अभिसारी क्रमविकास

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उड़ान के लिए विकसित पर टेरोसोर (1), चमगादड़ (2) और पक्षी (3) में अभिसारी क्रमविकास द्वारा उत्पन्न हुए

अभिसारी क्रमविकास (Convergent evolution) दो भिन्न जीववैज्ञानिक जातियों में भिन्न समयों पर स्वतंत्र रूप से हुए क्रमविकास से एक ही प्रकार के शरीर-लक्षण उत्पन्न होने की प्रक्रिया होती है। यह साधरणतः किसी एक-जैसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए भिन्न जातियों में विकसित होने वाली किसी शरीर अंग या अन्य लक्षण में देखा जाता है। उदाहरण के लिए पक्षियों और कीटों में परों की उत्पत्ति अभिसारी क्रमविकास द्वारा हुई है।[1][2][3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Jonathan B. Losos (2017). Improbable Destinies: Fate, Chance, and the Future of Evolution. Riverhead Books. ISBN 978-0399184925.
  2. Arendt, J; Reznick, D (January 2008). "Convergence and parallelism reconsidered: what have we learned about the genetics of adaptation?". Trends in Ecology & Evolution. 23 (1): 26–32. doi:10.1016/j.tree.2007.09.011. PMID 18022278.
  3. Reece, J.; Meyers, N.; Urry, L.; Cain, M.; Wasserman, S.; Minorsky, P.; Jackson, R.; Cooke, B. (5 September 2011). Cambell Biology, 9th Edition. Pearson. p. 586. ISBN 978-1-4425-3176-5.