आंद्रिया सांसोविनो

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क्राइस्ट , वोल्तेरा के सां गिओवानि बैप्टिस्ट्री में

आंद्रिया कोंतुच्ची देल मोंते सांसोविनो (Andrea di Niccolò di Menco di Muccio ; १४६७ - १५२९) इटली का मूर्तिकार और भवन शिल्पी था। अरेज्जों के समीप मोंठे सांसोविनों (Monte San Savino) में वह पैदा हुआ, इसलिए उसका यही नाम प्रसिद्ध हो गया। वह कलागुरु पोलाइउला एंटोनियो का शिष्य था। सुप्रसिद्ध समकालीन इटालियन मूर्तिकार और भवनशिल्पी जोकोपॉसांसोविनो इसी का शिष्य था।

पंद्रहवीं शताब्दी की फ्लोरेंस शैली पर सर्वप्रथम उसने टेराकोटा तथा संगमरमर पर मोंटे सांसोविनो और फ्लोरेंस के गिरजाघरों में अनेक धार्मिक और प्राचीन आख्यानों तथा बाइबिल के कथा-प्रसंगों का चित्रण किया। 'वर्जिन का राज्यारोहण', 'पियता', और 'अंतिम भोजन' जैसे चित्रांकनों के अतिरिक्त उसने अनेक प्रस्तर मूर्तियों का भी निर्माण किया। १४४० ई. में सम्राट जान द्वितीय द्वारा उसे पुर्तगाल आने का आमंत्रण मिला। कोयंब्रा के विशाल चर्च में अब भी उसकी बनाई कुछ मूर्तियाँ मिलती हैं।

इन प्रारंभिक चित्रांकनों और मूर्तिशिल्प में दोनातेल्लो का विशेष प्रभाव द्रष्टव्य है, किंतु फ्लोरेंटाइन बैपटिस्ट्री के उत्तरी द्वार पर सेंट जॉन और ईसा की कतिपय प्रतिमाओं में रुढ़िवादी प्राचीन पद्धति भी अपनाई गई है। एक वर्ष तक वह वोल्टेरा में संगमरमर पर कार्य करता रहा और जेनोआ चर्च में वर्जिल और जॉन दि बैप्टिस्ट की मूर्तियों का निर्माण किया। उसने कुछ गिरजाघरों में समाधियाँ ओर स्मारक भी बनाए जिनमें एस मेरिया हेल पोपोलो चर्च की समाधि उसकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति है। १५१२ ई. में सेंट एनी के साथ मेडोना और बालक क्राइस्ट की ग्रूप मूर्तियाँ उसने अंकित कीं। १५१३ से १५२८ तक लोरेटो में रहा जहाँ सांताकासा के बहिर्भाग और कक्ष स्तंभों पर उभरा हुआ चित्रांकन और प्रस्तर प्रतिमाएँ गढ़ीं। अनेक सहायकों से उसे मदद मिली, फिर भी उसकी अपनी कार्य प्रणाली और कलाटेक्नीक निराली है।