आचार्य हिर्सुरीश्वरजी

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आचार्य हिर्सुरीश्वरजी मुगल बादशाह अकबर के समकालीन जैन आचार्य थे। उनका जन्म 1527 में पालनपुर के ओस्वाल परिवार में हुआ। वे 1554 आचार्य बने थे। अकबर से सम्पर्क के पश्चात 60 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने विहार की ओर प्रस्थान किया। उनके हस्तक्षेप के कारण अकबर ने शृद्धालु कर शत्रुनजय महातीर्थ से हटा दिया तथा पर्यूषण पर्व के दिनों में जानवरों के वध पर रोक लगा दी। 1596 में सौराष्ट्र के ऊना गाँव में उनका देहान्त हो गया।[1]

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