अलीगढ़ आंदोलन
अलीगढ़ आंदोलन सर सैयद अहमद खाँ के नेतृव में चलाया गया एक प्रमुख इस्लामी आंदोलन है, जो 1857 के विद्रोह के असफलता के बाद मुसलमानों में धार्मिक सुधारों के उद्देश्य से चलाया गया।
सैयद अहमद खां के विचार[संपादित करें]
सैयद अहमद खां के विचार में- जब तक विचार की स्वतंत्रता विकसित नहीं होती, सभ्य जीवन संभव नहीं है। उनका मानना था कि मुसलमानों का धार्मिक और सामाजिक जीवन पाश्चात्य वैज्ञानिक ज्ञान और संस्कृति को अपनाकर ही सुधारा जा सकता है। इसके लिए उन्होनें पश्चिमी ग्रंथों का उर्दू में अनुवाद करवाया book-asbab-e-gadar।[1]
कुरीतियों का अंत[संपादित करें]
सैयद अहमद खा ने मुसलमानो में प्रचलित पीरी मुरिदि प्रथा का विरोध किया। इस प्रथा में मुसलमान पीर मुरीद को कोई रहस्यमय बात बता कर स्वम को सूफी संतो के समान मनवाने की कोशिश करते थ। सैयद ने मुसलमानो को दास प्रथा के विरुद्ध जाग्रत किया और इस प्रथा का विरोध किया और मुस्लिम समाज में व्याप्त अन्य बुराइयो का भी विरोध किया।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ विपिन चन्द्र- आधुनिक भारत का इतिहास, ओरियंट ब्लैक स्वॉन प्राइवेट लिमिटेड, २00९, पृ-222, ISBN: 978 81 250 3681 4
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