आतंकवाद के खिलाफ युद्ध
आतंकवाद के खिलाफ युद्ध, 2001 में हुये 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका द्वारा शुरू किया गया एक वैश्विक सैन्य अभियास था। इसे आधिकारिक रूप से "आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध" कहा जाता है।,[1] यह कई देशों में फैला एक व्यापक संघर्ष था, जिसे कुछ शोधकर्ताओं और राजनीतिक वैज्ञानिकों ने शीत युद्ध के बाद का नया वैश्विक संघर्ष माना है। इसका उद्देश्य आतंकवाद को खत्म कर वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
2003 में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चलाएं गये इस अभियान का उद्देश्य उग्रवादी समूहों, विशेषकर अल-कायदा, तालिबान और उनके सहयोगी इस्लामी आंदोलनों का खात्मा करना था[2] और इराक के बाथिस्ट शासन को हटाना और विद्रोही गुटों का सामना करना था। 2014 में "इस्लामी राज्य" (ISIS) के उभार के बाद, यह अमेरिका का विरोधी बन गया। 2021 में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने दावा किया कि अल-कायदा[3] ने ईरान को अपना नया संगठन बना लिया है। और इस संगठन का वास्तविक नेता सैफ अल-अदेल का वर्तमान में ईरान में होने का अनुमान है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना था। यह अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के प्रयास में चलाया गया, जो दुनिया के लिए लगातार खतरा बने हुए थे।
अल-कायदा द्वारा कराए गए हमले
[संपादित करें]अल-कायदा ने कई प्रमुख हमलों की जिम्मेदारी ली, जैसे 2002 में बाली बम विस्फोट, 2007 में अल्जीरिया में बम विस्फोट, और 2011 में मोरक्को के माराकेच में हुए बम विस्फोट। हालांकि, मोरक्को में हुए हमले में अल-कायदा ने अपनी भागीदारी से इनकार कर दिया था। इन हमलों में आम नागरिकों, सरकारी दफ्तरों, और पुलिस चौकी को निशाना बनाया गया था।
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ फीकर्ट, एंड्रयू. "आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में अमेरिकी सैन्य अभियान में सहभागी देश अफगानिस्तान, अफ्रीका, फिलीपींस और कोलंबिया ।". संसदीय अनुसंधान सेवा. मूल से 17 April 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 फरवरी 2024.
- ↑ जोस्केलीन, थाॅमस (16 फरवरी 2023). "अल-कायदा के 'वास्तविक' नेता को ईरान का संरक्षण प्राप्त है।". Program on Extremism.
- ↑ आर॰ पोम्पेओ, माइकेल (13 जनवरी 2021). "ईरान-अल-कायदा धुरी।". जॉर्जिया में अमेरिकी दूतावास.