अलेक्सांद्र पूश्किन

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अलेक्सांद्र पूश्किन
अलेक्सांद्र, वैसिली ट्रैपिनिन का तैलचित्र
जन्म6 जून, 1799
मास्को, रूस
मौत10 फरवरी, 1837
पेशाकवि और लेखक
भाषारूसी भाषा
राष्ट्रीयतारूसी
विधागद्य और पद्य
विषयकविताएँ,

अलेक्सांद्र सेर्गेयेविच पूश्किन (रूसी: Алекса́ндр Серге́евич Пу́шкин (6 जून [O.S. मई 26] 179910 फरवरी [O.S. जनवरी 29] 1837) रूसी भाषा के छायावादी कवियों में से एक थे जिन्हें रूसी का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है।[1][2][3][4] उन्हें आधुनिक रूसी कविता का संस्थापक भी माना जाता है।[5][6] पूश्किन के 38 वर्ष के छोटे जीवनकाल को हम 5 खंडों में बाँटकर समझ सकते हैं। 26 मई 1799 को उनके जन्म से 1820 तक का समय बाल्यकाल और प्रारंभिक साहित्य रचना को समेटता है। 1820 से 1824 का समय निर्वासन काल है। 1824 से 1826 के बीच वे मिखायेलोव्स्कोये में रहे। 1826-1831 में वे ज़ार के करीब आकर प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचे। 1831 से उनकी मृत्यु (29 जनवरी 1837) तक का काल उनके लिए बड़ा दुःखदायी रहा।

कविता का प्रारंभ[संपादित करें]

बारह साल की उम्र में पूश्किन को त्सारस्कोयेस्येलो के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया। सन्‌ 1817 में पूश्किन पढ़ाई पूरी कर सेंट पीटर्सबर्ग आ गए और विदेश मंत्रालय के कार्यों के अतिरिक्त उनका सारा समय कविता करने और मौज उड़ाने में बीता, इसी दौरान सेना के नौजवान अफसरों द्वारा बनाई गई साहित्यिक संस्था ग्रीनलैंप में भी उन्होंने जाना शुरू कर दिया था, जहाँ उनकी कविता का स्वागत हुआ। मुक्त माहौल में अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए पूश्किन ने ओड टू लिबर्टी (मुक्ति के लिए गीत, 1817), चादायेव के लिए (1818) और देश में (1819) जैसी कविताएँ लिखीं। दक्षिण में येकातेरीनोस्लाव, काकेशस और क्रीमिया की अपनी यात्राओं के दौरान उन्होंने खूब पढ़ा और खूब लिखा, इसी बीच वे बीमार भी पड़े और जनरल रायेव्स्की के परिवार के साथ काकेशस और क्रीमिया गए। पूश्किन के जीवन में यह यात्रा यादगार बनकर रह गई। काकेशस की खूबसूरत वादियों में वे रोमांटिक कवि बायरन की कविता से परिचित हुए। सन्‌ 1823 में उन्हें ओद्देसा भेज दिया गया। ओद्देसा में जिन दो स्त्रियों से उनकी नजदीकीयाँ रहीं उनमें एक थी एक सर्ब व्यापारी की इटालियन पत्नी एमिलिया रिजनिच और दूसरी थी प्रांत के गवर्नर जनरल की पत्नी काउंटेस वोरोन्त्सोव। इन दोनों महिलाओं ने पूश्किन के जीवन में गहरी छाप छोड़ी। पूश्किन ने भी दोनों से समान भाव से प्रेम किया और अपनी कविताएँ भी उन्हें समर्पित कीं। किंतु दूसरी ओर काउंटेस से बढ़ी नजदीकी उनके हित में नहीं रही। उन्हें अपनी माँ की जागीर मिखायेलोव्स्कोये में निर्वासित कर दिया गया। रूस के इस सुदूर उत्तरी कोने पर पूश्किन ने जो दो साल बिताए, उनमें वे ज्यादातर अकेले रहे। पर यही समय था जब उन्होंने येव्गेनी अनेगिन और बोरिस गोदुनोव जैसी विख्यात रचनाएँ पूरी कीं तथा अनेक सुंदर कविताएँ लिखीं। अंततः सन्‌ 1826 में 27 वर्ष की आयु में पूश्किन को ज़ार निकोलस ने निर्वासन से वापस सेंट पीटर्सबर्ग बुला लिया। मुलाकात के दौरान जार ने पूश्किन से उस कथित षड्यंत्र की बाबत पूछा भी जिसकी बदौलत उन्हें निर्वासन भोगना पड़ा था। सत्ता की नजरों में वे संदेहास्पद बने रहे और उनकी रचनाओं को भी सेंसर का शिकार होना पड़ा, पर पूश्किन का स्वतंत्रता के प्रति प्रेम सदा बरकरार रहा। सन्‌ 1828 में मास्को में एक नृत्य के दौरान पूश्किन की भेंट नाताल्या गोंचारोवा से हुई। 1829 के बसंत में उन्होंने नाताल्या से विवाह का प्रस्ताव किया। अनेक बाधाओं के बावजूद सन 1831 में पूश्किन का विवाह नाताल्या के साथ हो गया।

अंतिम समय[संपादित करें]

पूश्किन का विवाहित जीवन सुखी नहीं रहा। इसकी झलक उनके लिखे पत्रों में मिलती है, पूश्किन का टकराव नाताल्या गोंचारोवा के एक दीवाने फ्रांसीसी द'आंतेस से हुआ जो जार निकोलस का दरबारी था। कहा जाता है कि द'आंतेस नाताल्या से प्रेम करने लगा था। द'आंतेस ने नाताल्या की बहन कैथरीन से विवाह का प्रस्ताव रखा। फिर वह और नाताल्या छुपकर मिले, स्थितियाँ और बिगड़ीं। यह पूश्किन को सहन नहीं हुई और वह द'आंतेस को द्वंद्व युद्ध का निमंत्रण दे बैठा। 27 जनवरी 1837 को हुए द्वंद्व युद्ध में पूश्किन द'आंतेस की गोलियों से बुरी तरह घायल हुए और दो दिनों बाद 29 जनवरी 1837 को मात्र 38 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। पूश्किन की अचानक हुई मौत से सनसनी फैल गई। तत्कालीन रूसी समाज के तथाकथित कुलीनों को छो़ड़कर छात्रों, कामगारों और बुद्धिजीवियों सहित लगभग पचास हजार लोगों की भीड़ कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करने सेंट पीटर्सबर्ग में जमा हुई थी।

केवल 37 साल जीकर पूश्किन ने संसार में अपना ऐसा स्थान बना लिया जिसे उन्होंने अपने शब्दों में कुछ इस तरह व्यक्त किया है:

मैंने स्थापित किया है

अपना अलौकिक स्मारक

उसे अनदेखा नहीं कर सकेगी

जनसामान्य की कोई भी राह...

गरिमा प्राप्त होती रहेगी

मुझे इस धरा पर

जब तक जीवित रहेगा

रचनाशील कवि एक भी!

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Short biography from University of Virginia Archived 2019-04-01 at the वेबैक मशीन, retrieved on 24 नवम्बर 2006.
  2. Allan Reid, "Russia's Greatest Poet/Scoundrel" Archived 2014-06-29 at the वेबैक मशीन, retrieved on 2 सितंबर 2006.
  3. BBC News, 5 जून 1999, "Pushkin fever sweeps Russia" Archived 2019-05-28 at the वेबैक मशीन, retrieved 1 सितंबर 2006.
  4. BBC News, 10 जून 2003, "Biographer wins rich book price" Archived 2019-05-14 at the वेबैक मशीन, retrieved 1 सितंबर 2006.
  5. Biography of Pushkin at the Russian Literary Institute "Pushkin House" Archived 2019-02-26 at the वेबैक मशीन, retrieved 1 सितंबर 2006.
  6. Maxim Gorky, "Pushkin, An Appraisal" Archived 2019-04-06 at the वेबैक मशीन, retrieved 1 सितंबर 2006

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]