अलेक्सेय निकोलायेविच वरलामोव
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१९६३ में मास्को में जन्मे अलेक्सेय वरलामफ ने १९८५ में मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के भाषा संकाय से एम.ए. किया। उसके बाद आपने पीएच.डी. की और फिर भाषाशास्त्र में डॉक्टरेट। आजकल लमानोसफ मास्को विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। अलेक्सेय वरलामफ १९९७ में अमरीका के 'इंटरनेशनल राइटर्स प्रोग्राम' के सहभागी रहे। १९९८ में वे आयोवा विश्वविद्यालय के 'राइटर इन रेजिडेंस' कार्यक्रम में शामिल हुए। 'लिटरेरी एक्सप्रेस ऑफ यूरोप- २०००' नामक कार्यक्रम में इन्होंने रूस का प्रतिनिधित्व किया।
१९८७ में 'अकत्याबर' (अक्टूबर) पत्रिका में 'तराकान' (तिलचट्टा) के नाम से पहली कहानी छपी। १९९० में 'दोम व अस्तोझे' (ओस्तझ में घर) शीर्षक से पहला कहानी-संग्रह प्रकाशित। लेकिन अपने उपन्यास 'लोख़' यानि बौड़म और अपनी उपन्यासिका 'रझदेनिए' (जन्म) से चर्चा में आए और पाठकों के बीच लोकप्रिय हुए। अलेक्सेय वरलामफ रूसी साहित्य के रजत-युग के प्रसिद्ध लेखक ए.वरलामफ में विशेष तौर पर रुचि लेते हैं और वे उनके जीवन के बारे में अनुसंधान कर रहे हैं।
अलक्सेय विभिन्न लेखकों की डायरियों, पत्रों और पुरासंग्रहों में लगातार डुबकियाँ लगाते रहते हैं और इसका परिणाम यह हुआ है कि उन्होंने अब तक अलेक्सांदर ग्रीन, मिख़ाइल प्रीशविन और अलेक्सेय ताल्स्तोय जैसे लेखकों की जीवनियाँ लिखी हैं। अलेक्सेय वरलामफ की रचनाओं के अनुवाद अंग्रेज़ी, चीनी, स्पानी और अन्य भाषाओं में हो चुके हैं। अलेक्सेय वरलामफ को अलेक्सेय ताल्स्तोय की जीवनी लिखने के लिए 'बल्शाया क्नीगा' (बड़ी किताब) नामक वह बड़ा साहित्यिक पुरस्कार मिल चुका है, जो प्रसिद्ध रूसी लेखक अलेक्सांदर सोल्झेनीत्सिन रूसी लेखकों को देते हैं।