भारतीय नौसेना पोत विक्रांत
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कैरियर (भारत) | ![]() ![]() |
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नाम: | भारतीय नौसेना पोत विक्रांत |
समनाम: | हरक्यूलिस |
स्वामित्व: | भारतीय नौसेना |
प्रचालक: | भारतीय नौसेना |
पंजीयन: | 4 मार्च 1961 |
मार्ग: | मध्यवर्तीभाग |
आदेशित: | 28 फरवरी 2009 |
पुरस्कृत: | 2016 |
निर्माता: | कोचीन जहाज़ कारखाना लिमिटेड |
लागत: | ₹ 23,000 करोड़ |
वे संख्या: | L63032KL1972GOI002414 |
आधारशिला: | जहाज को आधिकारिक तौर पर 1943 में बंद कर दिया गया था |
जलावतरण: | 12 अगस्त 2013 |
प्रायोजक: | भारतीय नौसेना |
पुन: शुरु: | 1961 |
सेवा मुक्त: | 31 जनवरी 1997 |
सेवा से बाहर: | 2014 |
मरम्मत: | अगस्त, १९८६, जुलाई, १९९९ |
गृहपत्तन: | मुम्बई |
पहचान: | पताका संख्या: R49 |
ध्येय: | |
उपनाम: | IAC-1 |
अंत: | 2014 में नष्ट कर दिया गया। |
स्थिति: | सेवानिवृत |
सामान्य विशेषताएँ | |
वर्ग और प्रकार: | युद्धपोत |
प्रकार: | विमान वाहक |
विस्थापन: | 19 हजार टन |
लम्बाई: | 260 मीटर (850 फीट) |
चौड़ाई: | 128 फीट (39 मी॰) |
ऊँचाई: | 59 मी॰ |
कर्षण: | 24 फीट (7.3 मी॰) |
बर्फ वर्ग: | प्रकाश वाहक |
स्थापित शक्ति: |
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प्रणोदन: | 2 शाफ्ट; पार्सन्स गियरयुक्त भाप टरबाइन, गियरयुक्त भाप टरबाइन |
गति: | 25 समुद्री मील (46 किमी/घंटा, 29 मील प्रति घंटे) |
पंहुच: |
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कर्मि-मण्डल: | 1,110 |
संवेदक और संसाधन प्रणाली: |
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आयुध: | 16 × 40 mm बोफोर्स विमान भेदी बंदूक जिसे बाद में घटाकर 8 कर दी गई। |
जहाज़ पर विमान: | 20–23 |
विमानन सुविधायें: |
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भारतीय नौसेना पोत विक्रांत आईएनएस विक्रांत संस्कृत भाषा के विक्रांत शब्द से लिया गया था जिसका अर्थ साहसी होता है। यह भारतीय नौसेना का प्रथम वायुयान वाहक पोत है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान की नौसैनिक नाकाबंदी को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि इसका प्राचीन इतिहास देखा जाये तो ये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश नौसेना के लिए इस पोत को एच॰एम॰एस॰ हरक्यूलिस के रूप में रखा गया था, लेकिन युद्ध समाप्त होने पर इसे रोक दिया गया। इसके बाद 1961 में इसे भारतीय नौसेना शामिल किया गया तथा 31 जनवरी 1997 को इसे सेनावृति दे दी गई।।[1] सन् 1957 में भारत ने एक विमान वाहक पोत खरीदा, जिसे 1961 में इसकी (जहाज़ की) मरम्मत का काम पूरा किया गया। विक्रांत को भारतीय नौसेना विमान वाहक पोत के रूप में नियुक्त किया गया था। सेनामुक्त हो जाने के कारण इसे मुंबई के नौसेना संग्रहालय में एक मनोरंजक जहाज के रूप में संरक्षित किया गया। आकार में बड़े और युद्ध में इस्तेमाल किए जाने के पश्चात जहाज़ काफ़ी पुराना हो चुका था। सुप्रीम कोर्ट से अंतिम मंजूरी के बाद नवंबर 2014 में इसके अधिकार को रद्द कर दिया गया इसके साथ ही जनवरी 2014 में जहाज को ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से बेच दिया गया।
इतिहास
[संपादित करें]सन् 1942 आकृति लाइट फ़्लीट कैरियर, जिसे आमतौर पर ब्रिटिश लाइट फ़्लीट कैरियर कहा जाता है, सन् 1943 में रॉयल नेवी ने जर्मन और जापानी नौसेनाओं का मुकाबला करने के प्रयास में छह हल्के विमान वाहक जहाज़ों को तैनात किया। और 1944 से 2001 तक के चलने वाले युद्ध के दौरान आठ नौसेनाओं के साथ काम करते हुए, इन जहाजों को पूर्णतः तैयार कर के सस्ते लेकिन सीमित क्षमता वाले उड़ान वाहक के बीच इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया। और सभी को कोलोसस श्रेणी में आवंटित कर दिया गया। अंतिम छह जहाजों को बड़े और तेज़ विमानों को संभालने के लिए निर्माण के दौरान संशोधित किया गया और पहचान स्वरूप उन्हें राजश्री श्रेणी के युद्ध पोत नाम दिया गया। कोलोसस श्रेणी से राजश्री श्रेणी के जहाज़ के सुधारों में भारी विस्थापन, आयुध, गुलेल, और विमान क्षमता शामिल किये गये।[2] द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में नौका पोत जहाजों का निर्माण निलंबित कर दिया गया, क्योंकि जहाज रॉयल नेवी की शांतिकालीन आवश्यकताओं के लिए अनुकूल नहीं थे। जिसके कारण वाहकों का नव निर्माण कर कई राष्ट्रमंडल देशों को बेच दिया गया। एच॰एम॰एस॰ हरक्यूलिस, पाँचवां राजश्री श्रेणी का जहाज, जिसे 7 अगस्त 1942 को मंगवाया गया था। 2 सितंबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद उसे 22 सितंबर को लोकार्पण किया गया। सन् 1946 मई को उसका निर्माण निलंबित कर दिया गया था। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि निलंबन के समय, वह 75 प्रतिशत पूरा हो चुका था। भारतीय नौसेना द्वारा मूल आकृति में कई सुधारों का आदेश दिया गया,
विशेषताएं व क्षमता
[संपादित करें]- यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत है।
- इस जहाज की लम्बाई लगभग 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है।[1]
- विक्रांत की उड़ान गति 24,000 पाउंड (11,000 किलोग्राम) तक के विमान को संभालने के लिए आकृति किया गया।
- इस जहाज में 40-मिलीमीटर (1.6 इंच) बोफोर्स विमान भेदी तोपों से सुसज्जित लैस लगाया गया था जो कई मील तक दुश्मनों के अड्डों नष्ट कर सकता है।
- इसकी एक विशेषता यह भी है कि इसके इंजन में लगे टर्बाइनों में कुल 40,000 संकेतित अश्वशक्ति (30,000 किलोवाट) उर्जा विकसित होती है, जिनसे यह कम अल्प अवधि के दौरान समुद्रका 46 किमी/घंटा; 29 मील प्रति घंटे की अधिकतम गति तय कर सकता है।
- इस जहाज को LW-05 वायु-खोज रडार, ZW-06 सतह-खोज रडार, व LW-10 सामरिक रडार और प्रकार 963 विमान लैंडिंग रडार के साथ अन्य संचार प्रणालियों से सुसज्जित किया गया था।
पुनर्निर्माण/नवीकरण
[संपादित करें]अगस्त 2013 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसका बड़े पैमाने पर नवीकरण किया जा गया। पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद 12 अगस्त 2013 को इसे नये अवतार में उतारा गया। विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का इंजन लगाया गया।
दूसरे चरण में जहाज के बाहरी हिस्से की बनावट, विभिन्न हथियारों और सेंसरों की बनावट, विशाल इंजन प्रणाली को जोड़ने और विमान को उसके साथ जोड़ने का काम पूरा किया गया, जिसे 10 जून 2015 को जलावतरित किया गया। व्यापक परीक्षणों के पश्चात् वर्ष 2017-18 के आसपास भारतीय नौसेना को सौंपने की योजना बनाई गई।[1] विक्रांत को मानक भार के आधार पर 16,000 टन (15,750 लम्बे टन) और गहरे भार के आधार पर 19,500 टन (19,200 लम्बे टन) विस्थापित किया। उसकी कुल लंबाई 700 फीट (210 मीटर), बीम 128 फीट (39 मीटर) और औसत गहराई 24 फीट (7.3 मीटर) था। इसमें निम्न गति वाले जहाज़ की एक जोड़ी द्वारा संचालित किया गया था जिससे दो इंजन एक साथ चलाती थी, चार एडमिरल्टी तथा तीन-ड्रम बॉयलरों को भी लगाया गया था। टर्बाइनों ने कुल 40,000 संकेतित अश्वशक्ति (30,000 किलोवाट) विकसित की, जिसने 25 समुद्री मील (46 किमी/घंटा; 29 मील प्रति घंटे) की अधिकतम गति दी गई। विक्रांत में लगभग 3,175 टन (3,125 टन) ईंधन तेल का इस्तेमाल किया गया, जिससे उसे 14 समुद्री मील (26 किमी/घंटा; 16 मील प्रति घंटे) पर 12,000 एनएम (22,000 किमी; 14,000 मील) और 23 समुद्री मील पर 6,200 मील (10,000 किमी) की सीमा मिली। जहाज 16 से 40-मिलीमीटर (1.6 इंच) बोफोर्स विमान भेदी तोप लगाया गया था, लेकिन बाद में इन्हें घटाकर आठ कर दिया गया। इसके विमान में हॉकर सी हॉक और एसटीओवीएल बीएई सी हैरियर जेट लड़ाकू विमान, सी किंग एमके 42बी और एचएएल चेतक नौका पोत, और ब्रेगुएट बीआर.1050 अलीज़े पनडुब्बी रोधी विमान शामिल थे। जिसमें से कुल मिलाकर 20 से 23 विमान उतारे।[3] विक्रांत के उड़ान डेक को 24,000 पाउंड (11,000 किलोग्राम) तक के विमान को संभालने के लिए आकृति किया गया था, इसके मुख्य भाग में 20,000 पाउंड (9,100 किलोग्राम) का सबसे भारी अवतरण वजन अनुमानित किया गया जो कि आम नौकापोत जहाजों के मुकाबले 54 गुणा 34 फीट (16.5 गुणा 10.4 मीटर) भारी था।[4]
प्रमुख सेवाएं
[संपादित करें]4 मार्च 1961 को भारतीय नौसेना का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के रूप में यूनाइटेड किंगडम के भारतीय उच्चायुक्त विजया लक्ष्मी पंडित द्वारा शुरूवात किया गया था। उस समय कैप्टन प्रीतम सिंह महेंद्रू जहाज के पहले कमांडिंग ऑफिसर थे। जहाज पर दो स्क्वाड्रन तैनात किए गये थे—जिसमें पहला आईएनएएस 300, था जिसकी कमान लेफ्टिनेंट कमांडर बीआर आचार्य के पास थी, जिसके पास ब्रिटिश हॉकर सी हॉक लड़ाकू-बमवर्षक बिमान थे और दूसरा आईएनएएस 310 , जिसकी कमान लेफ्टिनेंट कमांडर मिहिर के॰ रॉय के पास थी, जिसके पास फ्रांसीसी अलिज़े पनडुब्बी रोधी विमान थे। 18 मई 1961 को पहला जेट उसके डेक पर उतरा गया जिसे लेफ्टिनेंट राधाकृष्ण हरिराम ताहिलियानी द्वारा संचालित किया गया था, जिन्होंने बाद में 1984 से 1987 तक भारत के नौसेना स्टाफ के एडमिरल और प्रमुख के रूप में कार्य किया। विक्रांत औपचारिक रूप से 3 नवंबर 1961 को बॉम्बे में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुए, तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में उनका स्वागत किया गया। द्वारा[5] 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, विक्रांत के यांत्रिक भागों के मरम्मत करने के लिए विशाखापत्तनम भेज दिया गया। जून 1970 में, विक्रांत को उसके बॉयलरों के पानी के ड्रमों में कई आंतरिक दरारें पड़ गई थी इसके कारण नौसेना ने उसे मरम्मत के लिए बॉम्बे में प्रतिस्थापित किया गया, जिन्हें घर्षण द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता था। क्योंकि प्रतिस्थापन ड्रम स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं थे, इसलिए ब्रिटेन से चार नए ड्रम मंगवाए गए और नौसेना मुख्यालय ने अगली सूचना तक बॉयलरों का उपयोग न करने का आदेश जारी किया। 26 फरवरी 1971 को जहाज को प्रतिस्थापन ड्रमों के बिना, बैलार्ड पियर एक्सटेंशन से लंगरगाह में ले जाया गया। इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य कम दबाव पर बॉयलरों को जलाना और मुख्य और फ्लाइट डेक मशीनरी को चालू करना था जो लगभग सात महीने से निष्क्रिय थी। 1 मार्च को, बॉयलरों को प्रज्वलित किया गया, और 40 क्रांति प्रति मिनट (आरपीएम) तक बेसिन परीक्षण आयोजित किए गए। उसी दिन गुलेल परीक्षण आयोजित किए गए।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिन गई सेवाएं
[संपादित करें]
युद्ध की तैयारियों के एक भाग के रूप में, विक्रांत को पूर्वी नौसेना कमान , फिर पूर्वी बेड़े को सौंपा गया। इस बेड़े में आईएनएस विक्रांत, दो तेदुआ श्रेणी के युद्धपोत, आईएनएस ब्रह्मपुत्र और दो पेट्या तृतीय श्रेणी के युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती आईएनएस कामोर्टा और एक पनडुब्बी, आईएनएस खंडेरी शामिल थे। पूर्वी बेड़े को मजबूत करने के पीछे मुख्य कारण पूर्वी बंगाल में सैन्य अभियानों के समर्थन में तैनात पाकिस्तानी समुद्री बलों का मुकाबला करना था। 18,000 वर्ग मील (47,000 किमी 2) का एक निगरानी क्षेत्र स्थापित किया गया था, जो 270 मील (430 किमी) के आधार और 165 मील (266 किमी) और 225 मील (362 किमी) की भुजाओं वाले त्रिकोण द्वारा सीमित था। बंगाल की खाड़ी में इस क्षेत्र में किसी भी जहाज को चुनौती दी जानी थी और उसकी जाँच की जानी थी। यदि तटस्थ पाया गया, तो इसे निकटतम भारतीय बंदरगाह तक ले जाया जाएगा, अन्यथा, इसे पकड़ लिया जाएगा, और युद्ध पुरस्कार के रूप में लिया जाएगा।
सेवानिवृत्ति
[संपादित करें]अप्रैल २०१४ में सरकार द्वारा इस पोत को कबाड़ में बेचने का निर्णय ले लिया गया। एक नीलामी के जरिए इस पोत को 60 करोड़ रुपये में एक प्राइवेट कंपनी आईबी कमर्शल प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया। इस निर्णय का काफी विरोध हुआ। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस फैसले पर खेद व्यक्त करते हुए इस ऐतिहासिक युद्धपोत को युद्ध संग्रहालय में बदलने की वकालत की, ताकि आम भारतीय इसके जरिए भारत के गौरवशाली युद्ध इतिहास को जान सकें।[6]
विरासत में मिली विक्रांत के स्मारक का सम्मान
[संपादित करें]25 जनवरी 2016 को विक्रांत की याद में, विक्रांत स्मारक का अनावरण मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड के पश्चिमी भाग में लायन गेट के पास स्थित ट्रैफिक आइलैंड पर बने विक्रांत स्मारक को फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल सुरिंदर पाल सिंह चीमा द्वारा किया गया था। [7] फरवरी 2016 में बजाज कंपनी ने आईएनएस विक्रांत के अवशेषों से एक नई मोटरसाइकिल का अनावरण किया और विक्रांत के सम्मान में इसका नाम बजाज वी॰ रखा।[8][9] ये वाहक कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया, इसका वजन 40,000 टन (44,000 शॉर्ट टन) अनुमानित किया गया।
जहाज़ संग्रहालय
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1997 के बाद, जहाज को मुंबई में एक जहाज़ संग्रहालय के रूप में संरक्षण के लिए रखा गया था। धन की कमी कारण जहाज़ को संग्रहालय में सुसज्जित करने की प्रगति पर रोक दिया और यह अनुमान लगाया गया कि जहाज़ को एक प्रशिक्षण के लिए बनाया जाएगा[10]
भारतीय सिनेमा में लोकप्रिय
[संपादित करें]सेवामुक्त किए गए जहाज को भारतीय फिल्म एबीसीडी 2 में पृष्ठभूमि के रूप में प्रमुखता से दिखाया गया था।[11]
ग्रंथ सूची
[संपादित करें]→ कांट, क्रिस्टोफर (2014), आयुध और सैन्य सामग्री का एक संग्रह।, रूटलेज, ISBN 978-1-134-64668-5
→ हीरानंदानी, गुलाब मोहनलाल (2000), विजय की ओर संक्रमण: भारतीय नौसेना का इतिहास। 1965–1975, लांसर पब्लिशर्स एलएलसी, ISBN 978-1-897829-72-1 → हीरानंदानी, गुलाब मोहनलाल (2009), संरक्षकता में परिवर्तन: भारतीय नौसेना, 1991–2000, लांसर पब्लिशर्स एलएलसी, ISBN 978-1-935501-66-4 → हॉब्स, डेविड (2014), ब्रिटिश विमान वाहक: डिजाइन, विकास और सेवा इतिहास, सीफोर्थ प्रकाशन, ISBN 978-1-4738-5369-0
→ कॉन्स्टैम, एंगस (2012), The Aviation History, Books on Demand, ISBN 978-3-8482-6639-5
→ राॅय, के॰ मिहिर (1995), हिंद महासागर में युद्ध, Lancer Publishers, ISBN 978-1-897829-11-0
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ "'विक्रांत' का नया देसी अवतार". रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति. 12 अगस्त 2013. Archived from the original on 15 अगस्त 2013. Retrieved 20 नवम्बर 2013.
- ↑ "आई एन एस विक्रांत (R11) – इतिहास, विशिष्टताएँ और चित्र नौसेना के युद्धपोत और पनडुब्बियां". Military Factory. Archived from the original on 8 नवम्बर 2016. Retrieved 8 नवम्बर 2016.
- ↑ ब्रिगेडियर ए॰ एस॰ चीमा. "ऑपरेशन विजय: 'एस्टाडो दा इंडिया' मुक्ति — गोवा, दमन और दीव". USI of India. Archived from the original on 21 दिसम्बर 2016. Retrieved 11 दिसम्बर 2016.
- ↑ "कबाड़ नहीं, विक्रांत को बनाएं म्यूजियम'". नवभारत टाईम्स. 10 अप्रैल 2014. Archived from the original on 13 अप्रैल 2014. Retrieved 11 अप्रैल 2014.
- ↑ "लायन गेट के पास ट्रैफिक आइलैंड पर स्थित विक्रांत स्मारक". भारतीय नौसेना. Archived from the original on 10 November 2016. Retrieved 10 नवम्बर 2016.
- ↑ "बजाज वी - आईएनएस विक्रांत के अवशेषों से बनी बाइक 1 फरवरी को लॉन्च होगी". द फाइनेंशियल एक्सप्रेस भारत. 26 जनवरी 2016. Archived from the original on 27 जनवरी 2016. Retrieved 26 जनवरी 2014.
- ↑ "बजाज वी॰: आईएनएस विक्रांत के अवशेषों से बनी बाइक का अनावरण". ई-होट न्यूज़. 2 फरवरी 2015. Archived from the original on 4 फरवरी 2016. Retrieved 2 फरवरी 2015.
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(help) - ↑ Sanjai, P R (14 March 2006). "INS Vikrant will now be made training school". Business Standard. Archived from the original on 10 October 2012. Retrieved 7 March 2011.
- ↑ "आईएनएस विक्रांत के सामने पोज देते अभिनेता वरुण धवन". बॉलीवुड बाज़ार. Archived from the original on 7 जुलाई 2015. Retrieved 15 मई 2016.