अहिबरन
पठन सेटिंग्स
अहिबरन | |
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श्री श्री 1008 श्री अहिबरन महाराज | |
शासनावधि | ३८००. BC से ८८६ AD |
पूर्ववर्ती | महाराजा श्री परमाल जी |
उत्तरवर्ती | महाराजा श्री भद्रवाह जी |
समाधि | बरन, उत्तर प्रदेश |
संगिनी | महारानी श्रीमती वरणावती जी |
घराना | सूर्यवंशी जाट |
पिता | महाराजा श्री परमाल जी |
माता | महारानी श्रीमती भद्रावती देवी जी |
महाराजा अहिबरन बुलन्दशहर के राजा थे[1]जिसका प्राचीन नाम बरन था। वह एक सूर्यवंशी जाट राजा थे।
बुलन्दशहर के राजा
[संपादित करें]बुलन्दशहर का प्राचीन नाम बरनवाल था। इसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिबरन नाम के जाट राजा ने की थी। बुलन्दशहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी था, जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था राजा अहिबरन ने इस सुरक्षित परकोटे में अपनी आराध्या कुलदेवी माँ काली के भव्य मंदिर की भी स्थापना की थी।[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Origin of Barnawal Society from Maharaja Ahibaran". Jagran. 25 December 2020. अभिगमन तिथि 17 September 2024.
- ↑ Singh, Kumar Suresh (2008). People of India, Volume 16, Part 1 (1st संस्करण). India: Anthropological Survey of India. पृ॰ 131. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7046-302-5. मूल से 4 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मई 2011.