इंडिया मार्क द्वितीय

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इंडिया मार्क द्वितीय ( India Mark II, इंडिया मार्क टू) एक मानव संचालित हैंडपम्प है जिसे ५० मीटर या उससे कम गहराई से पानी उठाने के लिए बनाया गया है। यह पम्प दुनिया में सबसे व्यापक रूप से संचालित है।[1] इस पम्प का निर्माण वर्ष १९७० में विकासशील देशों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी निकलने के लिए किया गया था।

इंडिया मार्क टू

इतिहास[संपादित करें]

इस पम्प का डिजाइन भारत सरकार ने यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से बनाया था। यह पम्प शोलापुर पम्प पर आधारित है, जिसे भारतीय मैकेनिक ने डिजाइन किया था।[2] यूनिसेफ के विशेषज्ञों ने कई विकल्पों के अध्ययन के बाद इसे सबसे टिकाऊ पाया था। इसका व्यावसायिक उत्पादन वर्ष १९७७-७८ में प्रारम्भ हुआ। वर्ष १९८७ में इसका वार्षिक उत्पादन २,००,००० था। इसका निर्यात एशिया ,अफ्रीका और लैटिन अमरीकी देशों को किया जाता है। भारत में इस पम्प की वार्षिक खपत ५०,००० है।

तकनीकी जानकारी[संपादित करें]

  • अधिकतम ऑपरेटिंग गहराई: 45 मीटर।
  • न्यूनतम बोरहोल आकार १०० मिमी
  • स्ट्रोक की लंबाई 125 मिमी
  • पानी / स्ट्रोक =०.४ लीटर
  • पानी / घंटा = ०.८ घन मीटर

टिकाऊपन[संपादित करें]

पहले इस पम्प के बोरवेल में इंडिया मार्क द्वितीय पम्प लगाने में लोहे के पाइप स्तेमाल होते थे जो जंग लगने के कारण कम टिकाऊ थे अब उनके स्थान पर पी वी सी के पाइप स्तेमाल होते हैं जो टिकाऊ और सस्ते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Wood, M. (1994): Are handpumps really affordable? Proceedings of the 20th WEDC Conference, WEDC pp. 132-134
  2. "Village water supplies" UNICEF http://www.unicef.org/sowc96/hpump.htm Archived 2016-03-03 at the वेबैक मशीन