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अब्दुल्ला अंसारी

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हेरात के अब्दुल्ला अंसारी (1006-1089) (फ़ारसी: خواجه عبدالله انصاری) को पीर-ए हेरात (پیر هرات) "हेरात के संत" के नाम से भी जाना जाता है, एक सूफी संत थे, जो हेरात (आधुनिक अफगानिस्तान) में रहते थे। अंसारी कुरान के एक टिप्पणीकार, हनबली विचारधारा (पंथ) के विद्वान, परंपरावादी, नीतिशास्त्री और आध्यात्मिक गुरु थे, जो अरबी और फ़ारसी में अपनी वक्तृत्व और काव्यात्मक प्रतिभा के लिए जाने जाते थे।[1][2]

अंसारी का जन्म 1006 ईस्वी में हेरात के पुराने गढ़ कोहंडेज में हुआ था। उनके पिता, अबू मंसूर मुहम्मद, एक दुकानदार थे जिन्होंने अपनी जवानी के कई साल बल्ख में बिताए थे। अंसारी इस्लामी पैगंबर हजरत मुहम्मद के साथी अबू अय्यूब अल-अंसारी के सीधे वंशज थे, जो उनसे ग्यारहवें थे। वंश का वर्णन और पता पारिवारिक इतिहास अभिलेखों में पाया गया है।[3]

अंसारी अबू अल-हसन अल-खरकानी के शिष्य थे। उन्होंने सुन्नी न्यायशास्त्र के हनबली स्कूल का अभ्यास किया। तिमुरी राजवंश के दौरान निर्मित ख्वाजा अब्दुल्ला की दरगाह एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। वह हदीस, इतिहास और इल्म अल-अंसाब (वंशावली) के ज्ञान में उत्कृष्ट थे। उन्होंने फ़ारसी और अरबी में इस्लामी रहस्यवाद और दर्शन पर कई किताबें लिखीं। अब्दुल्ला अंसारी के कुल 5 बच्चे थे: ख्वाजा जाबिर, ख्वाजा अब्दुर्रहमान, ख्वाजा हाशिम बुज़ुर्ग, काज़ी मोहम्मद यूसुफ़ और काज़ी मोहम्मद नैमत।

सन्दर्भ

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  1. A. G. Ravân Farhâdi, ʻAbd Allāh ibn Muḥammad Anṣārī al-Harawī, "ʻAbdullāh Anṣārī of Herāt (1006-1089 C.E.): an early Shia Ṣūfi master", Routledge, 996.
  2. "ʿABDALLĀH ANṢĀRĪ – Encyclopaedia Iranica". www.iranicaonline.org. अभिगमन तिथि: 2020-05-31.
  3. S. de Laugier de Beaureceuil, "Abdullah Ansari" in Encylcoapedia Iranica [1]