असम का चाय उद्योग

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असम के चाय उद्योग को बचाने के लिए विशेष उद्देश्य चाय कोष (एसपीटीएफ) के शुरुआत की औपचारिक घोषणा की गई है।

ऋण समझौता[संपादित करें]

इस संबंध में चाय बोर्ड और कम्पनियों के बीच जून २००७ में एक औपचारिक ऋण समझौता हुआ। इस समारोह में केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री जयराम रमेश, भारत सरकार के तत्कालीन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग मंत्री मणिशंकर अय्यर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।

एसपीटीएफ के तहत सहायता प्राप्ति के लिए राज्य से कुल 149 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें से 48 करोड़ रुपए के 82 ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों में 1,925 एकड़ क्षेत्र में फैसले चाय बागान शामिल किए गए।

इस योजना के तहत प्रति इकाई लागत की 75 फीसदी तक ऋण दिया जाएगा। इनमें से दीर्घावधि ऋण के रूप में कम ब्जाज दर पर 50 फीसदी राशि और शेष 25 प्रतिशत राशि सब्सिडी के रूप में होगी। यह तय हुआ कि देश भर के 1,000 चाय बागानों को एसपीटीएफ योजना के तहत लाया जाएगा। इन चाय बागानों में 80 फीसदी चाय का उत्पादन होता है। किन्तु इस के योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए एकमात्र अर्हता है कि चाय बागान पचास वर्ष से अधिक पुराने होने चाहिए।

भारत में पांच लाख हेक्टेयर में चाय बागान फैले हुए हैं। इनमें से दो लाख हेक्टेयर को अगले 15 वर्षों में एसपीटीएफ के दायरे में लाया जाएगा। केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री के अनुसार इरादा प्रति हेक्टेयर चाय उत्पादन बढ़ाना है। उन्होंने कहा भारत अभी भी विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है। २००६ में देश में चाय का उत्पादन 85 करोड़ किलोग्राम रहा।