इंटरल्युकिन २१

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इंटरल्यूकिन 21 (अंग्रेज़ी: Interleukin 21) एक प्रोटीन है जिसकी एनकोडिंग मानव शरीर में आईएल21 जीन द्वारा की जाती है। वैज्ञानिकों ने एचआईवी 1 संक्रमण के प्रतिरोधक के रूप इंटरल्युकिन 21 प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका की खोज की है।

विस्तार[संपादित करें]

वैज्ञानिकों ने यह खोज की है कि इंटरल्युकिन 21 प्रोटीन, इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस 1 (एचआईवी -1) के संक्रमण को सीमित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह शोध नेचर कम्युनिकेशन्स जर्नल में 25 जून 2015 को “आईएल-21, एंटी वायरल माइक्रो आरएनए-29 के साथ सीडी4 टी कोशिकाओं में एचआईवी -1 वायरस को कम करने में सहायता करता है” नामक शीर्षक से प्रकाशित हुआ। यह अध्ययन न्यूयॉर्क स्थित कोर्नेल मेडिकल कॉलेज के पोस्ट डॉक्टोरल एसोसिएट स्टेनली एडोरो द्वारा किया गया।

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि सीडी4 टी कोशिकाओं द्वारा आईएल 21 प्रोटीन का निर्माण होता है तथा यह माइक्रो आरएनए-29 को अन्य सीडी 4 टी कोशिकाओं में सक्रिय करता है जिससे एचआईवी -1 वायरस का ह्रास होता है।

मॉडल[संपादित करें]

वैज्ञानिक दो मॉडलों के साथ प्रयोग करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे।

मॉडल 1[संपादित करें]

मानव कोशिकाओं से लिए गये सैंपल से आईएल -21 बनाया गया। बाद में एचआईवी -1 वायरस को इसके संपर्क में लाया गया। 72 घंटे के निरीक्षण के बाद पाया गया कि आईएल -21 में दो तिहाई वायरस कम थे।

मॉडल 2[संपादित करें]

आईएल -21 का चूहों पर परीक्षण किया गया जिनमें मानव कोशिकाएं प्रतिरोपित की गयी थीं ताकि इनमें मनुष्यों जैसे ही परिणाम प्राप्त किये जा सकें। 14 दिन बाद देखा गया कि आधे से अधिक चूहों में एचआईवी -1 वायरस मौजूद नहीं था जबकि साधारण चूहों में वायरस अब भी बढ़ रहा था।

अध्ययन का महत्व[संपादित करें]

यह शोध दर्शाता है कि एचआईवी -1 वायरस के पता लगने पर उसका शुरूआती दौर में ही इलाज करने पर इसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

इससे एक नई एचआईवी थेरेपी का पता लगाने के लिए भी सहायता प्राप्त हुई जिसमें आईएल -21 प्रोटीन की गिनती बढ़ाकर सीडी 4+ टी कोशिकाओं द्वारा एचआईवी-1 वायरस का पता लगाया जा सकता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]