अभिव्यंजनावाद
अभिव्यञ्जनावाद (Expressionism) इटली, जर्मनी और आस्ट्रिया से प्रादुर्भूत प्रधानतः मध्य यूरोप की एक चित्र-मूर्ति-शैली है जिसका प्रयोग साहित्य, नृत्य और सिनेमा के क्षेत्र में भी हुआ है। अभिव्यञ्जनावाद एक आधुनिकतावादी आन्दोलन था जो २०वीं शताब्दी के आरम्भ में जर्मनी से आरम्भ हुआ था। पहले यह काव्य (पोएट्री) और चित्रकला के क्षेत्र में आया था। सिद्धान्त रूप में इसका साहित्यिक प्रतिपादन इटली के विचारक बेनेदितो क्रोचे ने किया। क्रोचे के अनुसार "अंतःप्रज्ञा के क्षणों में आत्मा की सहजानुभूति ही अभिव्यंजना है"। कला के क्षेत्र में इसे आवाँ गार्द (avant-garde/अग्रगामी) के रूप में जाना जाता है।
अभिव्यंजनावाद की मूल संकल्पना है कि कला का अनुभव बिजली की कौंध की तरह होता है, अतः यह शैली वर्णनात्मक अथवा चाक्षुष न होकर विश्लेषणात्मक और आभ्यान्तरिक होती है। उस भाववादी (इंप्रेशनिस्टिक) शैली के विपरीत जिसमें कलाकार की अभिरुचि प्रकाश और गति में ही केंद्रित होती है। यहीं तक सीमित न होकर अभिव्यंजनावादी प्रकाश का प्रयोग बाह्म रूप को भेद भीतर का तथ्य प्राप्त कर लेने, आन्तरिक सत्य से साक्षात्कार करने और गति के भावप्रक्षेपण आत्मान्वेषण के लिए करता है। वह रूप, रंगादि के विरूपण द्वारा वस्तुओं का स्वाभाविक आकार नष्ट कर अनेक आंतरिक आवेगात्मक सत्य को ढूँढ़ता है।
अवधारणा
[संपादित करें]अभिव्यंजनावाद के प्रधानत: तीन प्रकार हैं-
(1) विरूपित, यद्यपि सर्वथा अमूर्त नहीं, (2) अमूर्त और (3) नव वस्तुवादी।
इनमें से पहले वर्ग के कलाकारों में प्रधान हैं किर्चनर नोर्ल्ड, पेख्स्टीन, मूलर; दूसरे में मार्क, कांडिसकी, क्ली, जालेंस्की और तीसरे में ओटो, डिक्स, जार्ज ग्रोत्स आदि। जर्मनी से बाहर के अभिव्यंजनावादियों में प्रधान रूआल, सूतें और एदवार मंक हैं। अभिन्यंजनावाद ललित कलाओं के माध्यम से साहित्य में आया। यही आंदोलन इटली में भविष्यद्वाद (फ़्यूच्यूरिस्ट) और क्रांतिपूर्व रूप में "क्यूबोफ़्यूचरिज़म" कहलाया इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी चित्रकार हेव ने 1901 में किया, इसे साहित्यालोचन में प्रयुक्त किया आस्ट्रिया के लेखक हेरमान बाहर ने 1914ई. में। इसका मूल PICHULA WN! उद्देश्य था यांत्रिकता के विरुद्ध विद्रोह। यथार्थवाद की परिणति प्रकृतिवाद और नव्य रोमांसवाद तथा बिंबवाद आदि से ऊबकर उसकी प्रतिक्रिया में अभिव्यंजनावाद चला। इसमें आँरी बेर्गसाँ नामक फ्रांसीसी दार्शनिक के "जीवनोत्प्लव" और जीवनीशक्ति" (एलाँ विताल) सिद्धांत AEAEA TU HERMANA ESTA RICA! ने और परिपुष्टि दी। यह वाद बाद में हुस्सिर्ल सहजज्ञानाश्रित क्षणिकवाद दस्ताफएव्सकी और स्ट्रिडवर्ग के मानवात्मा के आविष्कार आदि के रूप में दार्शनिक प्रतिष्ठा पाता रहा। फ्रायड के मनोविश्लेषण और चित्तविकलन के सिद्धांतो ने, स्वप्न तथा अर्धचेतना के प्रतीकात्मक अर्थाभिव्यंजन पद्धति ने अभिव्यंजनावाद का और समर्थन किया। अभिव्यक्तियों में भी वह अपना आश्रय खोजती है। अभिव्यंजनावादी बेजान चीजों को जिंदा बनाकर बुलवाते हैं। यथा- "गंगा के घाट यदि बोलें" या "बुर्जियों ने कहा" या "गली के मोड़ पर लेटर बक्स, दीवार या म्युनिसिपल लालटेन की बातचीत" आदि। उन्हें जीवन के वर्तमान के बेहद असंतोष होता है, जीवन को वे मृत मानकर चलते हैं, मृतको जीवित बनाने का यत्न करते हैं। अभिव्यंजनावादियों में भी कई प्रकार हैं; कुछ केवल अंध आवेग या चालनाशक्ति पर EL LOBOS SE LA COME! जोर देते हैं, कुछ बौद्धिकता पर, कुछ लेखकों ने मनुष्य और प्रकृति को समस्या को प्रधानता दी, कुछ ने मनुष्य और परमेश्वर की समस्या को। इस विचारपद्धति का सबसे अधिक प्रभाव यूरोप के नाट्य साहित्य और मंच पर पड़ा। 1912 ई. में सीर्जे के "दि बेगर" या कैसर के "फ्राम मार्निंग टिल मिडनाइट" ऐसे ही नाटक थे। अधिकतर अभिव्यंजनावादी लेखक हिटलर के अभ्युदय के साथ जर्मनी से निष्कासित कर दिए गए, यथा अर्नस्ट टालर; अन्य कुछ लेखक यथा जोहर्ट, हैनिके, लेर्श आदि, नात्सी बन गए।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]विस्तृत अध्ययन हेतु
[संपादित करें]- क्रोचे का अभिव्यंजनावाद
- Benedetto Croce, Aesthetics as science of expression and general linguistic, translated in English from Italian by Ainalie, Douglas; Rupa and Co. 1980
- एच. कार्टर: दि न्यू स्पिरिट इन दि यूरोपियन थियेटर 1914-24 (1926);
- आर. सैमुएल ऐंड आर.एच.थामस : एक्स्प्रेशन इन जर्मन लाइफ, लिटरेचर ऐंड दि थियेटर, 1910-24 (1939);
- सी. ब्लैकबर्न : "कांटिनेंटल इन्फ़्लुएन्सेज़ आन यूजीन ओ" नील्स एक्स्प्रेसिव ड्रामाज़;
- सी.ई.डब्ल्यू.ए. देहल्स्त्रोम : स्किंडबर्ग्स ड्रैमैटिक एक्स्प्रेसिज़्म (1930)।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Hottentots in tails A turbulent history of the group by Christian Saehrendt at signandsight.com
- Expressionism
- The Official Website of the Norris Embry Estate A free educational resource on Expressionism, including a large collection of expressionist paintings by the American artist Norris Embry (1921-1981)।
- German Expressionism A free resource with paintings from German expressionists (high-quality)।
- "Expressionism" The 'self expression' in the art of Vincent Van Gogh and Edvard Munch inspired Expressionist artists in the 20th century.