आत्मानन्द कृष्ण मेनन

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श्री आत्मानन्द (8 दिसम्बर 1883 - 14 मई 1959), भारत के एक संत, गुरु और दार्शनिक थे। विद्वान लोग उन्हें "नव-हिंदू" कहते हैं। [1] उनकी शिक्षाएं 'प्रत्यक्ष पथ ' (डाइरेक्ट पाथ) नामक एक आध्यात्मिक पद्धति का आधार बन गई हैं [2][3]

जीवनी[संपादित करें]

मेनन के शिष्यों में से एक, नित्य तृप्त (एस. बालकृष्ण पिल्लई) ने मेनन की शिक्षाओं के संग्रह के अंत में उनका एक विस्तृत जीवन चित्र शामिल किया है। [4]

आत्मानन्द का जन्म 1883 में त्रावणकोर राज्य में, जो अब केरल का एक हिस्सा है, तिरुवल्ल के पास, पेरिंगारा में चेरुकुलथु हाउस में हुआ था। [5] उनका मूल नाम पी. कृष्ण मेनन था।

कानून का अध्ययन करने के बाद, वह एक सरकारी वकील और निरीक्षक और जिला पुलिस अधीक्षक बन गए और 1939 तक सेवा में रहे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Lucas, Phillip (2004). New Religious Movements in the Twenty-first Century. New York: Routledge. पपृ॰ 306.
  2. Godman, David (2000). Be As You are. Penguin India. पृ॰ 115. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0140190625.
  3. Lucas, Phillip (2004). New Religious Movements in the Twenty-first Century. New York: Routledge. पपृ॰ 306, 312.
  4. Atmananda; Nitya Tripta (1963). Notes on spiritual discourses of Sree Atmananda (of Trivandrum) (English में). Trivandrum: Reddiar Press. पृ॰ 535. OCLC 45610684.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  5. "The Teaching of Sri Atmananda Krishna Menon". www.advaita.org.uk. अभिगमन तिथि 2021-03-20.