आम आदमी पार्टी
| आम आदमी पार्टी | |
|---|---|
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| |
| नेता | अरविंद केजरीवाल |
| गठन | २६ नवम्बर २०१२ |
| मुख्यालय | २०६ रौसे अवेनुए, दीन दयाल उपाधय मार्ग, ITO, दिल्ली -११०००२ |
| लोकसभा मे सीटों की संख्या |
3 / 543 |
| राज्यसभा मे सीटों की संख्या |
10 / 245 |
| राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या |
22 / 70 दिल्ली विधानसभा
91 / 117 पंजाब विधानसभा
4 / 198 गुजरात विधानसभा
2 / 40 गोवा विधानसभा
1 / 90 जम्मू और कश्मीर विधानसभा |
| विचारधारा | स्वराज |
| रंग | नीला |
| विद्यार्थी शाखा | छात्र युवा संघर्ष समिति |
| जालस्थल |
www |
| Election symbol | |
| भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव | |
आम आदमी पार्टी, संक्षेप में आप(AAP), सामाजिक कार्यकर्ता एवं मैग्ससे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा २६ नवम्बर २०१२ को भारतीय संविधान अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी।
सन् २०११ में इंडिया अगेंस्ट करप्शन नामक संगठन ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर २०१३ में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिह्न के साथ चुनावी मैदान में उतरी।
पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल ने २८ दिसम्बर २०१३ को दिल्ली के ७वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ ली। ४९ दिनों के बाद १४ फ़रवरी २०१४ को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। अगले चुनाव में पार्टी ने स्वयं चुनाव लड़कर सत्ता हासिल की ,परन्तु जनलोकपाल और उसके अधिकार के बारे में कुछ नहीं किया गया अंततः जनता ने 2025 में अल्पमत में ला दिया
इतिहास
[संपादित करें]आम आदमी पार्टी की उत्पत्ति सन् 2012 में इण्डिया अगेंस्ट करप्शन (हिंदी में भारतीय भ्रष्टाचार के खिलाफ) द्वारा अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के समापन के दौरान हुई। जन लोकपाल बनाने के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण राजनीतिक विकल्प की तलाश की जाने लगी थी। अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आन्दोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि अरविन्द केजरीवाल आन्दोलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव में शामिल होने के पक्षधर थे। उनके विचार से वार्ता के जरिये जन लोकपाल विधेयक बनवाने की कोशिशें व्यर्थ जा रहीं थीं। इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला।
१९ सितम्बर २०१२ को अन्ना और अरविन्द इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके राजनीति में शामिल होने सम्बन्धी मतभेदों का दूर होना मुश्किल है। इसलिये उन्होंने समान लक्ष्यों के बावजूद अपना रास्ता अलग करने का निश्चय किया। जन लोकपाल आन्दोलन से जुड़े मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण व योगेन्द्र यादव आदि ने अरविन्द केजरीवाल का साथ दिया, जबकि किरण वेदी व सन्तोष हेगड़े आदि कुछ अन्य लोगों ने हजारे से सहमति प्रकट की। केजरीवाल ने २ अक्टूबर २०१२ को राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की। इस प्रकार भारतीय संविधान की वर्षगांठ के दिन २६ नवम्वर (२०१२) को औपचारिक रूप से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ।[1] [2] आम आदमी पार्टी (आप) की छात्र शाखा छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) की स्थापना 9 अप्रैल 2014 को हुई थी।
विचारधारा
[संपादित करें]पार्टी कहती है कि वह किसी विशेष विचारधारा द्वारा निर्देशित नहीं हैं। उन्होंने व्यवस्था को बदलने के लिये राजनीति में प्रवेश किया है। अरविन्द केजरीवाल के शब्दों में - "हम आम आदमी हैं। अगर वामपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से विचार उधार ले लेंगे और अगर दक्षिणपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से भी विचार उधार लेने में खुश हैं।
नेतृत्व
[संपादित करें]मुख्यमंत्रियों की सूची
[संपादित करें]| क्रम | राज्य | मुख्यमंत्री | चित्र | कार्यकाल | पदावधि | विधानसभा | ||
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| १ | दिल्ली | अरविंद केजरीवाल | २८ दिसंबर २०१३ | १४ फरवरी २०१४ | ४९ दिन | पांचवी | ||
| २ | १४ फरवरी २०१५ | १५ फरवरी २०२० | ५ वर्ष १ दिन | छठवीं | [3] | |||
| ३ | १६ फरवरी २०२० | पदस्थ | 5 साल, 274 दिन | सातवीं | [4] | |||
| ४ | पंजाब | भगवंत मान | १६ मार्च २०२२ | पदस्थ | 3 साल, 246 दिन | सोलहवीं | [5] | |
राज्यसभा
[संपादित करें]| क्रम | राज्य | सांसद | नियुक्ति तिथि | निवृत्ति तिथि | |
|---|---|---|---|---|---|
| १ | दिल्ली | संजय सिंह | २८ जनवरी २०१८ | २७ जनवरी २०२४ | |
| २ | नारायण दास गुप्ता | २८ जनवरी २०१८ | २७ जनवरी २०२४ | ||
| ३ | सुशील कुमार गुप्ता | २८ जनवरी २०१८ | २७ जनवरी २०२४ | ||
| ४ | पंजाब | हरभजन सिंह | १० अप्रैल २०२२ | ९ अप्रैल २०२८ | |
| ५ | राघव चड्ढा | १० अप्रैल २०२२ | ९ अप्रैल २०२८ | [6] | |
| ६ | संदीप पाठक | १० अप्रैल २०२२ | ९ अप्रैल २०२८ | ||
| ७ | अशोक मित्तल | १० अप्रैल २०२२ | ९ अप्रैल २०२८ | ||
| ८ | संजीव अरोरा | १० अप्रैल २०२२ | ९ अप्रैल २०२८ | ||
| ९ | बलबीर सिंह सीचेवाल | ५ जुलाई २०२२ | ४ जुलाई २०२८ | ||
| १० | विक्रमजीत सिंह साहनी | ५ जुलाई २०२२ | ४ जुलाई २०२८ | ||
लोकसभा
[संपादित करें]| लोकसभा | राज्य | लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | सांसद | नियुक्ति तिथि | टीप | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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| सत्रहवीं लोक सभा | पंजाब | संगरूर | भगवंत मान | २३ मई २०१९ | १४ मार्च २०२२ को पदत्याग | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| जालंधर | सुशील कुमार रिंकू | १३ मई २०२३ | २०२३ (उपचुनाव) | [7] | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| सोलहवीं लोक सभा | पंजाब | फतेहगढ़ साहिब | हरिंदर सिंह खालसा | १६ मई २०१४ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| फरीदकोट | साधु सिंह | १६ मई २०१४ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| संगरूर | भगवंत मान | १६ मई २०१४ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| पटियाला | डॉ. धरमवीरा गांधी | १६ मई २०१४ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मध्य प्रदेश। रानी अग्रवाल
महापौर सिंगरौली चुनावी भागीदारी[संपादित करें]दिल्ली विधानसभा चुनाव २०१३[संपादित करें]४ दिसम्बर २०१३ को हुए दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा। उसने पूरी दिल्ली के लिये चुनावी घोषणापत्र तैयार करने के साथ ही प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये अलग-अलग घोषणापत्र तैयार किया।[8] दिल्ली चुनाव के पहले पार्टी को कई विवादों का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के गृहमन्त्री, सुशील कुमार शिंदे ने पार्टी के विदेशी दान की जाँच कराने की बात कही। पार्टी ने दान राशि का सम्पूर्ण ब्यौरा पार्टी वेवसाइट पर पहले से ही सार्वजनिक होने की बात कही और अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने चन्दे को सार्वजनिक करने की चुनौती दी। दिल्ली विधान सभा चुनाव के कुछ पहले एक मीडिया पोर्टल द्वारा आम आदमी के विधायक पद के उम्मीदवारों का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया जिसमें उन पर ग़ैर-ईमानदार होने के आरोप लगाये गये। आम आदमी पार्टी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर स्टिंग वीडियो में कई महत्वपूर्ण भागों को काट-छाँट कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया और मीडिया पोर्टल के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर की। ६ दिसम्बर को घोषित हुए परिणाम में ७० सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में पार्टी २८ सीटों पर विजयी रही। ३२ विधान सभा क्षेत्रों की विजेता भारतीय जनता पार्टी के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। अरविन्द केजरीवाल ने सत्तारूढ़ी कांग्रेस पार्टी की निवर्तमान मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित (कांग्रेस) को लगभग 25,000 वोटों से पराजित किया।[9] और कांग्रेस केवल ८ सीटों पर सिमट गयी।[10][11][12] दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भाजपा द्वारा सरकार बनाने से मना करने के बाद आम आदमी पार्टी विधायक दल के नेता अरविन्द केजरीवाल को सरकार बनाने के लिये आमन्त्रित किया। २८ दिसम्बर को कांग्रेस के समर्थन से पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।[13] लोकसभा चुनाव २०१४[संपादित करें]AAP ने 2014 के भारतीय आम चुनाव में 434 उम्मीदवार उतारे, जिसमें उसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। इसने माना कि इसका समर्थन मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों पर आधारित था और देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीतियों की आवश्यकता हो सकती है। पार्टी ने बताया कि उसकी फंडिंग सीमित थी और केजरीवाल की ओर से स्थानीय दौरों की बहुत अधिक मांगें थीं। इरादा चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता की संभावना को अधिकतम करने के लिए बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का था। नतीजा यह हुआ कि AAP के चार उम्मीदवार जीते, सभी पंजाब से। परिणामस्वरूप, AAP पंजाब में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी बन गई। पार्टी को देश भर में पड़े सभी वोटों का 2% प्राप्त हुआ और उसके 414 उम्मीदवारों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक-छठा वोट हासिल करने में विफल रहने के कारण अपनी जमानत जब्त कर ली। हालाँकि पार्टी को दिल्ली में 32.9 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन वह वहाँ कोई भी सीट जीतने में असफल रही। AAP संयोजक, अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा, लेकिन 371,784 (20.30%) वोटों के अंतर से हार गए और बसपा, कांग्रेस, सपा से आगे दूसरे स्थान पर रहे। चुनाव के तुरंत बाद, शाज़िया इल्मी (पीएसी सदस्य) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य योगेन्द्र यादव ने अपनी पार्टी के सदस्यों को लिखे एक पत्र में केजरीवाल की नेतृत्व शैली की आलोचना की। 8 जून को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद, पार्टी और केजरीवाल ने इन मतभेदों को स्वीकार किया और स्थानीय और साथ ही राष्ट्रीय निर्णय लेने में अधिक लोगों को शामिल करने के लिए "मिशन विस्तार" (मिशन विस्तार) शुरू करने की घोषणा की।
दिल्ली विधानसभा चुनाव २०१५[संपादित करें]पंजाब विधानसभा चुनाव २०१७[संपादित करें]पहली बार, आप ने 2017 गोवा विधानसभा चुनाव और 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा। गोवा में AAP कोई भी सीट नहीं जीत सकी और 39 में से 38 उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में विफल रहे। 2017 पंजाब विधान सभा चुनाव के लिए, लोक इंसाफ पार्टी ने AAP के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन को AAP गठबंधन कहा गया और समाचार चैनलों पर इसे AAP+ के रूप में दर्शाया गया। इसने कुल 22 सीटें जीतीं, जिनमें से दो लोक इंसाफ पार्टी ने और बाकी बीस आप ने जीतीं। लोकसभा चुनाव २०१९[संपादित करें]2014 के भारतीय आम चुनाव के विपरीत, पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने कुछ राज्यों की सीमित सीटों और दिल्ली, गोवा, और पंजाब की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। हरियाणा राज्य में, आप ने तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। पीएसी ने केरल में सीपीआई (एम) के लिए समर्थन और प्रचार करने का भी निर्णय लिया। पार्टी ने अपना पहला ट्रांसजेंडर उम्मीदवार भी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से मैदान में उतारा। आप ने संगरूर का केवल 1 निर्वाचन क्षेत्र जीता।
दिल्ली विधानसभा चुनाव २०२०[संपादित करें]चुनाव लड़ने वाले प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा चलाए गए जोरदार अभियान के बाद, 8 फरवरी 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ। वोटों की गिनती और उसके बाद नतीजों की घोषणा 11 फरवरी को हुई। आम आदमी पार्टी ने सरकार बरकरार रखी क्योंकि पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं। अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। परिणामों के अनुसार, पार्टी का वोट शेयर 53.5% था। पंजाब विधानसभा चुनाव २०२२[संपादित करें]जनवरी 2021 में, अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि आप 2022 में छह राज्यों में चुनाव लड़ेगी। ये छह राज्य उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, उत्तराखंड और पंजाब थे। पार्टी ने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी की मौजूदा कांग्रेस सरकार को हराकर भारी जीत हासिल की और राज्य पार्टी संयोजक भगवंत मान ने नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। गुजरात विधानसभा चुनाव २०२२[संपादित करें]गोवा विधानसभा चुनाव २०२२[संपादित करें]चुनावी प्रदर्शन[संपादित करें]दिल्ली विधानसभा चुनाव[संपादित करें]
लोकसभा चुनाव[संपादित करें]
गोवा विधानसभा चुनाव[संपादित करें]
पंजाब विधानसभा चुनाव[संपादित करें]
गुजरात विधानसभा चुनाव[संपादित करें]
दिल्ली सरकार[संपादित करें]दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के आमंत्रण पर दिल्ली के मतदाताओं से राय लेकर २८ दिसम्बर २०१३ को अरविंद केजरीवाल ने ७ मंत्रियों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।[25] विश्वास मत प्रस्ताव पर कांग्रेस ने इस सरकार का समर्थन किया। सरकार बनाते ही पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र के वादे पूरे करने शुरु किए। विशेष सुरक्षा और लाल बत्ती वाली गाड़ी लेने से मना किया। ३१ दिसम्बर को बिजली की कीमतों में अप्रैल तक आधे की छूट देने की घोषणा की। बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट कराने की व्यवस्था की। बीस किलोलीटर पानी मुप्त देने की घोषणा की। इस सरकार को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से अनेक मामलों पर अवरोध का सामना करना पड़ा। बलात्कार एवं अन्य अपराध की घटनाओं पर पुलिस के कुछ अधिकारियों का तबादला करने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय जाकर धरना देने की कोशिश की। इसमें अड़चने डालने पर रेल भवन के पास सड़क से ही केजरीवाल सरकार धरने पर बैठ गई। बाद में उपराज्यपाल के द्वारा पुलिस अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने के बाद सरकार वापस काम पर लौटी। खिड़की एक्सटेंसन में कानून मंत्री सोमनाथ भारती की भूमिका भी विवादित रही। फरवरी में अरविन्द केजरीवाल ने अपने निगरानी विभाग को प्राकृतिक गैस का दाम अनियमित रूप से बढ़ाने के लिए मुकेश अंबानी और एम॰ वीरप्पा मोइली सहित कई प्रभावी लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया।[26] केजरीवाल सरकार ने १३ फ़रवरी से विधान सभा सत्र बुलाकर जनलोकपाल और स्वराज्य विधेयक पारित करने की घोषणा की। जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने को लेकर उनका गृह मंत्रालय और उपराज्यपाल से टकराव की स्थिति पैदा हो गई। लेफ्टिनेंट राज्यपाल नजीब जंग इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी को जरूरी बताते रहे जबकि केजरीवाल सरकार विधान सभा के विधेयक पास करने के संवैधानिक अधिकार पर डटी रही। १३ जनवरी के हंगामेदार सत्र के बाद १४ फ़रवरी के सत्र में राज्यपाल ने विधेयक को असंवैधानिक बताने का संदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजा और विधेयक पेश करने से पहले िस संदेश को सूचित करने को लिखा। इस संदेश के बाद कांग्रेस औ्रर भाजपा विधायकों ने विधेयक प्रस्तुत करने का मिलकर विरोध किया। जन लोकपाल पास करना तो दूर उसे प्रस्तुत भी न हो पाने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने १४ फ़रवरी को अपनी सरकार से इस्तीफा दे दिया। इस कारण दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा।[27] उल्लेखनीय कार्य[संपादित करें]आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े वादों को निभाते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई. दिल्ली में सभी विभागों से भ्रष्टाचार लगभग 80 फीसदी तक कम हुआ. 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे गए. बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा ख़त्म किया. सभी सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुफ्त. तीन पुलों में 350 करोड़ बचाए। २०१६ के अगस्त में पक्षाध्यक्ष श्रीकेजरीवाल ने पोर्न-काण्ड में फसे मन्त्री सन्दीप कुमार को मन्त्रिपद से हटाया। सन्दीप कुमार पर आरोप था कि वो पोर्न के क्षेत्र में सक्रिय थे। अतः उनको ३०/८/२०१६ को मन्त्रिपद से हटाया गया [28] [29]। विवाद एवं आलोचना[संपादित करें]दिल्ली के दो आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों , दिल्ली के कर्नल देविंदर सहारवत और असिम अहमद ने ,राजधानी में केजरीवाल सरकार पर खराब प्रशासन का आरोप लगाया और पार्टी के बड़े दावे में फसने से बचने की पंजाब के लोगों को चेतावनी दी।[30] सार्वजनिक परिवहन[संपादित करें]सार्वजनिक परिवहन में सुधार: आम आदमी पार्टी (आप) ने सार्वजनिक परिवहन में काफी सुधार करने का वादा किया था लेकिन केजरीवाल का वितरण डीटीसी के मौजूदा बेड़े में एक भी बस नहीं जोड़ सकी। अंतिम मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के वादे को पूरा करने की कोई प्रगति नहीं हुई थी सार्वजनिक क्षेत्रों में वाई-फाई: यह एक ऐसा वादा था जो दिल्ली के लोगों को सबसे अधिक आकर्षित कर रहा था। "हम दिल्ली में पूरी तरह से वाई-फाई उपलब्ध कराएंगे ... वाई-फाई दिल्ली के सार्वजनिक क्षेत्रों में उपलब्ध कराई जाएगी। इंटरनेट और दूरसंचार कंपनियों से संपर्क किया गया है और उनके साथ परामर्श करके एक उच्च स्तरीय व्यवहार्यता अध्ययन किया गया है। " लेकिन दो साल बाद भी, राष्ट्रीय राजधानी अब भी नि: शुल्क वाई-फाई सेवाओं का इंतजार कर रही है। दिल्ली भर में 10-15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए: यह एक और वादा था, जो आम आदमी पार्टी पूरी करने में नाकाम रही। एएपी के दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडे ने कहा था, राष्ट्रीय राजधानी विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी प्राप्त करेगी, लेकिन दिल्लीवासियों को अभी भी इसके कार्यान्वयन के लिए इंतजार कर रहा है।[31] शराब घोटाले[संपादित करें]अरविंद केजरीवाल की पार्टी के कई नेता इस समय कथित शराब घोटाले और अन्य आपराधिक आरोपों में जेल में हैं। यहां तक कि खुद अरविद केजरीवाल भी पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने को तैयार नहीं हैं यमुना साफ़[संपादित करें]दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल यमुना और दिल्ली को साफ़ करने में विफल रहे, उन्होंने कहा, जब यमुना शहर में प्रवेश करती है तो उसमें मल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की स्वीकार्य सीमा होती है, जो नदी के शहर छोड़ने पर 6.5 लाख/100 मिलीलीटर से अधिक हो जाती है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें] |