा की मात्रा को इलेक्ट्रॉन बंधुता कहते है। यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया वा ऊष्मासोशी अभिक्रिया दोनो है । पहली EA1 धनात्मक वा दूसरी वा तीसरी ( EA2 and EA3 ) ऋणात्मक होती है । अपवाद = 1_ उत्कृष्ट गैसों की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी धनात्मक होती है क्योंकि उनके परमाणु में अंतिम कक्षा का अष्टक पूर्ण होने के कारण उसे कक्षा में एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन का प्रवेश करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होगी ना की ऊर्जा मुक्त होगी। 2_ हेलोज़न की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी अधिक होती है floreen से क्लोरीन की ऋणात्मक ऐंtheल्पी अधिक होगी हैलोजन समूह में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी घटती है। 3_ बेरिलियम, मैग्नीशियम तथा नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी धनात्मक होती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह तत्व अर्धापूरित अथवा पूर्णपूरीत स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के होते हैं इस कारण एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन को परमाणु के अंतिम कक्षा में स्थापित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।