आदमी खिलौना है
आदमी खिलौना है | |
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आदमी खिलौना है का पोस्टर | |
निर्देशक | जे ओम प्रकाश |
निर्माता | पद्मा रानी |
अभिनेता |
जितेन्द्र, गोविन्दा, रीना रॉय, मीनाक्षी शेषाद्रि |
संगीतकार | नदीम श्रवण |
प्रदर्शन तिथियाँ |
3 सितम्बर, 1993 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
आदमी खिलौना है 1993 में बनी हिन्दी भाषा की पारिवारिक नाटक फिल्म है। इसका निर्देशन जे॰ ओम प्रकाश और निर्माण पद्मा रानी द्वारा किया गया। इसमें जितेन्द्र, गोविन्दा, रीना रॉय और मीनाक्षी शेषाद्रि प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
संक्षेप
[संपादित करें]कहानी वर्मा परिवार से संबंधित है, जिसमें दो भाई, विजय (जितेन्द्र) और शरद (गोविन्दा), विजय की पत्नी गंगा (रीना रॉय) और उनकी बेटी शामिल हैं। शरद अविवाहित है और कॉलेज में पढ़ रहा है, जबकि विजय अपनी आय पर घर चलाता है। कॉलेज में, शरद, पूनम (मीनाक्षी शेषाद्रि) से मिलता है और दोनों एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। गंगा और विजय उनकी शादी करा देते हैं, लेकिन उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ही विवाहित जीवन जीने की अनुमति देते हैं। ऐसा वो करते हैं। बाद में यह जान कर वो दुखी हो जाते हैं कि पूनम कभी माँ नहीं बन सकती। गंगा पूनम को अपने बच्चे को दे देती है। जल्द ही शरद को नौकरी मिल जाती है और वो दूसरे शहर में स्थानांतरित हो जाता है। पूनम ने गंगा के बच्चे को अपने साथ रखने का फैसला किया।
बाद में, जैसे ही समय बढ़ता है शरद अच्छी कमाई करने लगता है और ड्राइवरों और नौकरों के साथ एक बड़े बंगले में रहता है। जब गंगा मंदिर के तल को नवीनीकृत करने के लिए कुछ पैसे माँगती है, तो शरद कहता है कि यह पैसे की बर्बादी है, लेकिन अपने बेटे के लिए एक महँगा वीडियो गेम खरीदता है। इसके तुरंत बाद, उनके बेटे ने लॉटरी टिकट खरीदा और 21,00,000 रुपये जीते। अपनी बुआ (सुलभा देशपांडे) के बहकावे में आकर और असमानता से शर्मिंदा होकर गंगा, पूनम के घर पहुँचती है और अपने बेटे को वापस माँगने लगती है। पूनम भीख माँगती है लेकिन कोई फायदा नहीं होता। शरद लड़के को गंगा के साथ छोड़ देता है और घर आ जाता है। बाद में, जब विजय किसी दौरे से लौटता है, तो उसे पता लगता है कि शरद और पूनम ने अपने बंगले को खाली कर दिया है और एक छोटे से घर में स्थानांतरित हो गए हैं। विजय गंगा के घर आता है, जो अब लॉटरी पैसे के साथ बेहतर जीवन जीती है। वह गुस्सा होता है और उसका परित्याग कर देता है और अपने बच्चों को उसके साथ छोड़ देता है। वह सीधे शरद के निवास स्थान पर जाता है और अपनी पत्नी की गलतियों के लिए माफ़ी माँगता है। इस बीच, अपराध बोध में गंगा अपने को मारने की कोशिश करती है और बेहोश हो जाती है। शरद और पूनम घर पहुँचते हैं और जल्द ही उन्हें चेतना में वापस लाया जाता है। विजय अपनी गलती को समझता है और उसकी माफी स्वीकार करता है और फिर वे सभी एक साथ खुशी से रहते हैं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- जितेन्द्र - विजय वर्मा
- रीना रॉय - गंगा वर्मा
- गोविन्दा - शरद वर्मा
- मीनाक्षी शेषाद्रि - पूनम वर्मा
- लक्ष्मीकांत बेर्डे - चंपकलाल
- सुलभा देशपांडे - बुआ[1]
- सुष्मिता मुखर्जी - रूपमती
- तेज सप्रू - रघुनाथ
- अंजान श्रीवास्तव - पूनम के दादा
- दलीप ताहिल - रंगराज
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत नदीम-श्रवण द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "आदमी खिलौना है" | अलका याज्ञनिक | 5:03 |
2. | "आदमी खिलौना है" (II) | पंकज उधास | 1:35 |
3. | "बहुत जताते हो प्यार" | अलका याज्ञनिक, मोहम्मद अज़ीज़ | 7:16 |
4. | "बुलबुल ने भी" | अलका याज्ञनिक, मोहम्मद अज़ीज़ | 8:07 |
5. | "मेंहदी लगाने की रात" | कुमार सानु, साधना सरगम | 5:58 |
6. | "मत कर इतना गुरूर" | पंकज उधास, अलका याज्ञनिक | 6:54 |
7. | "तू जो न मिलेगी हम को" | सुदेश भोंसले, अलका याज्ञनिक | 5:17 |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Badodekar, Komal (5 जून 2016). "वरिष्ठ अभिनेत्री सुलभा देशपांडे का निधन". India.com. मूल से 19 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2018.