आधार अधिनियम, 2016

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आधार अधिनियम, 2016
भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों को सुशासन के रूप में ऐसे व्यक्तियों को विशिष्ट पहचान सङ्ख्या समनुदेशित करके ऐसी सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं के, जिसके लिये भारत की सञ्चित निधि से व्यय उपगत किया जाता है दक्ष, पारदर्शी और लक्ष्यित परिदान के लिये, तथा उससे सम्बन्धित और उसके आनुषङ्गिक विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम
शीर्षक 47 of 2016
प्रादेशिक सीमा सम्पूर्ण भारत
द्वारा अधिनियमित भारतीय संसद
पारित करने की तिथि 11 मार्च 2016
विधायी इतिहास
बिल प्रकाशन की तारीख 3 मार्च 2016
द्वारा पेश

अरुण जेटली,

वित्त मन्त्री
स्थिति : प्रचलित

आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक धन विधेयक है। इसका उद्देश्य आधार विशिष्ट पहचान सङ्ख्या परियोजना को विविक समर्थन प्रदान करना है। इसे 11 मार्च 2016 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। अधिनियम के कुछ प्रावधान 12 जुलाई 2016 और 12 सितमृबर 2016 से लागू हुए।

उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी[संपादित करें]

उच्चतम न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिये आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है।

केन्द्र ने घोषणा की है कि नये बैङ्क खाते खोलने और 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा। सभी वर्तमान खाताधारकों को भी 31 दिसम्बर, 2017 तक अपना आधार विवरण जमा करना होगा, ऐसा न करने पर खातों को अमान्य माना जायेगा।

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