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इब्रानी साहित्य

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इब्रानी साहित्य (Hebrew literature) के अन्तर्गत इब्रानी भाषा में लिखित प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक साहित्य आता है। यह मुख्यतः यहूदी धर्मावलम्बियों द्वारा सृजित साहित्य है किन्तु कुछ मात्रा में गैर-यहूदियों ने भी इसमें योगदान किया है। हिब्रू साहित्य की रचना संसार के विभिन्न भागों में हुई किन्तु आधुनिक हिब्रू साहित्य मुख्यतः इजराइल में सृजित होता है।

प्राचीन साहित्य

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रचनाकाल की दृष्टि से बाइबिल का प्रामाणिक रूप इब्रानी भाषा का प्राचीनतम साहित्य है। इसका दृष्टिकोण मुख्यतया साहित्यिक न होकर धार्मिक ही है; कलात्मक अभिव्यंजना की अपेक्षा शिक्षा का प्रतिपादन या उपदेश इसका प्रधान उद्देश्य है।

अप्रामाणिक धार्मिक साहित्य

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दूसरी शताब्दी ई. पू. से लेकर दूसरी शताब्दी ई. तक बहुत से ऐसे ग्रंथों की रचना हुई थी जिनका उद्देश्य है बाइबिल में प्रतिपादित विषयों की व्याख्या अथवा उनका विस्तार। इनमें प्राय: बाइबिल के प्रमुख पात्रों की भविष्य संबंधी उक्तियों का समावेश है। उदहारणार्थ, आदम और हौवा की जीवनी। इन रचनाओं को बाइबिल में स्थान नहीं मिला। इन्हें अप्रामाणिक साहित्य कहा जाता है। इस प्रकार के साहित्य की मूल भाषा प्राय: इब्रानी थीं, किंतु आजकल यह केवल आरमीय अथवा परवर्ती अनुवादों में ही मिलता है।

शास्त्रीय साहित्य

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ईसाई धर्म के प्रवर्तन के पश्चात् यहूदी शास्त्री (इब्रानी में इनका नाम रब्बी है), जो ईसाई धर्म स्वीकार करते थे, एक अत्यंत विस्तृत साहित्य की रचना करने लगे। यह शास्त्रीय साहित्य के नाम से विख्यात है। इसका तीन वर्गो में विभाजन किया जा सकता है:

मिश्ना (Mishnah) पर्व, संस्कार, पूजा, कानून आदि के विषय में यहूदियों के यहाँ प्रचलित मौखिक परंपराओं का संग्रह है जिसे दूसरी शताब्दी ई. में यूदाह हनासी ने संकलित किया था। 'तोसेफ्ता' इसका अर्वाचीन परिशिष्ट है।

यह मिश्ना की व्याख्या है जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार विभिन्न रूप धारण कर लेती है। जेरूसलम के शास्त्रियों ने अपना जेरूसलमी तलमूद तीसरी चौथी ईसवी में लिखा है। बाबीलोनिया के तलमूद का नाम बब्ली अथवा गेमारा है; इसका रचनाकाल चौथी छठी शताब्दी ईसवी है। बब्ली तलमूद सबसे विस्तृत (१०,००० पृ.) तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। तलमूद की भाषा इब्रानी तथा आरमीय है।

मिद्रशीम

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ये मूसा के नियम की व्यावहारिक तथा उपदेशात्मक व्याख्याएँ हैं। गौण मिद्रशीम सन् ५०० ई. के हैं, उनमें से मेखिलता सिफ्रा तथा सिफ्रे उल्लेखनीय हैं। परवर्ती मिद्रशीम (रब्बोत) अपेक्षाकृत विस्तृत हैं। उनकी रचना छठी शताब्दी से लेकर १२वीं शताब्दी तक होती रही।

मध्याकालीन साहित्य

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विभिन्न देशों में बसनेवाले यहूदियों में कई संप्रदाय उत्पन्न हुए जिनका इब्रानी साहित्य अब तक सुरक्षित है। बाबीलोनिया के सूरा नामक स्थान पर ६०० ई. से लेकर गेओनीम संप्रदाय है जिसका कानून, मिना तथा बाइबिल विषयक साहित्य विस्तृत है। इसके प्रमुख विद्वान् सदियाह ९४२ ई. में चल बसे। करा-वादी आठवीं शताब्दी ई. का यहूदी शस्त्रियों का एक संप्रदाय है जिसका साहित्य मुख्यतया बाइबिल की व्याख्या है।

नवीं शताब्दी ई. में स्पेन मुसलमानी और यहूदी संस्कृति का केंद्र बना; वहाँ विशेषकर व्याकरण, बाइबिल की व्याख्या तथा अरस्तू के दर्शन पर साहित्य की सृष्टि हुई। इस संबंध में मूसा इब्न एज्ऱा (११४० ई.) तथा जूदाह हल्लेवी (११४० ई.) उल्लेखनीय हैं, किंतु उस समय के सबसे महान यहूदी दार्शनिक मैमोनीदेस (११३५-१२०४ ई.) हैं। मैमोनीदेस ने अरस्तू की कुछ रचनाओं के अरबी अनुवाद का विशेष अध्ययन करने के बाद धार्मिक विश्वास तथा बुद्धि के समन्वय की आवश्यकता दिखलाने का प्रयत्न किया। यहूदियों ने इब्न सिना (११३७ ई.) तथा इब्न रूस (११९८ ई.) जैसे अरबी विद्वानों की रचनाएँ मध्यकालीन यूरोप तक पहुँचाकर अरबी तथा यूनारी ज्ञान विज्ञान के प्रचार में महत्वपूर्ण योग दिया है।

आधुनिक साहित्य

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मूसा मेंदेलसोन (१७२९-१७८६) के बुद्धिवाद से प्रभावित होकर इब्रानी साहित्य का दृष्टिकोण उत्तरोत्तर उदार तथा साहित्यिक होता जाता रहा है। १९वीं शताब्दी में एक नवीन राष्ट्रवादी धारा उत्पन्न हुई जो बाद में सिओनवादी (ज़िओनिस्ट) आंदोलन में परिणत हुई। यह फिलिस्तीन देश को पुन: यहूदी जाति का सांस्कृतिक केंद्र बनाना चाहती है। आधुनिकतम इब्रानी साहित्य में प्रतिभा, कलात्मकता तथ विद्वत्ता का भंडार है; उसका विश्वसाहित्य तथा विश्वव्यापी आंदोलनों के साथ गहरा संबंध है। एलिएजेरबन यहूदाह (१९२३) अपना 'इब्रानी भाषा का कोश' (१० खंड) लिखकर विश्वविख्यात बन गए। जेरूसलम के इब्रानी विश्वविद्यालय की ओर से एक सुविस्तृत इब्रानी विश्वकोश का संपादन सन् १९५० ई. में प्रांरभ हुआ। द्वितीय महायुद्ध के बाद इब्रानी साहित्यिक जीवन का केंद्र पूर्वी यूरोप से हटकर पश्चिमी यूरोप, अमरीका तथा इज़रायल में आ गया है।

इब्रानी भाषा के स्वरूप के वर्णन में यिद्दिश का ऊपर उल्लेख हो चुका है। अब्रामोविच के यिद्दिश उपन्यास प्रसिद्ध हैं। इधर शोलेम आशा के बहुत से एतिहासिक उपन्यास अंग्रेजी में अनूदित हो चुके हैं। आइ.एल. पेरेज़ एक आधुनिक रहस्यवादी लेखक तथा मारिस रोसेनफेल्द एक लोकप्रिय कवि हैं। सन् १८९७ ई. में अब्राहम कहान ने अमरीका में यिद्दिश पत्रकारिता का प्रारंभ किया था।