अरियक
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अरियक एक लिपि है जिसका विकास १८३३ ई में थाइलैण्ड के राजा राम चतुर्थ ने पालि लिखने के लिए ख्मेर लिपि के विकल्प के रूप में किया था। इसमें ९ स्वर (अ, आ, इ, ई आदि), ३१ व्यंजन (क, ख, ग, घ आदि) और कुछ विरामचिह्न (जैसे अल्पविराम, पूर्णविराम, कोलन आदि) हैं। इसकी रचना लैटिन वर्णमाला जैसी है। उस समय ख्मेर लिपि का उपयोग पालि के लिए किया जाता था। किन्तु उनको ख्मेर लिपि उनको 'जटिल' लगी और उन्होने 'सरल' अरियक का आविष्कार किया। इसका उपयोग करके राजा राम ने कुछ ग्रन्थों की प्रिन्टिंग भी कर्याई। उन्होने श्रीलंका के कुछ बौद्ध भिक्षुओं से इस लिपि के माध्यम से पत्राचार भी किया।