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आर्द्रभूमि

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संयुक्त राज्य के फ्लोरिडा का ऍवरग्लेडस, सबसे बड़ा आर्द्रभूमि

आर्द्रभूमि (wetland) ऐसा भूभाग होता है जहाँ के पारितंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त (सचुरेटेड) हो या उसमें डूबा रहे। ऐसे क्षेत्रों में जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्रभूमियों को परिभाषित करता है।[1][2] जैवविविधता की दृष्टि से आर्द्रभूमियाँ अत्यंत संवेदनशील होती हैं क्योंकि विशेष प्रकार की वनस्पति व अन्य जीव ही आर्द्रभूमि पर उगने और फलने-फूलने के लिये अनुकूलित होते हैं।[3]

ईरान के रामसर शहर में १९७१ में पारित एक अभिसमय (convention) के अनुसार आर्द्रभूमि ऐसा स्थान है जहाँ वर्ष में आठ माह पानी भरा रहता है। रामसर अभिसमय के अन्तर्गत वैश्विक स्तर पर वर्तमान में कुल १९२९ से अधिक आर्द्रभूमियाँ हैं।[4]

बायोम
स्थलीय बायोम
तुन्द्रा
टैगा, उदीच्य वन
पर्वतीय घास के मैदान और झाड़ीदार भूमि
शीतोष्ण शंकुधारी वन
उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय शंकुधारी वन
शीतोष्ण चौड़ी पत्ती वाले और मिश्रित वन
भूमध्य जंगल, लकड़ी भूमि, और स्क्रब
उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले वन
उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय शुष्क चौड़ी पत्ती वाले वन
शीतोष्ण घास का मैदान, सवाना, और झाड़ीदार
उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय चरागाह, सवाना, और झाड़ीदार
रेगिस्तान और जेरिक(xeric) झाड़ीदार
बाढ़ घास के मैदान और सवाना
नदी तट क्षेत्र
आर्द्रभूमि
जलीय बायोम्स
तालाब
तटीय क्षेत्र, अंतर्ज्वारिय क्षेत्र
मैंग्रोव (Mangrove) वन
सिवार वन
मूँगे की चट्टान
नेरिटिक (Neritic) क्षेत्र
महाद्वीपीय शेल्फ
पेलजिक (Pelagic) क्षेत्र
बेन्थिक क्षेत्र
जलतापीय हवाएँ
ठंड रिसाव (seeps)
पैक बर्फ
अन्य बायोम्स
इण्डोलिथिक (Endolithic) क्षेत्र

भारत में आर्द्रभूमि

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भारत सरकार में शुष्क भूमि को भी रामसर आर्द्रभूमियों के अंतर्गत ही शामिल किया है। वर्तमान में भारत में कुल 89 रामसर आर्द्रभूमियाँ अधिसूचित हैं। रामसर आर्द्रभूमि के रजिस्टर मॉण्ट्रक्स रिकॉर्ड्स के तहत उन आर्द्रभूमियों को शामिल किया जाता है, जो खतरे में हैं अथवा आ सकती हैं। इसके अनुसार भारत में केवलादेव (राजस्थान) और लोकटक झील (मणिपुर) खतरे में पड़ी आर्द्रभूमियाँ हैं। चिल्का झील (उड़ीसा) को इस रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया है।

आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम 2010(भारत)

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वर्ष 2011 में भारत सरकार ने आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम 2010 की अधिसूचना जारी किया है। इस अधिनियम के तहत आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित आठ वर्गों में बाँटा गया है।

  • अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियाँ।
  • पर्यावरणीय आर्द्रभूमियाँ। यथा- राष्ट्रीय उद्यान, गरान आदि।
  • यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल आर्द्रभूमियाँ।
  • समुद्रतल से २५०० मीटर से कम ऊँचाई की ऐसी आर्द्रभूमियाँ जो ५०० हेक्टेयर से अधिक का क्षेत्रफल घेरती हों।
  • समुद्रतल से २५०० मीटर से अधिक ऊँचाई किंतु ५ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल।
  • ऐसी आर्द्रभूमियाँ जिनकी पहचान प्राधिकरण ने की हो।

इस अधिनियम के तहत केंद्रीय आर्द्रभूमि विनियामक प्राधिकरण की स्थापना की गयी है। इस प्राधिकरण में अध्यक्ष सहित कुल 12 सदस्य होंगे। इसी अधिनियम के तहत 38 नयी आर्द्रभूमियाँ पहचानी गयी हैं।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. Butler, S., ed. (2010). Macquarie Concise Dictionary (5th ed.). Sydney, Australia: Macquarie Dictionary Publishers. ISBN 978-1-876429-85-0.
  2. "Official page of the Ramsar Convention". 25 सितंबर 2011 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 2011-09-25.
  3. Keddy, P.A. (2010). Wetland ecology : principles and conservation (2nd ed.). New York: Cambridge University Press. ISBN 978-0521519403.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से से 22 जून 2011 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 14 दिसंबर 2010. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)